8 मई, 2019
पुरानी विधानसभा से तो 2015 में ही विदा हो लिया था, लेकिन नयी विधानसभा के मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा पाया था, पिछले साल तक। मैंने जरुरी कागजात न होने की वजह से ये फर्ज निभाने में थोड़ी देरी कर दी, लेकिन मेरे पुराने मकानदार ने अपना फर्ज निभाने में तनिक भी देरी नहीं की, झट से मेरा नाम सूची से कटवा दिया, जबकि लोग न जाने कितने सालों तक चुनाव में पुराने पते से ही वोट डालते रहते हैं। जब कागजात पूरे हो गए तो आवेदन जमा कराने की चिंता हुई। एक वेतनभोगी के नसीब में सिर्फ रविवार की छुट्टी होती है, सो मेरी भी है। उस दिन सारे सरकारी दफ्तर की तरह चुनाव विभाग का दफ्तर भी बंद होता है, शायद उनकी छुट्टी शनिवार की भी होती है। दोस्तों ने बताया की ऑनलाइन भी आवेदन लिए जाते हैं। सो ऑनलाइन ही आवेदन करने के साथ साथ ही जरुरी कागजात भी अपलोड कर दिए। उत्सुकतावश हर 15 दिन पर स्थिति भी चेक करता था, कि शायद मेरा नाम जुड़ गया हो। लेकिन हर बार स्थिति पेंडिंग ही दिखती रही।
3 - 4 महीने के बाद जब सब्र का बाँध टूट गया तो सोचा इसकी शिकायत की जाए। बहुत बार सुन चुका था, केजरीवाल जी ने खूब प्रचार करवाया था कि अगर दिल्ली के सरकारी दफ्तर में आपका काम न हो रहा हो, अधिकारी चक्कर कटवाते हो, तो PGMS में अपनी शिकायत दर्ज करवाइये, इधर सुनवाई जरूर होगी। सोचा, एक बार कोशिश करने में क्या बुराई है, क्या पता मेरा काम हो जाये। अगर शिकायत करने के बाद भी काम न हुआ तो, अरविन्द केजरीवाल जी और उनकी सरकार के दावों की पोल तो खुल जाएगी। सो, दिल्ली सरकार के लोक शिकायत विभाग के पोर्टल https://www.pgms.delhi.gov.in/ पर इससे सम्बंधित एक शिकायत 23 जुलाई 2018 को दर्ज करवा दी।
फिर क्या था, ठीक 8वे दिन 31 जुलाई, 2018 को सम्बंधित दफ्तर से मेरे पास फोन आ गया कि आपको जरुरी कागजात दफ्तर आ कर देने होंगे, अभी तक नहीं दिए हो इसलिए पेंडिंग है। मैंने कहा कि जब सबकुछ दफ्तर आकर ही देना है, तो ऑनलाइन सेवा किस लिए है ? वो बोले आपको शुल्क देना होगा, मैंने कहा शुल्क देने की बात ऑनलाइन पोर्टल पर नहीं की गयी है, फिर शुल्क कैसा ? फिर वो मान गए, और बोले की कागजात ईमेल कर दो, मैंने कर दिया 3-4 दिन बाद ही मेरा नाम मतदाता पहचान पत्र संख्या के साथ वेबसाइट पर दिखने लगा।
मैंने शिकायत पोर्टल पर फीडबैक लिखा कि, मेरी शिकायत अभी बंद नहीं की जाए क्योंकि मतदाता पहचान पत्र मुझे अभी तक नहीं मिला है। इसके बाद मैं पहचान पत्र मिलने की बाट जोहने लगा। पिछले महीने मैंने BLO को फोन करके इस बारे में जानकारी लेनी चाही तो टका सा जवाब मिला, आपको पहचान पत्र लेने दफ्तर जाना होगा, आपके घर पर नहीं भेजी जाएगी। फिर वही, प्राइवेट नौकरी में छुट्टी की दिक्कत।
सो एक बार फिर, दिल्ली सरकार का ही सहारा दिखा, और 23 अप्रैल, 2019 को एक बार फिर दिल्ली सरकार के लोक शिकायत विभाग के पोर्टल पर इस बाबत शिकायत दर्ज करवा दी। कल ही मेरे घर पर मतदाता पहचान पत्र आ गया है। इससे पहले मेरा विश्वास किसी भी शिकायती पोर्टल पर नहीं था, क्योंकि समस्या का निदान ही नहीं होता था। सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे, तब जाकर काम होता था। लेकिन जब से दिल्ली सरकार के PGMS विभाग ने काम संभाला है, शिकायतों पर सुनवाई होने लगी है। मेरा तो यही अनुभव रहा है।