सवाल ये उठता है कि केजरीवाल जी पर ही बार बार ऐसे हमले क्यों होते हैं ? क्या मजा आता है हमलावर को ऐसी हरकत करने में ? कुछ विपक्षी नेता का बयान आता है कि ये केजरीवाल के प्रति जनता का गुस्सा है। ऐसा क्या कर दिया केजरीवाल जी ने जो जनता इतनी आक्रोशित हो गयी ? और ये इकलौता शख्स पूरी जनता के गुस्से का प्रतिनिधि कैसे बन गया ? जिधर केजरीवाल जी के कामो की देश विदेश में मिशाल दी जा रही है, प्रशंसा की जा रही है, उधर एक दिल्ली वासी को किस बात पर गुस्सा आ गया कि ऐसी हरकत कर बैठा ? चलो गुस्सा ही है तो क्या पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ केजरीवाल ही है जिसके प्रति लोगों का गुस्सा है ? किसी नेता की नीति और कार्यों से नाखुश होना अलग बात है लेकिन ये क्या तरीका हुआ गुस्सा निकालने का ? इसको सिर्फ गुस्सा निकालने का तरीका मान कर चुप नहीं रहा जा सकता।
हकीकत तो ये है कि केजरीवाल या फिर उनकी पार्टी के अलावा और किसी राजनीतिक दल का नेता जनता के इतने करीब ही नहीं जाते कि किसी की हिम्मत हो सके उनको छूने की। थप्पड़ मारना या फिर स्याही फेंकना तो दूर की बात है। कभी दूसरे पार्टी के नेता, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आम जनता के बीच जाते भी हैं तो इतने सारे सुरक्षाकर्मी से घिरे होते हैं कि किसी की हिम्मत भी नहीं हो सकती बदतमीजी करने की। तो जनता से करीबी की सजा मिल रही है केजरीवाल को ? जिस आम आदमी, आम जनता के करीब कोई दूसरा मुख्यमंत्री, मंत्री जाने की जहमत नहीं उठाता, उसके पास जाकर, उसका हाल मिजाज पूछकर गुनाह कर दिया केजरीवाल ने ? जनता को अपने करीब आने देना ही सबसे बड़ी गलती है केजरीवाल की ? जनता को समझने की जरुरत नहीं है ? इस बात को सोचना नहीं चाहिए कि अगर कोई मुख्यमंत्री आत्मीयता से मुलाकात कर रहा है तो उसको उचित मान सम्मान दे, बजाय बदतमीजी करने के ? जनता कब समझदार होगी ?