3 नवम्बर 2016
कल का दिन ऐतिहासिक दिन था। इसलिए नहीं कि बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का जन्म दिन था, वो तो था ही, बल्कि इसलिए कि वन रैंक वन पेंशन (OROP) के ठीक से लागु होने में देरी के कारण एक पूर्व सैनिक को आत्महत्या करनी पड़ी। जिसने सुना वही अचम्भित हो गया। खबर मिलते ही दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मृतक पूर्व सैनिक के परिजन से मिलकर अपनी संवेदना प्रकट करने, उनको सांत्वना देने, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे, जहाँ मृत्यु से पहले पूर्व सैनिक का इलाज किया जा रहा था। लेकिन ये क्या ? उनको दिल्ली पुलिस ने मृतक के परिजनों से मिलने नहीं दिया। और तो और दिल्ली पुलिस ने प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री को हिरासत में भी ले लिया।
इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुँचे जहाँ मृतक के शरीर का पोस्टमार्टम किया जा रहा था। मुख्यमंत्री भी मृतक के परिजन से मिलकर अपनी संवेदना प्रकट करना चाहते थे, सांत्वना देना चाहते थे। लेकिन उनको भी दिल्ली पुलिस द्वारा मृतक के परिजनों से मिलने नहीं दिया गया। उनको भी बाद में पुलिस हिरासत में ले लिया गया। इन सबके खिलाफ आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने पर धरना भी दिया गया, दिल्ली पुलिस एवं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में नारे भी लगाए गए। प्रदेश के मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री द्वारा जनता से मिलना, खासकर ऐसे मौको पर जब किसी के परिवार में हादसा हो गया हो, कोई नई बात नहीं है।
अभी दो दिन पहले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, भोपाल में कैदियों की फरारी के दौरान शहीद हुए सुरक्षाकर्मी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की थी, उनको सांत्वना दी थी, अर्थी को कन्धा भी दिया था। लेकिन दिल्ली पुलिस ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को हिरासत में लेकर इतिहास ही रच दिया। क्या गजब हो जाता अगर मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री मृतक के परिजन से मिल लेते ? कानून व्यवस्था को क्या खतरा हो जाता अगर मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री मृतक के परिजनों को सांत्वना दे देते ? शिवराज सिंह को तो मध्य प्रदेश की पुलिस ने न तो शहीद के परिजनों से मिलने से रोका था और न ही हिरासत में नहीं लिया था।
मतलब दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के नियंत्रण में नहीं है तो दिल्ली के मंत्रियों को लेकर कोई भी फैसला ले सकती है ? विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने ही प्रदेश के पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री हिरासत में लेकर दिल्ली पुलिस ने वाकई में एक नया इतिहास रच दिया, इतिहास में एक नई इबारत लिख दी।
Om Thanvi @omthanvi 4h4 hours ago
जवाब देंहटाएंNDTV इंडिया पर प्रतिबंध अघोषित इमरजेंसी का पैग़ाम है। प्रतिबंध के रोज़ हर चैनल व हर अख़बार को प्रतिरोध में अपने परदे/पन्ने काले रखने चाहिए।
2-काकावाणी @AliSohrab007 2m2 minutes ago
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3-देशवासियों से धोखेबाजी के दोषी हैं पीएम नरेंद्र मोदी : जेठमलानी http://khabar.ndtv.com/news/india/modi-guilty-of-fraud-says-jethmalani-1239749 via @NDTVIndia
4-BBC हिंदी - 24 घंटे के लिए ऑफ एयर होगा एनडीटीवी इंडिया? http://www.bbc.com/hindi/india-37866968?ocid=socialflow_twitter&post_id=775469189234717_1109777342470565
5-K Khorana @oldkrish Nov 2
Minister VK Singh's mental state needs to be examined for his questioning "OROP MARTYRED" suicide JCO. A filthy political statement.
6-क्या मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता से मिलने का हक़ नहीं ? -- http://www.mrityunjayshrivastava.com/2016/11/blog-post_3.html
7-हमारे हिंदी चैनल एनडीटीवी इंडिया के खिलाफ आए आदेश पर एनडीटीवी का बयान http://khabar.ndtv.com/news/india/ndtv-statement-on-order-against-our-hindi-channel-ndtv-india-1621189 via @NDTVIndia
8-सीधी बात @SedheBaat 6h6 hours ago
इन्होने ने ऐसे CM को गिरफ्तार किया है जिसने देश के आजादी के इतिहास में अबतक का सबसे अधिक मुआवजा जवानों को दिया है#ModiDitchedOnOROP pic.twitter.com/NgnQhrx4Vk
https://plus.google.com/105827374601478461542/posts/VxbxmdVnuYX
जवाब देंहटाएंKunal Sehgal 🇮🇳 @iambeingkunal 26m26 minutes ago
जवाब देंहटाएंJust an FYI
@ArvindKejriwal @DrKumarVishwas
#BackToJNU
#OROPSuicidePolitics
#ModiDitchedOnOROP pic.twitter.com/MaFFgSxPQ6
ऐसे मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए तो क्या वीडियो गेम खेलना चाहिए
जवाब देंहटाएंhttp://khabar.ndtv.com/news/blogs/ravish-kumars-blog-on-bhopal-encounter-issue-1620956
ऐसे मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए तो क्या वीडियो गेम खेलना चाहिए
भोपाल में जेल से भागे सिमी के सदस्यों के कथित एनकाउंटर मामले में सियासत गरमाई हुई है (फाइल फोटो)आए दिन कोई न कोई नेता या संवैधानिक प्रमुख, अपने ठोंगे से मूंगफली की तरह उलट कर ये सुझाव बांटने लगता है कि ऐसे मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम कंफ्यूज़ हैं कि वो कौन से ‘ऐसे मामले’ हैं जिन पर राजनीति नहीं हो सकती है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये बात कही है. खुद संवैधानिक पद पर रहते हुए आरोपी को क्रूर आतंकवादी बता कर ट्वीट कर रहे हैं, क्या ये राजनीति नहीं है? क्या ये उन्हीं ‘ऐसे मामलों’ में राजनीति नहीं है, जिन पर राजनीति न करने की सलाह बाकियों को दे रहे हैं?
मुख्यमंत्री को इतना तो पता होगा कि जब तक आरोप साबित नहीं होते तब तक किसी को आतंकवादी नहीं कहना चाहिए. पर वे खुलकर क्रूर आतंकवादी लिख रहे हैं. इसका मतलब यह नहीं कि मारे गए लोग निर्दोष हैं पर सज़ा अदालत देगी या मुख्यमंत्री ट्विटर पर देंगे. क्या इस देश में सिखों को, मुसलमानों को और बड़ी संख्या में हिन्दुओं को फर्ज़ी एनकाउंटर में नहीं मारा गया है? क्या ये सही नहीं है कि सभी दलों की सरकारों ने ये काम किया है? अगर एनकाउंटर संदिग्ध नहीं होते हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन क्यों बनाई है? क्या मुख्यमंत्री को सुप्रीम कोर्ट का आदर नहीं करना चाहिए?
एनकाउंटर अदालत की निगाह में एक संदिग्ध गतिविधि है. एक नहीं, सैकड़ों उदाहरण दे सकता हूं. वैसे भी इस मामले में किसी राज्य का मुख्यमंत्री कैसे बिना साबित हुए क्रूर आतंकवादी लिख सकता है. क्या हमारे राजनेता अपने ऊपर लगे आरोपों को बिना फैसले या जांच के स्वीकर कर लेते हैं? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पार्टी के नेताओं और सरकार के अधिकारियों पर व्यापम घोटाले के तहत लगे आरोपों को बिना अंतिम फैसले के स्वीकार करते हैं. जब हमारे नेताओं ने अपने लिए कोई आदर्श मानदंड नहीं बनाए तो दूसरों के लिए कैसे तय कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश के एंटी टेरर स्कावड................
पहली बार प्रकाशन: नवम्बर 3, 2016 04:09 PM IST