2 अगस्त, 2016
आजकल भारत में बरसात का मौसम है। जब तेज गर्मी से धरती ज्यादा गरम हो जाती है, लोग परेशान हो जाते हैं। हर उपाय करके थक से जाते हैं, तब प्रकृति बारिश के छींटो की ठंडी फुहार से तपती धरती को शीतल करती है। लोग भयंकर गर्मी से निजात पाते हैं। सावन के महीने और इसकी बारिश की फुहार को लेकर कवियों और शायरों ने अच्छे-अच्छे शब्दों में इसकी महत्ता का बड़ा ही खूबसूरत वर्णन किया है। खूब गाने भी बने हैं सावन और इसकी बारिश को लेकर, बहुत से गाने तो (कृत्रिम) बारिश में फिल्माए भी गए हैं। लेकिन कहते हैं न कि "अति सर्वत्र वर्जयेत"। जब बारिश ज्यादा हो जाती है तो इसके दुष्परिणाम भी खूब होते हैं। बाढ़ भी आ जाती है, सड़कों पर जाम भी लग जाता है। ऐसा नहीं है कि बाढ़ का कारण सिर्फ उस क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होना ही है।
आजकल बिहार में भी बाढ़ का ही मौसम है। यूँ तो लगभग हर साल ही बिहार के किसी न किसी हिस्से में बाढ़ आ ही जाती है। लेकिन कभी-कभी इसकी विभीषिका बहुत बढ़ जाती है। जान-माल की बहुत हानि होती है। इस साल भी बाढ़ आया हुआ है बिहार में। बहुत से लोगों की जान गयी है। लोग परेशान हैं। लेकिन सुशासन कुमार जी को इस सबसे ज्यादा चिंता शराब को लेकर है। ये ठीक है कि शराब बहुत सी बुराइयों की जड़ है लेकिन शराबबंदी से सारी समस्या हल हो जाएगी ऐसा भी तो नहीं है। सबको पता है कि 1 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है।
अब इस एक सूत्री कार्यक्रम के पीछे ही पर गए हैं सुशासन बाबु। तरह-तरह के नियम बना रहे हैं, शराब बंदी को सफल करने के लिए। मानो ज्योंहि शत-प्रतिशत शराबबंदी हो गयी, सभी समस्याओं का अंत हो जाएगा। बिहार से बेरोजगारी ख़त्म, भ्रष्टाचार ख़त्म, लूटमार ख़त्म, अशिक्षा, दहेज़ प्रथा सब ख़त्म। मतलब बिलकुल राम-राज आ जायेगा बिहार में, किसी को कोई दुःख और चिंता नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि पहले कभी शराबबंदी नहीं हुई भारत के किसी राज्य में। हरियाणा में भी हुई थी, शुरू में जनता का खूब साथ मिला था। उसके बाद बंसी लाल जी की सरकार ही चली गयी थी।
अब सुना है कि शराबबंदी को लेकर पिछले शुक्रवार को एक संशोधित बिल पेश किया गया है बिहार विधानसभा में। इसके अनुसार अगर किसी घर से शराब मिली या फिर किसी ने शराब का सेवन किया, तो उस परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को सजा मिलेगी। अब कोई भी कानून पास करवा लीजिये, बहुमत आपके पास है हुजूर। अब घर में कौन किधर शराब छुपा कर रखा है किसको पता ? बहुत से परिवार में शराब पीने वाला छुपकर ही पीता है। अब घर के कोने-कोने में ढूंढते रहे कि कहीं शराब तो नहीं छुपा है ? अगर छुपा भी है तो छुपाया कौन ? अगर किसी ने सरकारी संपत्ति में ही छुपा दिया तो ?
नाबालिग को काहे बख्श दिए हुजूर ? जब घर के सारे वयस्क जेल चले जायेंगे तो बच्चों को खाना कौन बनाकर खिलायेगा और स्कूल कौन तैयार करके भेजेगा ? कितना तुगलकी आदेश है ये ? किसी एक के किये की सजा को पूरे परिवार को भुगतान पड़ेगा ? करे कोई भरे कोई ? ऐसे प्रधान मंत्री बनेंगे क्या नीतीश जी ?
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