13 जनवरी, 2019
काफी सालों से माँग की जा रही थी कि सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में विद्यमान जाति आधारित आरक्षण को ख़त्म किया जाए और इसके बदले आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए, ताकि सभी जाति के जरुरतमंदो को इसका फायदा मिल सके । लेकिन आजतक ऐसा हो न सका, कोई भी सरकार जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर इसकी जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की बात तो दूर कभी सोच भी नहीं सकी। वर्तमान आरक्षण व्यवस्था में शामिल लोगों की जनसँख्या बहुत ज्यादा है, इस व्यवस्था को ख़त्म करने का मतलब है इस वर्ग की नाराजगी मोल लेना। राजनीतिक दल किसी भी वर्ग को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती क्योंकि उनको इनका वोट लेना है। इसलिए वोट बैंक की राजनीति के कारण जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था अभी तक चली आ रही है और न जाने कितने सालों तक चलती रहेगी।
होने के कारण कोई भी राजनीतिक दल जो सत्ता में आई, इनको नाराज करने की
0 टिप्पणियाँ:
टिप्पणी पोस्ट करें