15 मार्च, 2016
किसी ज्ञानी पुरुष ने कहा था "यावद जीवेत, सुखम जीवेत , ऋणं कृत्वा घृतम पिबेत। अर्थात , जब तक जीओ , सुख से जीओ , कर्जा लेकर घी पीओ। आज इतने सालों बाद उनके कहे को अक्षरशः यथार्थ में बदलते देख रहा हूँ। विजय माल्या जी के रहन सहन और ठाट बाट में रत्ती भर भी कमी नहीं है। उनके रहन सहन को देखकर बिलकुल नहीं लगता कि किंगफ़िशर पर इतना कर्ज है, जो चुकाए नहीं चूक रहा। निवेशकों के पैसे तो डूबे ही , बैंक वाले भी परेशान हैं कि वसूली कैसे हो।
सुना है कि विजय माल्या जी विदेश गए हैं। भाई बड़े आदमी हैं, बड़े लोगों का विदेश आना जाना लगा रहता है। हमारी तरह थोड़े न हैं कि बिहार अपने परिवार से भी मिलने जाने में 6 महीने लग जाते हैं। कभी छुट्टी नहीं मिलती तो कभी ट्रेन में सीट और हवाई जहाज की तो अपनी औकात ही नहीं। कई बार तो होली दिवाली के मौके पर भी मन मसोस कर दिल्ली में ही रह जाना पड़ता है। कोई बात नहीं, हम भी कहाँ अपना दुखड़ा लेकर बैठ गए। आम आदमी की जिंदगी तो ऐसी ही होती है। तो बात माल्या जी की हो रही थी। अब विदेश चले गए तो हंगामा होने लगा, क्यों गए, कैसे गए, किसी ने रोका क्यों नहीं?
विस्तार से पता करने पर पता चला कि 9000 करोड़ रूपए के कर्ज की वसूली के मामले में बैंकों का एक समूह सुप्रीम कोर्ट में गया था और माननीय उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि विजय माल्या का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाय ताकि वह विदेश न जा सके। लेकिन इससे पहले ही विजय माल्या देश से बाहर जा चुके थे। विपक्ष केंद्र सरकार पर हमले कर रही है। राहुल जी इसको फेयर एंड लवली स्कीम का फायदा बता रहे हैं। केंद्र की भाजपा नीत सरकार भी पीछे नहीं है।
बड़ी ही खूबसूरती से वित्त मंत्री माननीय श्री अरुण जेटली जी अपने सरकार का पक्ष रहे हैं। विपक्ष के साथ साथ जनता को भी समझा रहे हैं कि विजय माल्या के विदेश जाने में केंद्र सरकार और भाजपा की कोई गलती नहीं है। और ये तो कांग्रेस की गलती है कि उसके ही कार्यकाल में कर्ज दिया गया। सारी गलतियां कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुई थी। अभी तो सिर्फ विदेश गए हैं वो। भाई उस समय भी तो आपलोग विपक्ष में थे, विरोध क्यों नहीं किया ? फिर वित्त मंत्री जी ने तुरुप का इक्का फेंका, बोले ललित मोदी बाहर गए तो कांग्रेस की सरकार थी।
कांग्रेस की सरकार के दौरान कुछ होता है तो वो भाजपा के शासनकाल में हुए घटना का जिक्र करते हुए उनका मुंह बंद करने की कोशिश करते हैं और जब भाजपा के शासनकाल में कुछ होता है तो वो कांग्रेस सरकार के दौरान हुए घटनाओं की दुहाई देते हैं। हमारे देश में एक तरफ कुछ किसान कुछ हजार रूपए का कर्ज न चुका पाने के कारण आत्म हत्या करने को मजबूर हैं। उनसे तो बैंक वाले बड़ी तत्परता से कर्ज वसूली में लग जाते हैं। यहाँ इतने करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन कर्जदार के बदले कर्ज देने वाला ही परेशान है।
भाई किसी की गलती नहीं है, न कांग्रेस की न भाजपा की। ये तो जनता की गलती है जो इन सब लोगों पर भरोसा करती है। सिर्फ एक दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लेते हैं ये दोनों कांग्रेस और भाजपा वाले। कांग्रेस के कार्यकाल में ललित मोदी बाहर गए, भाजपा की सरकार में विजय माल्या गए। हिसाब बराबर हो गया। जनता के पास अभी तक कोई ठोस विकल्प नहीं था। इतने दिनों कांग्रेस का शासन देखा जनता ने, फिर तीसरे मोर्चे की भी सरकार देखी, अब भाजपा की सरकार देख रही है, अच्छे दिनों का इंतजार कर रही है। लेकिन बहुत मुमकिन है कि लोकसभा के अबले चुनाव तक जनता को एक सशक्त और ज्यादा ईमानदार विकल्प मिल जाए।
सुना है कि विजय माल्या जी विदेश गए हैं। भाई बड़े आदमी हैं, बड़े लोगों का विदेश आना जाना लगा रहता है। हमारी तरह थोड़े न हैं कि बिहार अपने परिवार से भी मिलने जाने में 6 महीने लग जाते हैं। कभी छुट्टी नहीं मिलती तो कभी ट्रेन में सीट और हवाई जहाज की तो अपनी औकात ही नहीं। कई बार तो होली दिवाली के मौके पर भी मन मसोस कर दिल्ली में ही रह जाना पड़ता है। कोई बात नहीं, हम भी कहाँ अपना दुखड़ा लेकर बैठ गए। आम आदमी की जिंदगी तो ऐसी ही होती है। तो बात माल्या जी की हो रही थी। अब विदेश चले गए तो हंगामा होने लगा, क्यों गए, कैसे गए, किसी ने रोका क्यों नहीं?
विस्तार से पता करने पर पता चला कि 9000 करोड़ रूपए के कर्ज की वसूली के मामले में बैंकों का एक समूह सुप्रीम कोर्ट में गया था और माननीय उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि विजय माल्या का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाय ताकि वह विदेश न जा सके। लेकिन इससे पहले ही विजय माल्या देश से बाहर जा चुके थे। विपक्ष केंद्र सरकार पर हमले कर रही है। राहुल जी इसको फेयर एंड लवली स्कीम का फायदा बता रहे हैं। केंद्र की भाजपा नीत सरकार भी पीछे नहीं है।
बड़ी ही खूबसूरती से वित्त मंत्री माननीय श्री अरुण जेटली जी अपने सरकार का पक्ष रहे हैं। विपक्ष के साथ साथ जनता को भी समझा रहे हैं कि विजय माल्या के विदेश जाने में केंद्र सरकार और भाजपा की कोई गलती नहीं है। और ये तो कांग्रेस की गलती है कि उसके ही कार्यकाल में कर्ज दिया गया। सारी गलतियां कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुई थी। अभी तो सिर्फ विदेश गए हैं वो। भाई उस समय भी तो आपलोग विपक्ष में थे, विरोध क्यों नहीं किया ? फिर वित्त मंत्री जी ने तुरुप का इक्का फेंका, बोले ललित मोदी बाहर गए तो कांग्रेस की सरकार थी।
कांग्रेस की सरकार के दौरान कुछ होता है तो वो भाजपा के शासनकाल में हुए घटना का जिक्र करते हुए उनका मुंह बंद करने की कोशिश करते हैं और जब भाजपा के शासनकाल में कुछ होता है तो वो कांग्रेस सरकार के दौरान हुए घटनाओं की दुहाई देते हैं। हमारे देश में एक तरफ कुछ किसान कुछ हजार रूपए का कर्ज न चुका पाने के कारण आत्म हत्या करने को मजबूर हैं। उनसे तो बैंक वाले बड़ी तत्परता से कर्ज वसूली में लग जाते हैं। यहाँ इतने करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन कर्जदार के बदले कर्ज देने वाला ही परेशान है।
भाई किसी की गलती नहीं है, न कांग्रेस की न भाजपा की। ये तो जनता की गलती है जो इन सब लोगों पर भरोसा करती है। सिर्फ एक दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लेते हैं ये दोनों कांग्रेस और भाजपा वाले। कांग्रेस के कार्यकाल में ललित मोदी बाहर गए, भाजपा की सरकार में विजय माल्या गए। हिसाब बराबर हो गया। जनता के पास अभी तक कोई ठोस विकल्प नहीं था। इतने दिनों कांग्रेस का शासन देखा जनता ने, फिर तीसरे मोर्चे की भी सरकार देखी, अब भाजपा की सरकार देख रही है, अच्छे दिनों का इंतजार कर रही है। लेकिन बहुत मुमकिन है कि लोकसभा के अबले चुनाव तक जनता को एक सशक्त और ज्यादा ईमानदार विकल्प मिल जाए।