12 जुलाई, 2016
बड़ी उम्मीदों से बिहार के लोगों ने नीतीश जी की सत्ता में वापसी करवाई। यह जानते हुए भी कि उनके साथ ऐसे लोग हैं जिनके शासन काल को जंगलराज कहा जाता रहा है। दूसरों की क्या बात, नीतीश जी खुद ही कहते थे। लेकिन राजनीति में कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता। चीजे बदलती रहती है और रिश्ते - नाते भी। लेकिन जनता को नीतीश जी पर पूरा भरोसा था। उनके सुशासन पर लोगों को एतबार था, हो भी क्यों नहीं, जंगलराज के 15 साल के दंश को उन्होंने ही तो ख़त्म किया था और समूचे बिहार में विकास की बयार बहाई थी। लेकिन शायद नीतीश जी को खुद पर ही यकीन नहीं था। तभी तो राजद और कांग्रेस के साथ मिल गए। लोकसभा चुनाव में हुई अप्रत्याशित हार से नीतीश जी बुरी तरह से घबरा गए थे। उनको अपना राजनीतिक अस्तित्व खतरे में नजर आने लगा।
लेकिन जनता को यकीन था कि अगर सरकार के मुखिया नीतीश जी होंगे तो फिर से सुशासन ही होगा। अब भोली-भाली जनता को क्या पता कि एक समय विकास के पर्याय समझे जाने वाले "सुशासन कुमार जी " इतने कमजोर साबित होंगे। अरे नहीं नहीं, कमजोर का ये मतलब नहीं कि ये लालू जी से डरते हैं या फिर अगर ये कुछ करना चाहेंगे तो लालू जी मना कर देंगे। लालू जी इतने नासमझ थोड़े न हैं कि अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारेंगे। आखिर नीतीश जी के कारण ही तो उनके परिवार का बिहार में 10 साल पुराना सत्ता का वनवास ख़त्म हुआ है। एक बेटा उपमुख्यमंत्री, दूसरा स्वास्थ्य मंत्री बने और बिटिया राज्यसभा सदस्य बनी है।
नीतीश जी के सहयोग के बिना ये सब संभव था क्या ? लेकिन लालूजी को एक अच्छे पिता की तरह अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल भी तो करना है न। अब सामने से तो कुछ कह नहीं सकते हैं अपने लाड़ले छोटे भाई को। इसीलिए उन्होंने छोटका भैया के दिमाग में एक बात अच्छे से भर दिया कि भाई, जब ये मोदी प्रधानमंत्री बन सकता है तो तुम क्यों नहीं ? ये भी तो एक राज्य का मुख्यमंत्री ही था, तुम भी 2019 तक 14 साल पुराने मुख्यमंत्री हो जाओगे। अब प्रशंसा किसको अच्छी नहीं लगती, वो भी जब इतने साल रहा धूर विरोधी व्यक्ति करे तो ? खुश हो गए सुशासन बाबू और थमा दिए अपना खड़ाऊँ अपने दोनों भतीजा को कि तुम राज-काज देखो, हम प्रधानमंत्री मैटेरियल हो गया हूँ।
जब इन दोनों का सुलह-मेल हुआ था तो लोग कहते थे कि ये जंगलराज और सुशासन का अद्भुत संगम हो रहा है। इससे मंगलराज का उदय होगा। लेकिन सुशासन को तो बहला फुसलाकर बिहार से तड़ीपार कर दिया गया, और सूबे में रह गया जंगलराज। बिहार की जनता ठगी रह गयी। जम के अपराधियों का तांडव हो रहा है बिहार में। ऐसा लगता है मानो कि अपराधियों को कानून का डर बिलकुल ही नहीं रह गया है। लालू - राबड़ी राज की पुनरावृति ही हो रही है। और सुशासन बाबू कोने में बैठ कर प्रधानमंत्री बनने के सपने संजोने में लगे हैं।
जब इन दोनों का सुलह-मेल हुआ था तो लोग कहते थे कि ये जंगलराज और सुशासन का अद्भुत संगम हो रहा है। इससे मंगलराज का उदय होगा। लेकिन सुशासन को तो बहला फुसलाकर बिहार से तड़ीपार कर दिया गया, और सूबे में रह गया जंगलराज। बिहार की जनता ठगी रह गयी। जम के अपराधियों का तांडव हो रहा है बिहार में। ऐसा लगता है मानो कि अपराधियों को कानून का डर बिलकुल ही नहीं रह गया है। लालू - राबड़ी राज की पुनरावृति ही हो रही है। और सुशासन बाबू कोने में बैठ कर प्रधानमंत्री बनने के सपने संजोने में लगे हैं।
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