शनिवार, 28 दिसंबर 2019
बुधवार, 8 मई 2019
दिल्ली सरकार के PGMS के साथ मेरा अनुभव।
8 मई, 2019
पुरानी विधानसभा से तो 2015 में ही विदा हो लिया था, लेकिन नयी विधानसभा के मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा पाया था, पिछले साल तक। मैंने जरुरी कागजात न होने की वजह से ये फर्ज निभाने में थोड़ी देरी कर दी, लेकिन मेरे पुराने मकानदार ने अपना फर्ज निभाने में तनिक भी देरी नहीं की, झट से मेरा नाम सूची से कटवा दिया, जबकि लोग न जाने कितने सालों तक चुनाव में पुराने पते से ही वोट डालते रहते हैं। जब कागजात पूरे हो गए तो आवेदन जमा कराने की चिंता हुई। एक वेतनभोगी के नसीब में सिर्फ रविवार की छुट्टी होती है, सो मेरी भी है। उस दिन सारे सरकारी दफ्तर की तरह चुनाव विभाग का दफ्तर भी बंद होता है, शायद उनकी छुट्टी शनिवार की भी होती है। दोस्तों ने बताया की ऑनलाइन भी आवेदन लिए जाते हैं। सो ऑनलाइन ही आवेदन करने के साथ साथ ही जरुरी कागजात भी अपलोड कर दिए। उत्सुकतावश हर 15 दिन पर स्थिति भी चेक करता था, कि शायद मेरा नाम जुड़ गया हो। लेकिन हर बार स्थिति पेंडिंग ही दिखती रही।
3 - 4 महीने के बाद जब सब्र का बाँध टूट गया तो सोचा इसकी शिकायत की जाए। बहुत बार सुन चुका था, केजरीवाल जी ने खूब प्रचार करवाया था कि अगर दिल्ली के सरकारी दफ्तर में आपका काम न हो रहा हो, अधिकारी चक्कर कटवाते हो, तो PGMS में अपनी शिकायत दर्ज करवाइये, इधर सुनवाई जरूर होगी। सोचा, एक बार कोशिश करने में क्या बुराई है, क्या पता मेरा काम हो जाये। अगर शिकायत करने के बाद भी काम न हुआ तो, अरविन्द केजरीवाल जी और उनकी सरकार के दावों की पोल तो खुल जाएगी। सो, दिल्ली सरकार के लोक शिकायत विभाग के पोर्टल https://www.pgms.delhi.gov.in/ पर इससे सम्बंधित एक शिकायत 23 जुलाई 2018 को दर्ज करवा दी।
फिर क्या था, ठीक 8वे दिन 31 जुलाई, 2018 को सम्बंधित दफ्तर से मेरे पास फोन आ गया कि आपको जरुरी कागजात दफ्तर आ कर देने होंगे, अभी तक नहीं दिए हो इसलिए पेंडिंग है। मैंने कहा कि जब सबकुछ दफ्तर आकर ही देना है, तो ऑनलाइन सेवा किस लिए है ? वो बोले आपको शुल्क देना होगा, मैंने कहा शुल्क देने की बात ऑनलाइन पोर्टल पर नहीं की गयी है, फिर शुल्क कैसा ? फिर वो मान गए, और बोले की कागजात ईमेल कर दो, मैंने कर दिया 3-4 दिन बाद ही मेरा नाम मतदाता पहचान पत्र संख्या के साथ वेबसाइट पर दिखने लगा।
मैंने शिकायत पोर्टल पर फीडबैक लिखा कि, मेरी शिकायत अभी बंद नहीं की जाए क्योंकि मतदाता पहचान पत्र मुझे अभी तक नहीं मिला है। इसके बाद मैं पहचान पत्र मिलने की बाट जोहने लगा। पिछले महीने मैंने BLO को फोन करके इस बारे में जानकारी लेनी चाही तो टका सा जवाब मिला, आपको पहचान पत्र लेने दफ्तर जाना होगा, आपके घर पर नहीं भेजी जाएगी। फिर वही, प्राइवेट नौकरी में छुट्टी की दिक्कत।
सो एक बार फिर, दिल्ली सरकार का ही सहारा दिखा, और 23 अप्रैल, 2019 को एक बार फिर दिल्ली सरकार के लोक शिकायत विभाग के पोर्टल पर इस बाबत शिकायत दर्ज करवा दी। कल ही मेरे घर पर मतदाता पहचान पत्र आ गया है। इससे पहले मेरा विश्वास किसी भी शिकायती पोर्टल पर नहीं था, क्योंकि समस्या का निदान ही नहीं होता था। सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे, तब जाकर काम होता था। लेकिन जब से दिल्ली सरकार के PGMS विभाग ने काम संभाला है, शिकायतों पर सुनवाई होने लगी है। मेरा तो यही अनुभव रहा है।
रविवार, 5 मई 2019
एक थप्पड़ और ........
5/05/2019 08:29:00 pm
अरविंद केजरीवाल, केजरीवाल, Arvind Kejriwal, Kejariwal, Kejriwal
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5 मई, 2019
बताने की जरूरत तो नहीं न कि किसको पड़ी ?? दूसरा कौन नेता जाता है जनता के इतने करीव जिसको थप्पड़ पड़ेगी ? थप्पड़ मारने वाले को भी पता नहीं क्या लगता है, झट से थप्पड़ मार देता है। कानून शायद सख्त नहीं है, तभी ऐसे लोग ऐसी गन्दी हरकत कर जाते हैं। लेकिन कानून में बदलाव जरूरी है। वरना ऐसे लोगो के हौसले बुलंद होते जाएंगे। अभी भी नहीं समझे तो बता देता हूँ। खबर है कि दिल्ली के मोती नगर में रोड शो के दौरान एक शख्स ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मार दिया।इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है उनके साथ। लेकिन क्या ये शर्मनाक नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री को थप्पड़ मार दे ?
घटना के बाद राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। राजनीतिक दलों को ये नहीं लगता कि ये गलत शुरुआत हो रही है। इस मामले में राजनीतिक दल एक जुट नहीं हैं, उनको लगता है कि ये तो सिर्फ केजरीवाल के साथ हो रहा है, हमें क्या। इसलिए कोई कहता है कि ये प्रायोजित थप्पड़ है, तो कोई कहता है कि केजरीवाल दिल्ली में कुछ नहीं कर रहे हैं, इसलिए जनता गुस्सा निकाल रही है। कुछ तो यहाँ तक कह रहे हैं कि केजरीवाल सहानुभूति वोट लेने के लिए खुद ही थप्पड़ मरवा रहे हैं। राजनीति इतने नीचे गिर गयी है ? एक मुख्यमंत्री को तो थप्पड़ लगा और राजनीतिक दल इस पर भी एक जुट नहीं।
लेकिन मामला एक राज्य के मुख्यमंत्री की सुरक्षा के साथ हुई लापरवाही का है। क्या कर रहे थे उनके सरकारी सुरक्षाकर्मी ? जबकि मुख्यमंत्री जी के साथ ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है, क्यो नहीं सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई थी ? ऐसे कैसे कोई मुख्यमंत्री जी के करीब पहुँच कर थप्पड़ मार गया ? भिन्न भिन्न लोग भिन्न भिन्न मत प्रकट कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि भाजपा का आदमी था, तो कोई कह रहा है कि आम आदमी पार्टी का ही कार्यकर्ता था। वो कोई भी हो, लेकिन किसी को भी ऐसी हरकत नही करनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि ये उनके साथ हुई पहली घटना है। अभी नवंबर 2018 में भी अत्यंत सुरक्षित सचिवालय में एक शख्स ने उनके ऊपर मिर्ची पाउडर फेंक दिया था।
मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा चाक चौबंद की जाए, ताकि कोई भी भविष्य में ऐसा न कर सके। कानून में भी मजबूती लाई जाए जिससे कोई ऐसा करने की जुर्रत न कर सके भविष्य में।
मंगलवार, 23 अप्रैल 2019
क्यों जलालत का जहर पीने को बेचैन है केजरीवाल ?
4/23/2019 07:19:00 am
आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, केजरीवाल, Aam Adami Party, Arvind Kejriwal, Congress
1 comment
पिछले कई महीनों से खबर आ रही है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस राजी नहीं है। वही आम आदमी पार्टी जिसके नेता अरविंद केजरीवाल कहते थे कि सभी पार्टी बेईमान हैं, हम किसी से भी कभी भी गठबंधन नहीं करेंगे। आज अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस से गठबंधन करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। वही कांग्रेस जिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा लगाकर अरविन्द केजरीवाल भारतीय राजनीति के परिदृश्य पर अवतरित हुए थे, आज वही कांग्रेस उनको अच्छी लगने लगी है । वही कांग्रेस जिसको हरियाणा की रोहतक सीट पर हराने के लिए अरविन्द और उनकी टीम ने धुआँधार प्रचार किया था कि कांग्रेस को वोट मत दो, उसी कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए आज केजरीवाल गठबंधन करना चाहते हैं । अगर गठबंधन होगी तो दोनों ही पार्टियों को फायदा होगा, ऐसा तो है नहीं कि सिर्फ अरविन्द केजरीवाल या आम आदमी पार्टी को ही फायदा होगा।
इससे पहले कोलकाता में ममता बनर्जी की रैली में उन सबसे हाथ मिलाकर आये, जिनके भ्रष्टाचार की कभी गाथा गाते थे केजरीवाल। आज सब उनके लिए दूध के धुले हो गए। ऐसा क्यों कर रहे हैं केजरीवाल ?? केजरीवाल जी का सार्वजानिक जीवन बहुत बेदाग रहा है, उनकी एक अलग विश्वसनीयता है, जिसके कायल उनके वोटर, समर्थंक और यहाँ तक कि विपक्षी पार्टियाँ भी हैं। लेकिन आज सबकुछ, सारी विश्सनीयता, बेदाग छवि को ताक पर रखकर कांग्रेस से गठबंधन को बेचैन हैं केजरीवाल। कांग्रेस दुत्कारे जा रही है, और ये पीछे पीछे भागे जा रहे हैं कि गठबंधन कर लो। अपनी प्रतिष्ठा, छवि की बिलकुल परवाह नहीं केजरीवाल को। अपने समर्थको को भी जलील करवा रहे हैं केजरीवाल, जिधर निकलो उधर ही लोग मजाक उड़ाते हैं केजरीवाल का।
ऐसा क्यों कर रहे हैं केजरीवाल ? क्यों अपनी एकला चलो की नीति से समझौता कर के कांग्रेस से गठबंधन करने को बेचैन हैं ? क्यों अपनी छवि को ख़राब कर रहे हैं? उनको भी अच्छी तरह से मालूम है कि अगर एक बार जनता की विश्वसनीयता उन्होंने खो दी, तो दुबारा कभी नहीं पा सकेंगे। फिर भी कांग्रेस से गठबंधन करने को परेशान हैं। किस लिए ?? क्या मिल जायेगा केजरीवाल को ? क्या खो देंगे केजरीवाल, अगर उनकी पार्टी के एक भी सांसद नहीं होंगे लोकसभा में ? उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी तो नहीं चली जाएगी ? क्या पा लेंगे अगर उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव जीत जाते हैं ? प्रधानमंत्री तो नहीं बन जायेंगे केजरीवाल ? जब इस चुनाव में उनका कोई भी निजी हित दाव पर नहीं लगा है, तो क्यों कांग्रेस से गठबंधन करने को बेचैन हैं, क्यों उन्ही लोगो के साथ खड़े हैं जिनको कोस कोस कर, जिनसे आम जनता को मुक्ति दिलाने का वादा करके राजनीति में आये थे ?
केजरीवाल के मन को, उसके इरादों को समझना इतना आसान नहीं है। किसी का सपना होता है उच्च अधिकारी बनना, ऐश मौज की जिंदगी जीना। न जाने कितने ही छात्र अपने उज्जवल भविष्य के लिए लोक सेवा में नौकरी पाने की तमन्ना लेकर इसकी तैयारी करते रहते हैं। ये अपने उज्जवल भविष्य को ठोकर मारकर, झुग्गी में रहने चले गए। कोई साधारण, सामान्य व्यक्ति कर सकता है ऐसा ? बिलकुल नहीं। सरकारी नौकरी में चपरासी के पद पर काम करने वाला व्यक्ति भी नौकरी त्यागने की सोच भी नहीं सकता, और ये आयकर विभाग में सहायक आयुक्त की नौकरी छोड़कर गली गली धुल फाँकने के लिए निकल पड़े। किसके लिए ? जनता के लिए, उनके दुःख दर्द को दूर करने की कोशिश में इन्होने उस नौकरी को ठोकर मारी जिसके लिए सामान्य व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार रहता है। आसान नहीं है केजरीवाल को समझना और उससे भी मुश्किल है केजरीवाल बनना।
आज केजरीवाल अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई दौलत, अपनी विश्वसनीयता को ठोकर मार कर कांग्रेस के साथ गठबंधन को बेचैन है, तीसरे मोर्चे के साथ खड़ा है, किसके लिए ? जनता के लिए। इसको किसी राजनीतिक दल से प्यार नहीं है, इसको अपने आप से भी प्यार नहीं है, वरना अपनी विश्सनीयता को खतरे में नहीं डालता। इसको सिर्फ जनता से प्यार है। ये चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा जनता की सेवा कर सके, इसी लिए अपने ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करना चाहता है, ताकि इसके सांसद जनता की सेवा कर सके । अपनी इज्जत ,प्रतिष्ठा, विश्वसनीयता सब कुछ दाव पर लगा रखा है, सिर्फ जनता के लिए। ज्यादा सांसद होंगे तो ज्यादा जनता के काम होंगे। और कुछ नहीं चाहिए इसको। इसको मालूम है कि अकेले के दम पर इसके उम्मीदवार दूसरे राज्यों की तो छोड़िये, दिल्ली में भी नहीं जीत सकते। दिल्ली में मुकाबला त्रिकोणीय होने का अंदाजा है। भाजपा को हराना इतना आसान नहीं है, ये सबको समझ आ चुकी है। इसलिए विपक्षी वोटों के बिखराव को रोक कर अपने उम्मीदवारों की जीत को सुनिश्चित करना चाहता है। इसके लिए दिन प्रतिदिन जलालत का जहर पी रहा है ये केजरीवाल।
रविवार, 3 मार्च 2019
अनारक्षितों को 10% आरक्षण - मोदी का मास्टरस्ट्रोक।
13 जनवरी, 2019
काफी सालों से माँग की जा रही थी कि सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में विद्यमान जाति आधारित आरक्षण को ख़त्म किया जाए और इसके बदले आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए, ताकि सभी जाति के जरुरतमंदो को इसका फायदा मिल सके । लेकिन आजतक ऐसा हो न सका, कोई भी सरकार जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर इसकी जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की बात तो दूर कभी सोच भी नहीं सकी। वर्तमान आरक्षण व्यवस्था में शामिल लोगों की जनसँख्या बहुत ज्यादा है, इस व्यवस्था को ख़त्म करने का मतलब है इस वर्ग की नाराजगी मोल लेना। राजनीतिक दल किसी भी वर्ग को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती क्योंकि उनको इनका वोट लेना है। इसलिए वोट बैंक की राजनीति के कारण जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था अभी तक चली आ रही है और न जाने कितने सालों तक चलती रहेगी।
होने के कारण कोई भी राजनीतिक दल जो सत्ता में आई, इनको नाराज करने की
कोई लौटा दे मेरे, केबल वाले दिन।
3 मार्च, 2019
तू जहाँ भी चलेगा चलूंगी,
तेरा दुःख दर्द मैं बाँट लुंगी।
जी सकेगी न तुझ बिन अकेली,
मेरे सजना ये तेरी चमेली चमेली।
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सूर्या टीवी पर यही गाना आ रहा था, गाना क्या पूरी फिल्म आ रही थी। लेकिन झट से गाना बंद। नजर उठा के देखा की कहीं बादल की वजह से वीक सिग्नल तो नहीं लिखा।
आंग्ल भाषा में लिखा था, आपका अकाउंट डीएक्टिवेट हो गया है, रिचार्ज कराते समय सेट टॉप बॉक्स ऑन रखियेगा।
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ये है के साइड इफ़ेक्ट। जब केबल वाले से कनेक्शन लेकर यही सारे चैनल देखता था तब ऐसा नहीं होता था। केबल वाला अपनी / हमारी सुविधानुसार महीने के पैसे ले जाता था। लेकिन जबरदस्ती सेट टॉप बॉक्स थोप दिया गया शायद 2011 - 2012 में। और तब से शोषण ही शोषण।
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तब कहा जाता था कि केबल वाले 100 कनेक्शन लगाकर सिर्फ 10 के ही पैसे देते हैं चैनल वालों को। इसलिए उनको घाटा लगता है। सेट टॉप बॉक्स लगेगा तो उनको घाटा नहीं लगेगा फिर या तो हमको प्रचार दिखाएंगे या फिर हमसे चैनल कर शुल्क लिया जायेगा। हम भी खुश हो गए।
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आज तक यही समझा कर जब तब शुल्क बढ़ा दिया जाता है, और हम लोग चुपचाप सहन करते रहते हैं। क्योंकि मनोरंजन बड़ी चीज है।
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कोई लौटा दे मेरे, केबल वाले दिन।
मंगलवार, 29 जनवरी 2019
जब हम चढ़ गए महिला कोच में !
शिव विहार वाली मेट्रो में हूँ, घोषणा हो रही है कि गाड़ी की गति की दिशा में पहला डिब्बा महिलाओं के लिए आरक्षित है। उससे पहले रिठाला वाली मेट्रो में था, उसमे आते हुए पहला और जाते हुए आखिरी डिब्बा महिलाओं के लिए रिजर्व्ड है। अब महिलाओं को कन्फ्यूजन होगी कि किस लाइन पर कौन सा डिब्बा रिजर्व्ड है।
एक बार मैं रिठाला से आते हुए पहले डिब्बा में बैठ गया, तो एक आंटी को बहुत बुरा लगा। बोली दूसरे डिब्बे में जाओ। फिर 2-4 लोग और आ गए। उनको भी यही कहा कि ये महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बा है, सब दूसरे डिब्बे में जाओ। मानने को तैयार ही नहीं थी कि आते हुए पहला और जाते हुए दूसरा डिब्बा रिजर्व्ड है उनके लिए।
ऐसा कंफ्यूजन बनाया पुरानी कांग्रेसी सरकार ने। पहले तो लेडीज के लिए पहली कोच आरक्षित कर दी तो महिलाएं बहुत खुश हुई। अब महिलाओं को ज्यादा खुश करने के लिए, हर प्लेटफार्म पर गुलाबी रंग से इंडिकेशन मार्क लगवा दिया, ताकि महिलाओं को पहला डिब्बा ढूंढने में दिक्कत न हो। लेकिन गलती ये कर दी कि दोनों गुलाबी मार्क आमने सामने लगवा दिए। पैसा खूब खर्च किया ये सोचकर कि महिलाएं फिर से दिल्ली और केंद्र में सरकार बनवा देगी। लेकिन महिलाओं को अब दिक्कत होने लगी । पिंक इंडिकेशन पर खडे रहते तो जाती हुई ट्रेन का आखिरी डिब्बा इनके सामने होता अब फिर उनको चलकर पहले डिब्बे तक जाना पड़ता था। महिलाओं को दिक्कत होने लगी। कांग्रेस को लगा कि अब तो लेने के देने पड़ जायेंगे। महिलाओ के वोट के लिए लुभावन फैसला किया, पैसे भी लगवा दिए रंगाई पुताई में, और महिलाओ की दिक्कत कम होने के बदले बढ़ ही गई, ज्यादा खुश करने के चक्कर में ज्यादा नाराज कर दिया महिलाओ को।
अब क्या करते, कैप्री बनाने के चक्कर में पैंट को काटा, लेकिन अब पैंट कैप्री के बदले निक्कर बन गया। तो निक्कर के फायदे गिनाने लगे और आती हुई ट्रेन में घोषणा करवा दी की पहली कोच महिलाओं के लिए आरक्षित है, और जाती हुई ट्रेन में आखिरी डिब्बा महिलाओ के लिए आरक्षित है। वॉइस रेकॉर्डिंग आर्टिस्ट को भी पैसे देने ही पड़े होंगे। लेकिन फिर भी महिलाओ के वोट ने मिले कांग्रेस को और 2013 में दिल्ली की सत्ता गई और 2014 में केंद्र की सत्ता से बेदखल हो गए। क्या दिक्कत हो जाती अगर रंग रोगन न करवाते कांग्रेस वाले ? पैसा भी खर्च नहीं होता बेवजह, महिलाये भी किसी भी ट्रेन के पहले कोच को अपने लिए आरक्षित समझती।
गुरुवार, 17 जनवरी 2019
चुटकुले - 1
लड़कियों कों भी हर क्षेत्र में आगे
बढना चाहिए
😂😘😍😍✌👍
कब तक हम लड़के
ही अपनी तरफ से हाय हेल्लो नाइस
लिख कर भेजेंगे
😎😍😉😅
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दो अफसर लड़ रहे थे,
पहला:मुझे पता है की तुम किस का हुक्म मानते हो किसके इशारों पर चलते हो
दूसरा:बीवी तक मत जा मैं बता रहा हूं😜😜🤣🤣🤣🤣
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*पता नहीं लोग कैसे दिनभर फेसबुक मे घुसे रहते हैं.......*☝🏻🤔
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*मेरा तो 12-13 घंटे मे ही दम घुटने लगता हैं।*✋🏻😝
😜🤪😜🤪😜🤪😜🤪😜🤪😜
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प्यार की अपनी कोई भाषा नहीं होती साहब
शहर में " अफेयर" कहलाता है और
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गाँव में "😂😂😂लफड़ा"😂😂😂
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बहुत अच्छी खासी प्यार भरी
चैटिंग हुआ करती थी रोज
फिर एक दिन उसने चलो अब सोती हूं
की जगह सोता हूं लिख दिया ?
भगवान कसम इंसानियत से भरोसा उठ गया।
😂😂😂😂😂😂😂😂😁😀
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मुझे आज तक प्यार करने वाली लडकी इस लिए नहीं मिली क्योंकि...
मैं पहले दिन ही बता देता हूँ:
*जानू, रिचार्ज _अपना अपना_।*
😂🤗😋😛😆
☺
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बार-बार *सीए* की परीक्षा में फेल होने पर
आखिरकार तंग आकर उसने बल्ब बनाने की
फैक्ट्री डाली। और इसी तरह माकेर्ट मे आया
*सीएफेल बल्ब*।💡😉😜😝😂😃😄😁
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वैद्य (रोगी से) : मैंने तुम्हें कल खांसी के लिए जो काढ़ा दिया था, वह तुमने पीया?
मरीज : मैंने काढ़ा बनाकर चखा था, फिर सोचा कि इससे तो खांसी भली...
😜😂
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कहते है कि ...
"आदमी गलती करके ही सीखता है..!!!"
"कृपया ध्यान दीजिये" सिर्फ आदमी "औरत"नही..!!😉
😂😂😂😂😂😂😂😂😂
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🤣😍🅱😈😜
*कहते हैं किसी की परिस्थिति*
*पर मत हंसो*🤨
*वही परिस्थिति हमारी भी हो*
*सकती है*😟
*इसलिए मैं रोज सिर्फ अंबानी*
*की परिस्थिति पर हंसता हूं.*🙈😝
😜🤣😍🅱😈😆😆😆😆😅
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लडके का बाप-: क्या करती है आपकी लडकी....?
लडकी का बाप-: Actor है Tik Tok पर.....
और आपका लडका....?
लडके का बाप: आर्मी में है PUBG में.......
😆😆😆😆
😂😂😂😂😂😂😂😂😂
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हमारी रईसी की क्या
*बराबरी करोगे*😎
*हम तो नहाते भी सबसे मंहगे*
पेंट की बाल्टी में हैं👑🙁
😁😃🥳😝😂🤣😝🥳