उरी हमले को एक हफ्ते से ज्यादा हो चूका है। हमले के बाद से ही खूब सारी बातें हो रही है। मंत्रियों ने बहुत बयान दिए। फिर न्यूज चैनलों ने मोर्चा संभाला। भारत ये कर सकता है, भारत वो कर सकता है। भारत ऐसे मुंह तोड़ जवाब देगा, भारत ऐसे दुश्मनों को मिटटी में मिलाएगा। मतलब जितने मुँह उतनी बातें। जनता को भी बड़ी उम्मीद थी। इस बार उन्होंने ऐसे शख्स को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन किया है जो सत्ता में आने से पहले 1 के बदले 10 सर लाने की बात करता था। लोगों को पक्का यकीन था कि अब तो 18 के बदले 180 सर आने ही वाले हैं। अब तो पाकिस्तान को कोई नहीं बचा सकता।
एक-एक दिन के साथ लोगों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है। मोदी जी अभी बदला लेंगे। मोदी जी आज बदला लेंगे। नहीं, मोदी जी जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लेंगे। मोदी जी पूरी तैयारी के साथ बदला लेंगे। लेकिन अभी तक हुआ कुछ नहीं है। बीच में अफवाह भी फैली थी कि नियंत्रण रेखा पार करके हमारी सेना ने 18 - 20 आतंकवादियों को मार गिराया है। दिल को थोड़ी तसल्ली हुई कि चलो 1 के बदले 10 नहीं तो 1 के बदले 1 ही सही। आखिर बदला तो लिया जा रहा है न। लेकिन दूसरे दिन ही भारतीय सेना ने ऐसे किसी अभियान से इंकार कर दिया। अब तो इंतजार की किया जा रहा है कि मोदी जी अब बदला लेंगे, मोदी जी कब बदला लेंगे ?
कोई चैनेल कह रहा कि मोदी जी पाकिस्तान का पानी बंद कर देंगे, तभी दूसरा कह रहा कि पानी बंद करना मुमकिन और वाजिब नहीं होगा। फिर मोदी जी कैसे बदला लेंगे ? युद्ध करेंगे नहीं क्योंकि कहा जा रहा है कि युद्ध से किसी का भला नहीं होता। फिर खबर आई कि मोदी जी पाकिस्तान को अलग-थलग कर देंगे। उसके बाद पता चला कि रूस ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास करने से मना कर दिया है। लगा कि चलो कूटनीति तो सफल हो रही है मोदी जी की। दूसरे दिन ही खबर आई की सैनिक अभ्यास शुरू हो गया है। फिर भी कहा जा रहा है कि मोदी जी बदला लेंगे।
अभी केरल में भाषण के दौरान मोदी जी ने पाकिस्तान की जनता से संवाद किया। गए थे केरल के निवासियों को संबोधित करने और वहीं से करने लगे पाकिस्तान की जनता से संवाद। पाकिस्तानियों को समझाने लगे कि भूख से लड़ो, गरीबी से लड़ो। ये कौन सा तरीका है बदला लेने का ? पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने का यही तरीका है ? सुना है कि आज शाम सुषमा स्वराज भी पाकिस्तान को करारा जवाब देंगी। मतलब कि पाकिस्तान को करारा जवाब सिर्फ भाषणों के जरिए और बयानों जरिए ही दिया जाएगा ? देश की जनता इस उम्मीद में आस लगाए बैठी है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे मोदी जी। इधर मोदी जी और उनके मंत्री भाषणों के द्वारा जवाब दे रहे हैं।
ऐसा जवाब मनमोहन सिंह नहीं देते थे क्या ? फिर क्या फर्क रहा 56 इंच वाले में और उनमें ? इस तरह का करारा जवाब तो कवि सम्मेलन की हर शाम वीर रस के कवि पाकिस्तान को देते रहते हैं। वीर रस के कवि अपनी कविताओं में खूब ललकारते हैं पाकिस्तान को। तो क्या सिर्फ बयानबाजी से ही पाकिस्तान डर जाएगा ?
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