अभी कल ही कहीं पढ़ा कि बिहार के उप-मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि लोग व्हाट्सप्प पर ख़राब सड़क की फोटो भेजें, हम उसको ठीक करवाएँगे। अब जो बिहार के बाहर के लोग हैं उनको लगेगा कि सही में बिहार में मंगलराज आ गया है। देश-विदेश में भी इसकी खूब प्रशंसा होगी। ओबामा भी इस व्यवस्था से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पायेंगे। क्या पता एक डेलिगेशन ही भेज दे इस व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए, जैसे आज कल दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक की खूब तारीफ हो रही है अमेरिका में।
हो सकता है IIM वाले अपने यहाँ हमारे सबसे युवा उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी जी को अपने मैनेजमेंट के छात्रों को ज्ञान देने के लिए आमंत्रित करें। हारवर्ड में भी इनका व्याख्यान हो सकता है। लोग मोदी जी की आलोचना भी करेंगे। कहेंगे कि झूठे कहते थे मोदी जी कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो फिर से जंगलराज आ जायेगा। यहाँ तो बड़े जोर से मंगलराज आ गया है। लेकिन सवाल तो ये है कि भैया क्या ये सब होगा ? कहने और सुनने में तो बड़ा अच्छा लगता है कि व्हाट्सप्प पर भेजिए फोटो, हम सड़क बनवा देंगे। लेकिन क्या ये हकीकत में मुमकिन है ?
जबसे नई सरकार बनी है, बिहार में अपराध बहुत बढ़ गया है। आए दिन हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाओं की ख़बरें आती रहती है। पिछले दिनों तो पुलिस डीआईजी साहेब से ही रंगदारी मांग लिया गया। इतने हौसले बुलंद हो गए हैं अपराधियों के। लगता है जैसे कानून का कोई डर ही नहीं रह गया है अपराधियों में। लेकिन सरकार को तो सड़कों की ज्यादा पड़ी है। अच्छा होता कि सरकार कहती, अगर किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो उसकी विडियो बना कर हमको व्हाट्सप्प कीजिये, हम अपराधी को 48 घंटे के अंदर में जेल के अंदर करेंगे।
सरकार ये क्यों नहीं कहती कि अगर कोई आपसे रिश्वत मांगता हो तो उसकी रिकार्डिंग कर लीजिए या हो सके तो उसकी वीडियो बना कर हमको भेज दीजिए, हम उसको उसी समय सस्पेंड कर देंगे। अगर कही गुंडागर्दी हो रही हो तो उसकी वीडियो भेजिए, हम उसको 24 घंटे के अंदर पकड़ के जेल में डाल देंगे। सरकारी कर्मचारी अगर कर्तव्यहीनता कर रहा है, आपके काम करने में बे-वजह देरी कर रहा है, उसकी रिकार्डिंग या वीडियो हमको भेजिए हम उसको उसी समय सस्पेंड कर देंगे। कहीं भी कुछ गलत हो रहा हो तो उसकी रिकार्डिंग या वीडियो हमको भेजिए हम तुरंत कार्रवाई करेंगे।
इससे जनता का भरोसा सरकार में और मजबूत होता। जनता सुरक्षित महसूस करती अपने आपको। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है। क्या सड़क बनवा देना इतना आसान होता है ? एस्टीमेट बनता है फिर टेंडरिंग होती है उसके बाद काम शुरू होता है। इसी में 6 महीने बीत जाते हैं तब तक थोड़ी टूटी सड़क और ज्यादा टूट चुकी होती है। हो सकता है उसके बाद फिर एस्टीमेट, टेंडरिंग, मरम्मत का सिलसिला शुरू हो जाए। बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक करना अब इतना आसान भी नहीं रहा।
इस बात को माननीय नीतीश कुमार जी अच्छी तरह समझ चुके हैं। तभी तो राज्य की बागडोर दोनों भतीजों के मजबूत कंधो पर सौंप कर प्रधानमंत्री बनने की राह पर चल दिए हैं। दूसरे राज्यों में दनादन रैलियाँ करते जा रहे हैं। न रहेंगे बिहार में, न कोई पूछेगा कि हालत सूबे के क्यों बिगड़ रहे हैं साहेब। चाचा बिहार में रहते ही नहीं और भतीजे कहेंगे कि सूबे की बागडोर तो चाचाजी के हाथ हैं। लोग सवाल करे तो किससे करे। कभी-कभी मीडिया वाले इनसे कानून व्यवस्था पर सवाल पूछ भी लेते हैं तो झट से चाचा-भतीजा दूसरे राज्यों के आंकड़े बताने लगते हैं और साबित कर देते बिहार में दम है, क्योंकि जुर्म यहाँ कम है। अब मैनेजमेंट योद्धा प्रशांत किशोर जी इतना तो आंकड़ेबाजी सीखा ही दिए हैं इनको।
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