6 जनवरी, 2018
तीन तलाक विधेयक अब राज्यसभा में अटक गया है। जम के राजनीति हो रही है इस पर। गौरतलब है कि इसी मुद्दे को भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनाव में खूब भुनाया और मुस्लिम महिलाओं के वोट पाकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी। अब 2019 का लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है, लिहाजा पार्टी चुनाव मूड में आकर इस मुद्दे को कैश करने का मौका नहीं छोड़ना चाहती। या यह भी कह सकते हैं कि भाजपा अपना बहुत पुराना नारा जो कहते हैं सो करते हैं को सत्यापित करना चाहती है। जो भी कारण हो, अगर मुस्लिम महिलाओं को इससे फायदा पहुँचता है तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन विरोधी पार्टी कांग्रेस एवं अन्य दल कैसे भाजपा को ऐसा कानून बनाने दे जिससे उसको राजनीतिक फायदा मिले। भाई, अब जनहित की राजनीति बहुत कम होती है, दलहित की राजनीति ज्यादा होने लगी है।
लिहाजा, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल विधेयक पेश होने के साथ ही इसके विरोध में उतर आई। कह रहे हैं कि इससे मुस्लिम महिलाओं को नहीं, भाजपा को फायदा होगा। ये क्या कुतर्क हुआ ? अगर कोई सरकार अच्छा काम करती है तो इसका फायदा जरूर सत्ताधारी पार्टी को होगा। इसका क्या मतलब कि ऐसे कानून को बनने ही न दिया जाए ? कांग्रेस कह रही है कि इसमें सजा का प्रावधान न हो। अरे, बिना सजा के कानून कैसा ? और किसको डर होगा ऐसे कानून से ? फिर जुर्म में कमी आएगी ? और भी कुतर्क दिए जा रहे हैं कि अगर तलाक देने वाले को जेल हो गई तो मुआवजा और गुजारा भत्ता देने में दिक्कत आएगी। जब कानून और सजा के डर से जुर्म ही नहीं होंगे तो मुआवजे की बात नहीं होगी। लेकिन कांग्रेस को तो कुतर्क करना है।
विपक्ष इसमें रोड़ा अटकाने से बाज नहीं आ रहा है। लोकसभा में तो विपक्ष अत्यंत अल्पमत में है, तो उधर उनकी चली नहीं और बिल आराम से पास हो गया। परन्तु राज्यसभा में सरकार के अल्पमत में होने का फायदा उठाया विपक्षियों ने और बिल को पास नहीं होने दिया। कह रहे हैं की समिति को भेजो। मतलब अटकाने की पूरी कोशिश हुई। अगर बिल पास नहीं हुआ तो फायदा नहीं होगा भाजपा को ? क्या सोचती है कांग्रेस, कि भाजपा इस मुद्दे को चुनाव में जोर शोर से न उठाएगी ? क्या भाजपा ये नहीं कहेगी कि हमने तो कड़ा कानून बना दिया था लेकिन कांग्रेस और विपक्षियों ने इसको पास नहीं होने दिया ? क्या इसका फायदा भाजपा को चुनाव में नहीं मिलेगा ? फिर भाजपा नहीं कहेगी कि हम राज्यसभा में अल्पमत में हैं इसलिए कानून नहीं पास हुआ, हमको विधानसभा में भी जिताइये ताकि राज्यसभा में भी बहुमत में आये और इस कानून को पास करवा सके ?
अगर तीन तलाक विधेयक पास नहीं होता है, विपक्षी दल इसको अटका के रखते हैं तो इसका फायदा सिर्फ और सिर्फ भाजपा को होगा। यह राम मंदिर और धारा 370 की तरह हमेशा के लिए मुद्दा बना रहेगा और प्रत्येक चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिलता रहेगा। मुझे भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी जी का 1990 में बिहार के मोतिहारी शहर में दिया भाषण अभी भी अक्षरश: याद है। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार चाहती है कि राम मंदिर चुनावी मुद्दा न बने तो राम मंदिर का निर्माण करवा दे। अभी भी यही स्थिति है, अगर कांग्रेस और विपक्षी चाहते हैं कि तीन तलाक मुद्दा न बने आगामी चुनावो में तो इस विधेयक को पास करवा दे। विधेयक पास हो या न हो, राजनीतिक फायदा भाजपा को ही होना है। जब दोनों ही स्थिति में यही होना है, तो क्यों न पास करवा दे ? जनता में यह सन्देश तो जाएगा कि विपक्ष जनहित के मुद्दे पर सरकार का साथ देती है। इससे थोड़ा बहुत फायदा विपक्षी दलो को भी होगा।