14 अक्टूबर, 2018
बचपन से ही सुनती आ रही हूँ कि मरने पर स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। अच्छे काम करोगे तो स्वर्ग जाओगे और बुरे काम करोगे तो नर्क की यातनाओं का सामना करना पड़ेगा।
लेकिन जैसा धर्म ग्रंथों में वर्णित है उससे मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाएं तो सिर्फ नर्क में ही जाती है। हिंदुओं में किसी सगे संबंधी की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण को पढ़ने सुनने का रिवाज है ,जिसमें स्वर्ग की तमाम आलीशान सुविधाओं का वर्णन है,वहाँ उर्वशी,रंभा,मेनका जैसी अप्सराएं हैं,जो स्वर्ग जाने वाले पुरूषों का मन बहलाती है और मुस्लिम धर्म में भी 72 हूरों का जिक्र सुना है जो जन्नत में होती हैं,जिन से मिलने के लिए मुसलमान से धरती पर अच्छे कर्म करने की उम्मीद की जाती है।
अब आते हैं मुद्दे की बात पर।अगर हमारे धर्म ग्रंथ भगवान ने लिखे हैं,तो उन में हम महिलाओं के लिए किसी देवदूत का वर्णन क्यों नहीं है जो महिलाओं के स्वर्ग जाने पर उनका मन बहला सकें?आखिर हम महिलाएं क्या स्वर्ग में भी मन बहलाने की अधिकारी नहीं है? या स्त्रियों को स्वर्ग में भी पक्षपात का सामना करना पड़ेगा? और जहां तक भगवान की बात है मुझे नहीं लगता कि उनकी नजर में नर-नारी में कोई भेद होगा। अगर यह उम्मीद की जाती है कि हमें वहां भी अपने पतियों से काम चलाना पड़ेगा तो मान ले अगर पति नर्क में गए हो तो ?और जो पवित्र कुंवारी लड़कियाँ हैं वह गलती से स्वर्ग पहुंँच जाए वो वहां मन कैसे बहलायेंगी ?अथवा यह मान लिया गया है कि औरत मर कर सिर्फ नर्क ही जाती है?
मतलब अपुन लोगों के वास्ते भी देवदूत तो होना ही चाहिए ना। वरना खाली पीली वहां पर-पुरुषों को देख देख आनंदित होंगे हम।देवदूतों को देखने पर पाप थोड़ी ना लगेगा जैसे पुरुष को अप्सराओं को देखने पर नहीं लगता है।
जहाँ तक लगता है कि हमारे धर्म ग्रंथ भी मानव द्वारा लिखे गए हैं , वह भी उस काल में जब पुरुष की कही हर बात सही मानी जाती थी और उनका ही वर्चस्व होता था ( हालांकि यह भी कह रही हूँ आज भी भारतीय समाज में पुरुषों का ही काफी हद तक हर घर में वर्चस्व है। जहां स्त्री अपने लिए मुखर हुई पुरुष के अहम को ठेस पहुंचने लगती है) इसलिए स्वर्ग का वर्णन करने में भी पुरुषवादी मानसिकता हावी रही है।
इसलिए स्वर्ग-नर्क की चिंता छोड़ कर सिर्फ अच्छे कर्म करिए ,क्योंकि मरने के बाद स्वर्ग-नर्क मिलेगा या नहीं यह तो पता नहीं। लेकिन अच्छे कर्म करने से आपको इस जीवन में संतुष्टि, सुख ,आनंद ,अवश्य प्राप्त होगा।
कभी खाली बैठियेगा तो जरूर सोचियेगा...
..... नूपुर श्रीवास्तव
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