5 अक्टूबर, 2013
भारत की आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अभी चीन हमसे ज्यादा दूर नहीं है। अभी हम 1 अरब 27 करोड़ हैं, चीन की आबादी 1 अरब 36 करोड़ है। चन्द ही सालों में हम चीन को पीछे छोड़ कर विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेंगे। बढ़ती आबादी का असर काफी सालों से दिख रहा है। अब तो आबादी से उत्पन्न समस्या भी साफ-साफ दिख रही है। लेकिन हम अभी तक चेते नहीं हैं। सड़क पर चलने की जगह नही होती, गाड़ियों की भीड़ बढ़ती जा रही है।
बड़े शहरों में पीने के पानी की भी समस्या है। अरे आबादी बढ रही है, लेकिन संसाधन तो उतने ही हैं। क्या जमीन पैदा की जा सकती है ? या फिर पानी ? आबादी को बसाने के लिये नित दिन जंगल काटे जा रहे हैं। पहाड़ों को भी काट-काट कर रास्ते और घर बनाये जा रहे हैं। कृषि योग्य भूमि भी धीरे-धीरे कम हो रही है। स्कूल-कालेजों में दाखिले की समस्या आ रही है। नौकरी की समस्या भी किसी से छिपी नहीं है। कुल मिलाकर ये सब बढ़ती आबादी का दुष्प्रभाव नहीं तो और क्या है ?
हम हर समस्या के लिये सरकार को दोषी ठहराते हैं और साथ में विपक्षी पार्टियाँ भी हमारा साथ देती हैं। सरकार ये समझाने की कोशिश करती है कि वह उपलब्ध संसाधन में सबसे बेहतर कार्य कर रही है, और विपक्षी पार्टियाँ समझाती है कि सभी समस्यायें सिर्फ सरकार की ही देन हैं, सरकार ठीक से काम नहीं कर रही है। मानो ये सत्ता में आयेंगे तो जादू की छडी से सब कुछ ठीक कर देंगे।
लेकिन मूल समस्या पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। सरकार कभी कहती भी है कि बढ़ती आबादी से समस्या है तो हम इसको सरकार का निकम्मापन समझने लगते हैं। चलो जनता को इतना सबकुछ नहीं पता, लेकिन सरकार इस समस्या से निजात पाने के लिये कुछ क्यों नहीं करती ? क्यों नहीं आबादी बढ़ने से उत्पन्न समस्या के बारे में लोगों को जागृत किया जाता है ? एड्स, टीबी, कैंसर, आदि के बारे में तो बड़े जोर शोर से जागरूकता फैलाई जा रही है। फिर इस समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है सरकार।
बच्चे कम पैदा करने वालों के लिये प्रोत्साहन योजना लाई जाये तो लोग प्रेरित होंगे। ज्यादा बच्चे वालों को कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रखकर भी उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है। जैसे कि जिनके एक बच्चे हैं उनको टैक्स में छूट मिले। उनके लिये स्कूल-कॉलेज में सीट रिजर्व रखी जायें। उस बच्चे के लिये नौकरी में आरक्षण हो। इस तरह के कदमों से पूरी तरह नहीं तो बहुत हद तक बढ़ती आबादी पर नियंत्रण तो पाई ही जा सकती है। देखते हैं, सरकार इस दिशा में क्या करती है।
बच्चे कम पैदा करने वालों के लिये प्रोत्साहन योजना लाई जाये तो लोग प्रेरित होंगे। ज्यादा बच्चे वालों को कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रखकर भी उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है। जैसे कि जिनके एक बच्चे हैं उनको टैक्स में छूट मिले। उनके लिये स्कूल-कॉलेज में सीट रिजर्व रखी जायें। उस बच्चे के लिये नौकरी में आरक्षण हो। इस तरह के कदमों से पूरी तरह नहीं तो बहुत हद तक बढ़ती आबादी पर नियंत्रण तो पाई ही जा सकती है। देखते हैं, सरकार इस दिशा में क्या करती है।
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