बिलकुल भाई लोग, हमरे साहेब बहुत ही लाजवाब हैं। किसी भी मौका और मुद्दे पर बोलने को तैयार रहते हैं। बस निमंत्रित कर लीजिए कवनो बड़का समारोह में और फिर देखिये केतना ज्ञान मिलता है आप लोगों को। अईसा-अईसा ज्ञान देते हैं हमरे साहेब कि कभी-कभी बड़का से बड़का विशेषज्ञ आ बड़का से बड़का इतिहास आ भूगोल के जानकारी रखे वाला भी जल्दी जल्दी किताब पलट के देखे लगता है कि हम लोग जो पढ़े थे उ सही है कि साहेब कह रहे हैं उ।
अउर सुनिए, हिंदी में भाषण हो या अंगरेजी में, हमरे साहेब पन्ना पर लिखकर कर नहीं ले जाते हैं। बिल्कुल धारा-प्रवाह बोलते हैं, तनिको नहीं अटकते हैं कहीं । दोसरा लोग जइसे नहीं कि पन्ना पर लिखकर ले गए अउर लगे पढ़ने पलट-पलट के। आ बीच में पन्ना ऐने-ओने हो गया त ढूंढने लगे। भाई, लिखल भाषण के पढ़ने में कोनो-कोनो बेर अरथ का अनरथ हो जाता है। एक बार सबसे पुरानी पार्टी के एगो नेताजी चुनाव प्रचार करने गए आ लिखल भाषण पढ़ रहे थे, एतने में जोन पन्ना पर प्रत्याशी का नाम लिखल था उहे कहीं भुला गया। कैमरे पर उ नेताजी पन्ना को खोजते हुए नजर आये थे, बहुत बेइज्जती हुआ।
ई बात के खूब अच्छे से समझते हैं हमरे साहेब। उनका भाषण हम बहुत बार सुने हैं। जेतना सुनते हैं उनका भाषण ओतने अउर मन करता है सुनने का। हम त समझते थे कि उनकी पार्टी में अटल जी के बाद प्रखर और प्रभावी वक्ता हमरे साहेब ही हैं। अटल जी के विरासत को आगे साहेब ही बढ़ाएंगे। हमरा ई सब आकलन साहेब के हिंदी में भाषण सुन के था। लेकिन साहेब तो अंग्रेजी में भी भाषण देने में सुपर फास्ट हैं ई हमको पते नहीं था।
उ त उस रात हम टीवी पर अमेरिकन संसद में साहेब का भाषण देख सुन रहे थे। अरे दादा, एतना फर्राटेदार अंगरेजी बोल रहे थे हमरे साहेब कि हम क्या बोले। सब अमेरिकन सांसद सुन के खुश हो रहा था आ ताली भी बजा रहा था। उ सब को पता लग गया होगा कि इंडिया में भी कमाल के अंग्रेजी बोले वाला लोग है। हम कहे कि भाई आप लोग साहेब के सामान्य ज्ञान के बारे में कुछ भी कहो लेकिन साहेब के अंगरेजी के ज्ञान देख लीजिएगा त अच्छा-अच्छा के हालत खराब हो जाएगा।
जेतना आराम अऊर कुशलता से साहेब हिंदी में भाषण करते हैं ओतने कुशलता से अंगरेजी में भाषण कर रहे थे। बिल्कुले नहीं लग रहा था कि साहेब कवनो विदेशी भाषा में बोल रहे हैं, बुझा रहा था कि अपनी मातृभाषा में बोल रहे हैं। लेकिन हमर ई खुशी सिर्फ राते भर रहा। भोर होते होते हमर तमाम खुशी गायब हो गया। बुरा हो ई मीडिया वाला सबके। सुबह होते होते सारा पोल पट्टी खोल के रख दिहिस। सारा भरम टूट गया हमरा।
एगो अख़बार वाला लिख दिहिस कि साहेब जो भाषण दे रहे थे उ पहिले से ही लिखल था आ धीरे-धीरे साहेब के सामने रखल स्क्रीन पर चल रहा था। जोन गति से साहेब बोल रहे थे वोही गति से स्क्रीन पर लिखल भाषण भी चल रहा था। साहेब कभी ई स्क्रीन त कभी उ स्क्रीन पर देख के भाषण दे रहे थे आ देखने वाला सब को बुझा रहा था कि साहेब उ लोग को देख के भाषण दे रहे हैं। सुने हैं कि उ मशीन के टेली-प्रॉम्पटर कहल जाता है।
लेकिन एक बात के तारीफ करना पड़ेगा हमरे साहेब के। बिलकुल ताल-मेल बिठा के चल रहे थे उ मशीनवा के साथ। तनिको नहीं लग रहा था कि साहेब देख के बोल रहे हैं। कुछ भी हो, साहेब के इहो कला के तारीफ कम नहीं हो रहा है।
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