5 अप्रैल 2017
कई साल पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। अभी तक केस चल रहा है। राजनीतिक जीवन में राजनेताओं पर मुक़दमे होते ही रहते हैं, कुछ बदले की भावना से तो कुछ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर तो कुछ मानहानि के। इसमे कुछ नया नहीं है। एक मिनट को आम आदमी तो घबरा भी जाए ऐसे मुकदमो से, लेकिन राजनेताओं को शायद ही घबराहट होती हो। इस मुकदमें में तो अब सुनवाई भी शुरू हो चुकी है। पिछले महीने अरुण जेटली जी का केजरीवाल जी के वकील राम जेठमलानी जी द्वारा क्रॉस एग्जामिनेशन भी हुआ था। ये केस शुरू से ही चर्चे में था।
अभी इसकी चर्चा केजरीवाल जी के वकील राम जेठमलानी जी को दी जाने वाली फ़ीस को लेकर है। खबर है कि वकील साहेब की फ़ीस, जो कि तीन करोड़ के करीब है, के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार को वकील साहेब ने बिल भेज दिया। दिल्ली सरकार ने कानून विभाग को भुगतान के लिए निर्देश दिए। लेकिन अब मामला उपराज्यपाल महोदय के पास है। LG साहेब बिल पास करेंगे तो भुगतान होगा, नहीं पास करेंगे तो भुगतान नहीं होगा। कायदे से तो LG साहेब सिर्फ सरकारी बिलों को ही पास करेंगे, यानि जो खर्चा मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर विभागों का होता है उसी को पास करेंगे।
जेटली जी ने कोर्ट में कहा था कि केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं इसलिए लोग उनकी बात पर विश्वास करते हैं जिससे उनकी मानहानि हुई। मतलब कि एक सामान्य इंसान के रूप में अगर केजरीवाल जी सामाजिक कार्यकर्त्ता मधु किश्वर जी के उस ट्वीट को रिट्वीट करते तो मानहानि नहीं होती, लेकिन चूँकि एक मुख्यमंत्री ने रिट्वीट किया है इसलिए उनके सम्मान को अपूरणीय क्षति हुई है। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल जी ने सिर्फ ट्वीट को रिट्वीट किया था, अपनी तरफ से कोई इल्जाम नहीं लगाए थे। लेकिन जेटली जी ने मधु किश्वर जी पर तो कोई केस नहीं किया, रिट्वीट करने वाले अरविन्द केजरीवाल जी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया।
अब अगर LG साहेब इस बिल को पास नहीं करते हैं, यह मानकर कि मुकदमा तो अरविन्द केजरीवाल पर एक आम इंसान के तौर पर हुआ है, किसी मुख्यमंत्री पर नहीं तो कोर्ट में यह दलील दी जा सकती है कि मानहानि तो एक आम इंसान ने किया है, मुख्यमंत्री ने नहीं। फिर जेटली जी की यह दलील हल्की पड़ जाती है कि एक मुख्यमंत्री के रिट्वीट करने के कारण उनके सम्मान की अपूरणीय क्षति हुई है।
वैसे भी, रिट्वीट शायद अरविन्द केजरीवाल जी के निजी ट्वीटर अकाउंट से हुआ था, दिल्ली के मुख्यमंत्री के सरकारी अकाउंट से नहीं। अगर LG साहेब बिल पास कर देते हैं तो यह माना जायेगा कि मानहानि का मुकदमा मुख्यमंत्री पर है, लिहाजा मुक़दमे का खर्चा दिल्ली सरकार को उठाना पड़ सकता है। तो ये है केजरीवाल का मास्टर स्ट्रोक। गजब का दिमाग पाया है इस IITian ने।
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