जम्मू-कश्मीर में उरी अटैक के बाद से तरह-तरह की बातें हो रही है। नेता तो फिर भी संभल कर, संयमित होकर बयान दे रहे हैं लेकिन कुछ लोगों में लगता है संयम भी नहीं रहा। बिलकुल अधीर हो गए हैं। तरह-तरह की बातें की जा रही है सोशल मीडिया में। सोशल मीडिया तो जैसे आसान-सा साधन एवं माध्यम बन गया है कुछ भी बोलने वाले लोगों के लिए। पिछले कुछ दिनों से कुछ तस्वीरें शेयर की जा रही है, बताया जा रहा है कि किसी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन है और इसको पाकिस्तान से लड़ने के लिए भेजा जा रहा है।
कुछ लोग खबर दे रहे हैं कि भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकवादी ठिकाने नष्ट किये हैं। कुछ कह रहे हैं कि 18 आतंकवादी मारे गए तो कुछ कह रहे हैं कि 20 मारे गए। एक न्यूज पोर्टल ने तो इस पर पूरी रिपोर्ट ही प्रकाशित कर दी। उसको भी सोशल मीडिया में खूब शेयर किया जा रहा है। लेकिन खबर है कि भारतीय सेना ने इस बात से पूरी तरह से इंकार किया है कि हमारी सेना ने नियंत्रण रेखा पार किया। जब सेना खुद ही इस बात से इंकार कर रही है तो इस तरह की खबरों को फ़ैलाने का क्या मतलब ?
शुक्र है कि बहु-प्रचलित अखबारों और न्यूज वेबसाइट्स ने इस खबर को नहीं फैलाया। वरना ज्यादा लोग इस पर भरोसा कर लेते। उरी अटैक से पूरा देश आहत है और जवाबी कार्रवाई चाहते हैं। लेकिन वस्तुस्थिति को समझना और तदनुसार फैसला लेना सरकार और प्रधानमंत्री जी का काम है। लोग तथा विपक्षी दल तो अपने आहत मन की चिंता और व्याकुलता तो प्रकट करेंगे ही। इसका मतलब ये थोड़े ही न कि झूठी बयानबाजी शुरू हो जाए।
प्रचार करना और प्रशंसा पाना अलग बात है लेकिन राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी भी तो मायने रखती है। कुछ गैर-जिम्मेदार लोग इस बात को भी फैला रहे हैं कि भारतीय सेना क्यों युद्ध करने की स्थिति में नहीं है। पूरे विस्तार से इस बात को फैला रहे हैं सोशल मीडिया मैं। मुझे नहीं पता कि इन सब बातों में कितनी सच्चाई है, लेकिन क्या यह सब बातें सोशल मीडिया में फ़ैलाने योग्य है ? अंदरूनी राजनीति अपनी जगह लेकिन देश के प्रति भी तो कोई जिम्मेदारी है कि नहीं ?
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