उरी हमले दे बाद से ही पूरा देश चिंता मग्न और तनाव में था। निराशा बढ़ती जा रही थी और सरकार की तरफ से कुछ ठोस किये जाने का इंतज़ार था। जाहिर है, कोई भी जिम्मेदार सरकार बिना कुछ तैयारी के, बिना सोचे समझे कोई फैसला नहीं लेती है।
ऐसे में मोर्चा संभाल लिया कुछ अति-उत्साही लोगों ने। किसी रेलवे स्टेशन पर टैंक की फोटो खींच कर सोशल मीडिया में शेयर करने लगे कि अब बदले की कार्रवाई शुरू हो रही है। इस खबर में कितनी सच्चाई है नहीं पता, लेकिन लगे कुछ लोग इसको धड़ल्ले से शेयर करने।
अगर ये सच भी है तो क्या ऐसे होगा ? सेना की तैयारियों की कहीं से जानकारी मिल जाए तो पब्लिक डोमेन में ऐसे शेयर करेंगे ? कुछ जिम्मेदारी है कि नहीं ? कभी सोचा है कि ऐसी चीजें शेयर करते करते कहाँ तक जा सकती है ? क्या जिनके खिलाफ हम तैयारियाँ कर रहे हैं वो सतर्क नहीं हो जाएँगे ?
मीडिया ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। चीख चीख कर अपने चैनलों पर बता रहे हैं कि सीमा पर के गाँव खाली कराए जा रहे हैं। कभी भी कुछ हो सकता है। कुछ चैनेल ने तो बाकायदा, गाँव खाली करने वालों के बाइट भी लिए।
आज एक चैनेल पर दिखाया जा रहा था कि सीमा के पास के गांव में लोगों की सुरक्षा के लिए क्या किए जा रहे हैं। कैसे बंकर बनाए जा रहे हैं। और भी सारी बातें पूरे विस्तार से समझा रहे थे। ये पत्रकारिता का धर्म है ? आखिर किसकी मदद कर रहे हैं ऐसे चैनल वाले, इस तरह ही खबरें दिखा कर ?
मेरा मानना है कि सेना और सरकार की जो भी तैयारी हो उसको गुप्त रखा जाए। जितनी जरूरत हो उतनी ही जानकारी साझा की जाए। बेवजह जानकारियों को फैलाया न जाए।
अगर कहीं से जानकारी मिल भी जाए तो अपने तक ही रखा जाए।
Yes it should be the responsibility of each and every citizen of India.
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