7 नवम्बर, 2017
कल सुबह से ही दिल्ली स्मॉग की चादर में लिपटी हुई है। अंग्रेजी में स्मोक (धुआँ)और फोग (कोहरा या कुहासा) के मिश्रण को स्मोग कहते हैं। अब हिन्दी में क्या कहें ? धुआँसा ? या धौहरा ? कुछ भी कह लें लेकिन स्थिति बहुत खतरनाक हो गई है। अब इसका असर तो यहाँ के निवासियों पर ही होगा, तो सुबह सुबह सैर करने, बाहर निकलने से मना किया जा रहा है, लोगो को घर पर ही रहने को कहा जा रहा है। और किया भी क्या जा सकता है ? स्मोग या धुआँसा के दुष्प्रभाव से बचने की सलाह ही दी जा सकती है, धुआँसा को रोकने के उपाए तो किये नहीं जा सकते। दिल्ली की फिजा में सिर्फ इसी मौसम में नहीं, बल्कि पूरे साल जहरीली हवा बहती है, इस मौसम में इसके दुष्प्रभाव ज्यादा होते हैं।
अब कोहरा को होने से तो रोक नहीं सकते ये तो प्रकृति की देन है, लेकिन धुआँ को बढ़ने से कौन रोके ? क्या कहा, सरकार ? सरकार क्या करेगी ? धुआँ के स्रोत को बंद या कम करने की कोशिश करेगी। फिर क्या होगा ? काफी साल पहले , शायद 1997 में माननीय न्यायालय द्वारा दिल्ली की प्रदूषणकारक कारखानों को दिल्ली से बाहर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया। नतीजा क्या हुआ ? हम लोग कुछ करे न करे लेकिन किसी भी बात का विरोध झट से कर देते हैं। चाहे इसके फायदे और नुकसान पता हो न हो लेकिन विरोध जरूर करते हैं। हो गया विरोध शुरू, दिल्ली की अर्थव्यवस्था खड्डे में जाने और करोडो लोगों के बेघर और बेरोजगार होने की दुहाई दी गई, मानों जिधर फैक्ट्री शिफ्ट होगी उधर लोगो को रोजगार ही नहीं मिलेगा या इधर के मजदूर फैक्ट्री के साथ उधर शिफ्ट ही नहीं होंगे। फिर भी न्यायालय की सख्ती के बाद कुछ कारखाने शिफ्ट हो गए, लेकिन अधिकांश अभी भी दिल्ली में ही हैं।
दिल्ली में नित नए भवन निर्माण हो रहे हैं, सड़क निर्माण भी हो रहे हैं। भाई अब विकास हो रहा है तो निर्माण भी होगा, इससे जो धुल कण उड़ते हैं उसका बहुत योगदान है दिल्ली के वायु को प्रदूषित करने में। लेकिन क्या किया जाए, किस सरकार में हिम्मत है जो निर्माण को रोकने की हिमाकत करे ? बस सबकुछ चलता जा रहा है। न्यायालय का आदेश भी आता है तो उसमें भी पलीता लगाने की भरपूर कोशिश की जाती है। दिल्ली के वाहनों का भी कम योगदान नहीं है दिल्ली की फ़िजा में जहर घोलने में। लेकिन फिर भी प्रति साल वाहनों की रजिस्ट्रेशन में वृद्धि ही होती जा रही है। किस सरकार में हिम्मत है जो इसको रोके ? केजरीवाल जी ने हिम्मत की थी, उनको बड़ा शौक था जनता को कड़वी दवाई पिलाने की। सो करवा दिए लागू दिल्ली में ओड-इवन। अचानक से ही दिल्ली के लोगों को अपनी सारी समस्याओं की जड़, इस ओड इवन में ही दिखने लगी।
सबको फ़िक्र होने लगी की घर में कोई बीमार होगा तो अस्पताल कैसे ले जाएंगे। अभी स्थिति ऐसी है की बीमार को घर से अस्पताल ले जाएंगे तो ले जाने वाले के भी बीमार होने की प्रबल सम्भावना है। ओड इवन के जोरदार विरोध में विपक्षी पार्टियों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया । अचानक से सभी पर्यावरण विशेषज्ञ बन गए। कहने लगे की सबसे ज्यादा प्रदुषण तो निर्माण से होता है, पहले उसको रोको। निर्माण को रोकवाओ तो कहेंगे सबसे ज्यादा प्रदुषण फैक्ट्रीज से निकलने वाले धुओं से होता है पहले उसको बंद करो, उसको दिल्ली से बाहर करो तो कहेंगे कि दिल्ली में लोग बेरोजगार हो जाएंगे। मतलब कि जनता कुछ न करे, तनिक तकलीफ भी न सहे, बस सरकार जादू की छड़ी घुमाये और सारी समस्याओ का हल हो जाए।
केजरीवाल जी को जनता के इस मिजाज का इल्म नहीं था , उनकी नजर में जनता बड़ी ही मासूम थी। सो पिला दी कड़वी दवा ओड इवन वाली, जनता ने भी उनको औकात दिखा दिया और दिल्ली नगर निगम के चुनाव में प्रचंड पराजय से नवाजा। अभी स्थिति बहुत ख़राब है, घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है। सबको पता है कि अगर अपनी गाडी 3-4 दिनों के लिए सड़क पर न निकालें तो स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आ सकता है। लेकिन ऐसी कुर्बानी दे कौन और क्यों दे ? केजरीवाल को वोट किस लिए दिया, अगर हमें ही कुर्बानी देनी पड़े। अभी पिछले ही महीने माननीय न्यायालय ने आदेश जारी करके दिल्ली में पटाखे की बिक्री प्रतिबंधित कर दिया था। आमतौर पर न्यायालय के आदेश की आलोचना नहीं की जाती है, लेकिन कुछ लोगो ने इसकी भी आलोचना की। जजों पर चुटकुले जोक शेयर किये जाने लगे। और न्यायालय के आदेश का कोई असर होता नहीं दिखा, जम के आतिशबाजी की गई। आज दिल्ली में जो जहरीला स्मोग है उससे सिर्फ जज साहेब ही प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि दिल्ली की पूरी जनता होगी। जज साहेब तो फिर भी समर्थवान हैं अपने घर में, गाडी में , अपने चैम्बर में एयर प्यूरीफायर लगवा सकते हैं लेकिन आम जनता का क्या ?
तो करते रहिये अपनी मनमानी, देते रहिये बिमारियों को दावत। और हाँ कोई रोके तो उसको औकात पर भी लाइए, लेकिन ध्यान रखिये उस सर्वशक्तिमान पर आपका जोर नहीं है, उसको अपनी सत्ता जाने का डर नहीं है। वो भी अपनी मनमानी करेगा और आप उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।