मैं कभी लालू जी या बिहार में उनके शासनकाल का प्रशंसक नहीं रहा, न ही उनकी पार्टी का समर्थक हूँ। लेकिन उनके आत्मविश्वास का प्रबल प्रशंसक हूँ। राजनीति अपनी जगह, लेकिन लालूजी का व्यक्तित्व अपनी जगह है। मुझे याद है जब 1990 में उन्होंने बिहार की सत्ता संभाली थी, जनता कांग्रेस के लंबे शासन काल से मुक्ति पाना चाहती थी। विकास के कोई कार्य तो नहीं हो रहे थे, लेकिन भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। उस समय बिहार में दलितों और पिछड़ी जाति के लोगों की हालत बड़ी ही दयनीय थी। लालू जी ने सबसे पहले इसी को सुधारने का प्रयास किया। दबे-कुचले लोगों को आवाज दी उन्होंने।
अगड़े-पिछड़े की राजनीति उनके ही शासनकाल में शुरू हुई थी जो आज तक चली आ रही है। बड़े ही आत्मविश्वास के साथ उन्होंने पिछडो का मुद्दा उठाया। उन्होंने वो सब कुछ किया जो पिछडो के विकास के लिए कर सकते थे। उन्होंने नारा भी दिया था, "पढ़ना लिखना सीखो वो पशु चराने वालों"। जब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब भी उन्होंने धैर्य से काम लिया। जब उनकी गिरफ़्तारी हुई तब भी उनका आत्म विश्वास देखते ही बनता था। अगर कोई और होता तो उसके गिरफ्तार होते ही उसका राजनीतिक भविष्य चौपट हो जाता। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करके उन्होंने अपनी पत्नी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवाया।
कहीं से किसी भी नेता का कोई विरोध नहीं। सबने एक मत से उनके फैसले को मान लिया। ये लालू जी के आत्म विश्वास का ही नतीजा था की एक गैर-राजनीतिक महिला ने इतने सालों तक बिहार की सत्ता संभाली। जब भी उन पर आरोप लगा, न तो वो कभी घबड़ाये और न ही कभी बौखलाहट में कोई अनाप-शनाप बयानबाजी ही की। हर मुसीबत का सामना अपने चुटीले अंदाज में किया। लालू जी पर अनगिनत चुटकुले बने और सोशल मीडिया में शेयर भी खूब किये जाते हैं। लेकिन कभी उन्होंने इसका बुरा नहीं माना। कभी भी उन्होंने किसी पर मुकदमा नहीं किया, कभी भी किसी से गुस्सा नहीं हुए। हमेशा ऐसे मौकों पर उन्होंने अपने बड़े दिल का परिचय दिया। लालू जी की नक़ल कर कर के कॉमेडी कलाकारों ने बहुत पैसे भी कमाए हैं।
जब 2005 में इनकी पार्टी 15 साल पुरानी सत्ता से बेदखल हुई तब भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया। खुश ही रहे, मस्त रहे। पार्टी की हालत बद से बदतर होती गयी लेकिन लालू जी का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। हर मुसीबत को हँस कर झेलते रहे। ऐसा, साधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति के बस की बात नहीं। कुछ साल ऐसे भी बीते हैं जब इनके परिवार से एक भी व्यक्ति जन प्रतिनिधि नहीं था। एक समय बिहार विधानसभा में राजद के विधायकों की संख्या इतनी भी नहीं थी कि विपक्ष के नेता का पद दिया जा सके। फिर भी पार्टी पर से इनकी पकड़ कम नहीं हुई। हर आरोप का जवाब अपने चुटीले अंदाज में देकर मुंह बंद कराने का हुनर लालू जी में ही है।
कहीं से किसी भी नेता का कोई विरोध नहीं। सबने एक मत से उनके फैसले को मान लिया। ये लालू जी के आत्म विश्वास का ही नतीजा था की एक गैर-राजनीतिक महिला ने इतने सालों तक बिहार की सत्ता संभाली। जब भी उन पर आरोप लगा, न तो वो कभी घबड़ाये और न ही कभी बौखलाहट में कोई अनाप-शनाप बयानबाजी ही की। हर मुसीबत का सामना अपने चुटीले अंदाज में किया। लालू जी पर अनगिनत चुटकुले बने और सोशल मीडिया में शेयर भी खूब किये जाते हैं। लेकिन कभी उन्होंने इसका बुरा नहीं माना। कभी भी उन्होंने किसी पर मुकदमा नहीं किया, कभी भी किसी से गुस्सा नहीं हुए। हमेशा ऐसे मौकों पर उन्होंने अपने बड़े दिल का परिचय दिया। लालू जी की नक़ल कर कर के कॉमेडी कलाकारों ने बहुत पैसे भी कमाए हैं।
जब 2005 में इनकी पार्टी 15 साल पुरानी सत्ता से बेदखल हुई तब भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया। खुश ही रहे, मस्त रहे। पार्टी की हालत बद से बदतर होती गयी लेकिन लालू जी का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। हर मुसीबत को हँस कर झेलते रहे। ऐसा, साधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति के बस की बात नहीं। कुछ साल ऐसे भी बीते हैं जब इनके परिवार से एक भी व्यक्ति जन प्रतिनिधि नहीं था। एक समय बिहार विधानसभा में राजद के विधायकों की संख्या इतनी भी नहीं थी कि विपक्ष के नेता का पद दिया जा सके। फिर भी पार्टी पर से इनकी पकड़ कम नहीं हुई। हर आरोप का जवाब अपने चुटीले अंदाज में देकर मुंह बंद कराने का हुनर लालू जी में ही है।
पिछले दिनों किसी ने बिहार में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया तो लालू जी बोले, कश्मीर में तो ऐसा रोज ही होता रहता है, लेकिन केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। है कोई नेता जो ऐसा तर्क दे सके ? कोई दूसरा नेता होता तो उससे जवाब देते नहीं बनता, कहता कि कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अभी बिहार में बाढ़ का जबरदस्त प्रकोप है, लोग खूब परेशान हैं। लेकिन लालू जी का तर्क देखिए। जनता से कह रहे हैं कि आप खुशनसीब हैं कि गंगा मैया आपके घर तक आई है। उनके वोटरों और समर्थकों को खूब लुभाते भी हैं उनके ऐसे ऐसे तर्क। लोग उनकी चुटीली बातों को सुनकर खूब हँसते भी हैं।
एक बार एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा भी था कि टेंशन लेने से ब्रेन हेमरेज होता है, हँसते मुस्कुराने से समस्या दूर होती है। ऐसे ही हँसते-हँसाते रहें लालू जी, बाकि राजनीति तो चलते रहेगी।
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