5 मई, 2019
बताने की जरूरत तो नहीं न कि किसको पड़ी ?? दूसरा कौन नेता जाता है जनता के इतने करीव जिसको थप्पड़ पड़ेगी ? थप्पड़ मारने वाले को भी पता नहीं क्या लगता है, झट से थप्पड़ मार देता है। कानून शायद सख्त नहीं है, तभी ऐसे लोग ऐसी गन्दी हरकत कर जाते हैं। लेकिन कानून में बदलाव जरूरी है। वरना ऐसे लोगो के हौसले बुलंद होते जाएंगे। अभी भी नहीं समझे तो बता देता हूँ। खबर है कि दिल्ली के मोती नगर में रोड शो के दौरान एक शख्स ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मार दिया।इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है उनके साथ। लेकिन क्या ये शर्मनाक नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री को थप्पड़ मार दे ?
घटना के बाद राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। राजनीतिक दलों को ये नहीं लगता कि ये गलत शुरुआत हो रही है। इस मामले में राजनीतिक दल एक जुट नहीं हैं, उनको लगता है कि ये तो सिर्फ केजरीवाल के साथ हो रहा है, हमें क्या। इसलिए कोई कहता है कि ये प्रायोजित थप्पड़ है, तो कोई कहता है कि केजरीवाल दिल्ली में कुछ नहीं कर रहे हैं, इसलिए जनता गुस्सा निकाल रही है। कुछ तो यहाँ तक कह रहे हैं कि केजरीवाल सहानुभूति वोट लेने के लिए खुद ही थप्पड़ मरवा रहे हैं। राजनीति इतने नीचे गिर गयी है ? एक मुख्यमंत्री को तो थप्पड़ लगा और राजनीतिक दल इस पर भी एक जुट नहीं।
लेकिन मामला एक राज्य के मुख्यमंत्री की सुरक्षा के साथ हुई लापरवाही का है। क्या कर रहे थे उनके सरकारी सुरक्षाकर्मी ? जबकि मुख्यमंत्री जी के साथ ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है, क्यो नहीं सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई थी ? ऐसे कैसे कोई मुख्यमंत्री जी के करीब पहुँच कर थप्पड़ मार गया ? भिन्न भिन्न लोग भिन्न भिन्न मत प्रकट कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि भाजपा का आदमी था, तो कोई कह रहा है कि आम आदमी पार्टी का ही कार्यकर्ता था। वो कोई भी हो, लेकिन किसी को भी ऐसी हरकत नही करनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि ये उनके साथ हुई पहली घटना है। अभी नवंबर 2018 में भी अत्यंत सुरक्षित सचिवालय में एक शख्स ने उनके ऊपर मिर्ची पाउडर फेंक दिया था।
मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा चाक चौबंद की जाए, ताकि कोई भी भविष्य में ऐसा न कर सके। कानून में भी मजबूती लाई जाए जिससे कोई ऐसा करने की जुर्रत न कर सके भविष्य में।
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