27 जुलाई, 2018
पाकिस्तान को पहला क्रिकेटर प्रधानमंत्री मिलने वाला है। विश्व में पहली बार कोई पूर्व क्रिकेटर प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। यूँ तो क्रिकेटरों का भारत में भी सियासत से नाता है। मनोज प्रभाकर काफी पहले दिल्ली से संसद के लिए भाग्य आजमा चुके हैं, शायद राजनीति में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले वो पहले क्रिकेटर थे। लेकिन सफलता मिली नवजोत सिंह सिद्धू को, अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए भाजपा के टिकट पर। पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी उत्तर प्रदेश से सांसद रह चुके हैं। लेकिन कोई क्रिकेटर केंद्रीय मंत्री के पद को सुशोभित नहीं कर पाया है। सिद्धू वर्तमान में पंजाब राज्य के मंत्री हैं।
खबरों के मुताबिक पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति जर्जर हो चुकी है, कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है, आतंकवाद चरम पर है। पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल भी होने की खबर आती रहती है। मतलब कि इमरान खान के लिए प्रधानमंत्री का पद वर्तमान परिस्थिति में काँटो के ताज से कम नहीं है। इरादे उनके बुलंद हैं, परम्परागत राजनीतिज्ञ न होने के कारण उम्मीद है कि वो जनहित में लीक से हटकर काम करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री निवास में न रहने की बात की है। अच्छा फैसला है, सच्चे सेवक को बे-वजह की तामझाम से दूर ही रहना चाहिए। उम्मीद है कि नई सोच के इमरान, प्रगतिशील निर्णय लेंगे।
लेकिन, पाकिस्तान की राजनीति में भारत विरोध भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अक्सर उनके नेता भारत विरोधी बयान देते सुने - देखे गए हैं। भारत के साथ पाकिस्तान विवादास्पद मुद्दे हैं , लेकिन ये सब उनके हुक्मरानो की वजह से हैं। सिर्फ पाकिस्तानी हुक्मरानो की अनिच्छा की वजह से ये मुद्दे अभी तक हल नहीं हुए, वरना चाहे अटल बिहारी वाजपेई जी हो या नरेंद्र मोदी जी, सबने पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध सुधारने की पुरजोर कोशिश की है। परन्तु नतीजा में कोई खास सुधार नहीं दिखा है। अब इमरान खान प्रधानमंत्री बने हैं, तो उम्मीद है कि नए प्रधानमंत्री इस दिशा में ठोस काम करेंगे और हमारे आपसी सम्बन्ध सुधरेंगे।
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