17 मई, 2016
आज दिल्ली नगर निगम उप-चुनाव के नतीजे आ गए। कल ही मैंने कहा था कि नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। हर पार्टी की उम्मीद बंधी थी इस चुनाव से। सबको ज्यादा से ज्यादा सीटों की उम्मीद थी। लेकिन जनता जनार्दन को राजनीतिक पार्टियों की उम्मीद से क्या लेना देना ? वो तो उन्ही को सेवा करने का मौका देगी, जिसको अच्छा सेवक समझेगी। उम्मीद के अनुसार भाजपा की फिर से दुर्गति हो गयी। कहाँ 11 निगम पार्षद थे इसके और अब सिर्फ 3 सीटें ही मिली ।
इससे बुरा और क्या हो सकता है इस पार्टी के लिए। लोग तो मजाक भी करने लगे हैं कि भाजपा के नए निगम पार्षदों को अब ओड - इवेन का विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है, ये तीनों एक ही ऑटो में यात्रा कर सकते हैं। क्या हो गया है इस पार्टी को ? लोकसभा चुनाव में 281 सीट क्या मिल गयी खुद को सातवें आसमान पर समझने लगे इसके नेता। वक्त बे-वक्त की बयानबाजी इस पार्टी की लोकसभा चुनाव में मिली साख को धीरे धीरे कम ही कर रही है। लेकिन इसके नेता इससे सबक लेने को तैयार नहीं हैं। नतीजा सामने है।
जहाँ तक कांग्रेस की बात की जाये तो अपनी इज्जत बचाने में कामयाब सी दिख रही है इस चुनाव में। 4 सीट लेकर दूसरे नंबर पर है। इसको 2 सीट का फायदा ही हुआ है। विधानसभा चुनाव 2015 में 0 सीट मिलने के बाद से दिल्ली कांग्रेस में जो निराशा घर कर गई थी, वह इस नतीजे से कम होती दिख रही है। उम्मीद है कि इस नतीजे से कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई जोश और स्फूर्ति भरेगी। अगर इनके बड़े नेता भी चुनाव प्रचार में हिस्सा लेते तो बाकी सीटों पर हार का अंतर कुछ कम हो सकता था। लेकिन क्या करते, जब केजरीवाल जी ने खुद ही घोषणा कर दी कि वो इस उपचुनाव में प्रचार नहीं करेंगे तो भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं के रास्ते खुद ही बंद हो गए।
आम आदमी पार्टी को इस बार भी ट्रेलर दिखाने लायक ही सीटें मिली। वैसे 13 में से 5 सीट जीत कर पार्टी टॉप पर है। पार्टी के लिए खोने के लिए कुछ नहीं था। बस पाना ही पाना था। इस चुनाव परिणाम का गौर से विश्लेषण करें तो एक बात निकलकर सामने आती है कि जनता भाजपा और कांग्रेस से बुरी तरह त्रस्त है। आम आदमी पार्टी को एक मौका देना चाहती है। लेकिन विधानसभा चुनाव 2013 से ही दिल्ली की जनता पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो की नीति पर चलने लगी है।
विधानसभा चुनाव 2013 में भी "आप" को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया था। कहा था कि अपना जुझारूपन दिखाओ। हो सके तो सरकार बनाओ और काम करके दिखाओ, फिर पूर्ण बहुमत देंगे। 49 दिनों की सरकार चली और जोरदार चली, जमकर चली। लोग इस ट्रेलर को देखकर खुश हो गए और पूरी फिल्म बनाने का आदेश दिया। फिल्म कैसी है, लोग देख ही रहे हैं।
इसी प्रकार से इस उपचुनाव में भी जनता ने कहा है कि केजरीवाल जी 5 सीट लेकर आपको हम सबसे आगे कर रहे हैं। अपना काम दिखाओ। ट्रेलर दिखाओ, अच्छी लगी तो पूरी फिल्म बनाने का मौका भी देंगे। अब अगले साल की फिल्म पूरी तरह से इस ट्रेलर पर ही टिकी है, इसमें तो कोई संदेह नहीं है। आम आदमी पार्टी के 5 निगम पार्षद अगर जमके काम करते हैं , जनता का दिल जीत लेते हैं तो निश्चित रूप से अगले साल के चुनाव में अप्रत्याशित सफलता मिलने से कोई रोक नहीं सकता है।
0 टिप्पणियाँ:
टिप्पणी पोस्ट करें