कल दिल्ली के उप मुख्यमंत्री पर एक व्यक्ति ने स्याही फेंक दी।
बहुत गुस्से में लग रहे थे। कह रहे थे कि जनता के पैसे से ये विदेश घूम रहे हैं।
भाई, पहली बार कोई मंत्री या विधायक विदेश गया है ? क्या इससे पहले कोई विदेश नहीं गया ?
उन लोगों पर कभी गुस्सा आया तुमको ? कभी तुमने उनका विरोध किया ? वो लोग अपने पैसे से विदेश जाते हैं या थे क्या ?
कह रहे थे कि मेरा सम्बन्ध किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं है। इसका क्या मतलब ? किसी पर स्याही फेंक दोगे ?
कह रहे थे कि दिल्ली वाले डेंगू और चिकुनगुनिया से जूझ रहे हैं और डिप्टी सीएम बाहर घूम रहे हैं। स्वास्थ्य का विभाग तो स्वास्थ्य मंत्री का होता है न ? वो दिल्ली में नहीं थे ?
अब स्याही फेंक देने से दिल्ली में डेंगू और चिकुनगुनिया का आतंक कम हो गया ? या बिलकुल ख़त्म हो गया ?
गुस्सा है तो गुस्सा निकालने का ये कौन सा तरीका है ?
विरोध करने का ये क्या तरीका है ? इससे सारी समस्याएँ ख़त्म हो गयी दिल्ली की ?
कभी भाजपा या कांग्रेस के किसी छोटे से ही नेता पर स्याही फेंकने की हिम्मत कर सकते हो ? नहीं न ?
आम आदमी पार्टी के मंत्री पर हमला करना कितना आसान लगा तुमको ?
तुमको दिल्ली या दिल्ली वासी की चिंता नहीं थी। सिर्फ सस्ता प्रचार पाना ध्येय था तुम्हारा।
अगर डेंगू - चिकुनगुनिया के फैलाव की फ़िक्र होती, तो मोहल्ले में फॉगिंग करवाने में मदद करते। लोगों को इसके प्रति जागरूक करते।
किसी पर स्याही फेंकने से समस्या का हल नहीं होता।
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