अभी पिछले दिनों ही एक व्यक्ति, दिल्ली सरकार के सचिवालय में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर मिर्ची पाउडर फेंक दिया। स्तब्ध करने वाली घटना है। घटना के तुरंत बाद ही इसकी वीडियो भी सोशल मिडिया में शेयर होने लगी। वीडियो में साफ़ साफ देखा जा सकता है कि हमलावर बड़े ही आत्मीय तरीके से केजरीवाल जी से बात करता है और जब वो जाने लगते हैं तब उनके ऊपर मिर्ची पाउडर छिड़क देता है। मानो यह छिड़कना बहुत जरुरी रहा हो उसके लिए। बाद में खबर आई कि हमलावर अपने माताजी के इलाज के लिए सहायता हेतु केजरीवाल जी के पास मदद माँगने आया था। आम आदमी पार्टी की तरफ से इसकी कड़ी निंदा की गई। विभिन्न दलों के नेताओं ने भी अपने अपने तरीके से इस पर प्रतिक्रिया दी। इसके बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं द्वारा भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।
यह पहली घटना नहीं है जब केजरीवाल जी के ऊपर इस तरह से हमला हुआ हो। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब चुनाव प्रचार के दौरान एक ऑटो ड्राइवर ने केजरीवाल जी को थप्पड़ मार दिया था। सारा देश सन्न रह गया था, इस घटना पर। हालाँकि इससे पहले भी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शरद पवार को किसी ने थप्पड़ मार दिया था, लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि कोई इस तरह से केजरीवाल जी को थप्पड़ मार देगा। क्योंकि उसे समय आम आदमी, गरीबों के मसीहा बन कर उभरे थे। उसके बाद जब अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर छत्रसाल स्टेडियम में केजरीवाल जी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे तो किसी महिला ने उनके ऊपर स्याही फेंक दिया था। तब भी इस घटना की कड़ी निंदा की गई थी। महिला को हिरासत में भी लिया गया था, इस बार भी हमलावर को हिरासत में लिया गया। लेकिन इस तरह के हमले बहुत ही हलके धाराओं के अंतर्गत दर्ज होते हैं और हमलावर को कड़ी सजा नहीं मिल पाती है।
सवाल ये उठता है कि केजरीवाल जी पर ही बार बार ऐसे हमले क्यों होते हैं ? क्या मजा आता है हमलावर को ऐसी हरकत करने में ? कुछ विपक्षी नेता का बयान आता है कि ये केजरीवाल के प्रति जनता का गुस्सा है। ऐसा क्या कर दिया केजरीवाल जी ने जो जनता इतनी आक्रोशित हो गयी ? और ये इकलौता शख्स पूरी जनता के गुस्से का प्रतिनिधि कैसे बन गया ? जिधर केजरीवाल जी के कामो की देश विदेश में मिशाल दी जा रही है, प्रशंसा की जा रही है, उधर एक दिल्ली वासी को किस बात पर गुस्सा आ गया कि ऐसी हरकत कर बैठा ? चलो गुस्सा ही है तो क्या पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ केजरीवाल ही है जिसके प्रति लोगों का गुस्सा है ? किसी नेता की नीति और कार्यों से नाखुश होना अलग बात है लेकिन ये क्या तरीका हुआ गुस्सा निकालने का ? इसको सिर्फ गुस्सा निकालने का तरीका मान कर चुप नहीं रहा जा सकता।
हकीकत तो ये है कि केजरीवाल या फिर उनकी पार्टी के अलावा और किसी राजनीतिक दल का नेता जनता के इतने करीब ही नहीं जाते कि किसी की हिम्मत हो सके उनको छूने की। थप्पड़ मारना या फिर स्याही फेंकना तो दूर की बात है। कभी दूसरे पार्टी के नेता, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आम जनता के बीच जाते भी हैं तो इतने सारे सुरक्षाकर्मी से घिरे होते हैं कि किसी की हिम्मत भी नहीं हो सकती बदतमीजी करने की। तो जनता से करीबी की सजा मिल रही है केजरीवाल को ? जिस आम आदमी, आम जनता के करीब कोई दूसरा मुख्यमंत्री, मंत्री जाने की जहमत नहीं उठाता, उसके पास जाकर, उसका हाल मिजाज पूछकर गुनाह कर दिया केजरीवाल ने ? जनता को अपने करीब आने देना ही सबसे बड़ी गलती है केजरीवाल की ? जनता को समझने की जरुरत नहीं है ? इस बात को सोचना नहीं चाहिए कि अगर कोई मुख्यमंत्री आत्मीयता से मुलाकात कर रहा है तो उसको उचित मान सम्मान दे, बजाय बदतमीजी करने के ? जनता कब समझदार होगी ?
सवाल ये उठता है कि केजरीवाल जी पर ही बार बार ऐसे हमले क्यों होते हैं ? क्या मजा आता है हमलावर को ऐसी हरकत करने में ? कुछ विपक्षी नेता का बयान आता है कि ये केजरीवाल के प्रति जनता का गुस्सा है। ऐसा क्या कर दिया केजरीवाल जी ने जो जनता इतनी आक्रोशित हो गयी ? और ये इकलौता शख्स पूरी जनता के गुस्से का प्रतिनिधि कैसे बन गया ? जिधर केजरीवाल जी के कामो की देश विदेश में मिशाल दी जा रही है, प्रशंसा की जा रही है, उधर एक दिल्ली वासी को किस बात पर गुस्सा आ गया कि ऐसी हरकत कर बैठा ? चलो गुस्सा ही है तो क्या पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ केजरीवाल ही है जिसके प्रति लोगों का गुस्सा है ? किसी नेता की नीति और कार्यों से नाखुश होना अलग बात है लेकिन ये क्या तरीका हुआ गुस्सा निकालने का ? इसको सिर्फ गुस्सा निकालने का तरीका मान कर चुप नहीं रहा जा सकता।
हकीकत तो ये है कि केजरीवाल या फिर उनकी पार्टी के अलावा और किसी राजनीतिक दल का नेता जनता के इतने करीब ही नहीं जाते कि किसी की हिम्मत हो सके उनको छूने की। थप्पड़ मारना या फिर स्याही फेंकना तो दूर की बात है। कभी दूसरे पार्टी के नेता, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आम जनता के बीच जाते भी हैं तो इतने सारे सुरक्षाकर्मी से घिरे होते हैं कि किसी की हिम्मत भी नहीं हो सकती बदतमीजी करने की। तो जनता से करीबी की सजा मिल रही है केजरीवाल को ? जिस आम आदमी, आम जनता के करीब कोई दूसरा मुख्यमंत्री, मंत्री जाने की जहमत नहीं उठाता, उसके पास जाकर, उसका हाल मिजाज पूछकर गुनाह कर दिया केजरीवाल ने ? जनता को अपने करीब आने देना ही सबसे बड़ी गलती है केजरीवाल की ? जनता को समझने की जरुरत नहीं है ? इस बात को सोचना नहीं चाहिए कि अगर कोई मुख्यमंत्री आत्मीयता से मुलाकात कर रहा है तो उसको उचित मान सम्मान दे, बजाय बदतमीजी करने के ? जनता कब समझदार होगी ?
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