28 सितम्बर, 2018
अनूप जलोटा और जसलीन मथारू का प्यार राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। जबकि हमें उनसे कोई मतलब नहीं है,और ना ही मतलब होना चाहिए। लेकिन दूसरों के बारे में बात करते वक्त हम कितने जजमेंटल हो जाते हैं। यह सही है या गलत है। ऐसा होना चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए।
यही सब कुछ प्रियंका चोपड़ा और निक की सगाई के बाद भी हुआ। क्या हम किसी को किसी से प्यार करने के लिए सिर्फ इसलिए रोक सकते हैं कि उनमे उम्र का बहुत अधिक अंतर है।
दिलीप कुमार और सायरा बानो का प्यार और शादी क्या हमें खामोश रहनें के लिए मजबूर नहीं करता? प्यार को हम कब तक जाति ,धर्म ,लिंग ,देश,आर्थिक आधार और उम्र के आधार पर मापते रहेंगे।
किसी को तकलीफ तब नहीं होती है ,जब एक छोटी कम उम्र की लड़की का ब्याह उससे दुगनी उम्र के आदमी से कर दिया जाता है। और वह लड़की इसे अपनी किस्मत मानकर जिंदगी भर इस रिश्ते को निभाती रहती है। लेकिन जहां प्यार पारस्परिक है वह हमारे गले नहीं उतरता है।
क्या हमें दूसरों के निजी मामले में बोलने का हक है? कभी खाली बैठियेगा तो जरूर सोचियेगा .......
नूपुर श्रीवास्तव
0 टिप्पणियाँ:
टिप्पणी पोस्ट करें