23 अगस्त, 2016
हमारे देश में दो राज्यों के बीच किसी बात पर विवाद होना कोई नहीं बात नहीं है। किसी बड़े राज्य को दो भागों में बाँट कर जब एक नया राज्य बनाया जाता है तब दोनों के बीच राजधानी को लेकर विवाद होना आम बात है। नये राज्य की जनता चाहती है कि ये हमारे राज्य की राजधानी बने और पुराना राज्य इस पर से अपना हक़ छोड़ने को राजी नहीं होता। जब पंजाब से हरियाणा को अलग किया गया तो मामला ऐसा ही हो गया। दोनों ही राज्य चंडीगढ़ में राजधानी बनाना चाहते थे और अपने हिस्से में रखना चाहते थे। मामला सुलझते न देखकर दोनों ही राज्यों को अपनी राजधानी चंडीगढ़ में बनाने की इजाजत दे दी गयी और चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
कौन सा जिला किसके पास रहेगा, इस पर भी विवाद हो जाता है। जब उत्तर प्रदेश के एक हिस्से को अलग करके उत्तराखंड बनाया गया तो उधमसिंह नगर को लेकर विवाद हुआ था। कुछ लोग इसको उत्तर प्रदेश का हिस्सा ही बनाए रखना चाहते थे। राज्यों के बीच नदियों के जल बँटवारे को लेकर भी विवाद होता रहता है। तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के जल को लेकर विवाद न जाने कितने सालों तक चला। नदियों के जल को लेकर विवाद हरियाणा और पंजाब के बीच भी है।
लेकिन अब एक नया विवाद हो गया है दो राज्यों के बीच। पश्चिम बंगाल और ओडिशा दोनों ही रसगुल्ले पर अपना अपना दावा कर रहे हैं। रसगुल्ला का उद्भव स्थल कहाँ है इस पर विवाद अब कोर्ट में पहुँच गया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने रसगुल्ले पर अपना दावा करते हुए भौगोलिक संकेत ( GI Tag ) के लिए कोर्ट में अपील की है। अगर इस तरह से खाने-पीने की चीजों को लेकर दो राज्यों के बीच विवाद शुरू हो जाए तो स्थिति बड़ी ही मुश्किल हो जाती है। शुक्र है पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर पेटेंट के लिए आवेदन नहीं किया। वरना दूसरे राज्य के लोग रसगुल्ला बना भी नहीं पाते।
क्या हो जब खाने-पीने की अन्य चीजों को लेकर भी राज्यों के बीच विवाद हो जाए ? दही-चूरा बिहार में खूब चाव से खाया जाता है, अब बिहार सरकार इसके उद्भव स्थल होने का दावा करे, तो ? बिरयानी पर हैदराबाद दावा करे, घुघनी पर बिहार दावा करे। बाटी चूरमा पर राजस्थान दावा करे, मक्की की रोटी सरसों के साग पर पंजाब दावा करे, लस्सी - छांछ पर हरियाणा दावा करे। ढोकला, फाफड़ा पर गुजरात दावा करे, वड़ा पाव पर महाराष्ट्र दावा करे। आसानी से समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी मुश्किल हो जायेगी।
और माननीय न्यायालय के लिए कितना मुश्किल हो जाएगा फैसला करना अगर मामला न्यायालय में पहुँच गया तो ?
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