कल दिल्ली नगर निगम चुनाव का परिणाम आना है। वैसे तो नगर निगम के चुनावो में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रहती राजनीतिक पंडितों की, लेकिन दिल्ली का यह चुनाव पूरे देश के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों के साथ साथ पहली बार नगर निगम चुनाव में हिस्सा ले रही आम आदमी पार्टी के लिए भी यह चुनाव अति-महत्त्वपूर्ण है। वैसे आम आदमी पार्टी पिछले साल हुए दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव में हिस्सा ले चुकी है और कुल 13 में से सर्वाधिक 5 सीटों पर इसको विजय भी हासिल हुई थी। 2014 के लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र आसीन भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली, बिहार के विधान सभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी। लेकिन उसके बाद हुए हरियाणा एवं महाराष्ट विधानसभा चुनाव में सफलता पाकर पार्टी वहाँ सरकार बनाने में सफल हुई है। जम्मू और कश्मीर में भी गठबंधन सरकार का हिस्सा है भारतीय जनता पार्टी। पिछले साल असम में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ आगे बढ़ता ही जा रहा है।
इसी साल फरवरी-मार्च में संपन्न 5 राज्यों में सिर्फ पंजाब में ही पार्टी की दुर्गति हुई। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी को विजयश्री मिली और तो और मणिपुर और गोवा में पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में सफल हुई। पार्टी की तरफ से पूरे देश में मोदी लहर होने के दावे किए जा रहे हैं। इनके छोटे कार्यकर्ताओं की बात ही क्या, बड़े-बड़े नेताओं का अति-आत्मविश्वास सर चढ़कर बोल रहा है। पार्टी अपने आपको अपराजेय माने बैठी है। इसलिए इस चुनाव को प्रचंड बहुमत से जीतना पार्टी के लिए बहुत जरुरी है, तभी अगले चुनावो के लिए मनोबल बना रहेगा। वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने की जोरदार कोशिश कही जा सकती है। भले ही 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की सभी सीट पर विजय प्राप्त की हो लेकिन उसके साल भर के भीतर ही हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिली। पार्टी कुल 70 सीटों में से 67 पर विजय पाने में कामयाब हुई। उसके बाद से दिल्ली आम आदमी पार्टी का गढ़ सा बन गया है जिसको भेदना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल सा है। पंजाब चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने और गोवा में बुरी तरह हारने के बाद दिल्ली नगर निगम का चुनाव इस नई नवेली पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो इस चुनाव में हार जीत से दिल्ली सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन विरोधियों को मुंह चिढ़ाने का मौका मिल सकता है, जो पार्टी के गठन के समय से ही इसके विघटन के सपने संजोय बैठी है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई शर्मनाक हार के बाद से पार्टी को कहीं कोई सफलता नहीं मिली थी, सिर्फ इस साल पंजाब में सरकार बनाने में पार्टी कामयाब हुई है। दिल्ली में तो लगातार पार्टी को मुंह की ही खानी पड़ रही है। गोवा और मणिपुर में तो पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो गई। दिल्ली में लगातार 15 साल तक राज करने वाली पार्टी को 2013 के चुनाव में सिर्फ 8 सीट मिली और 15 साल तक लगातार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित राजनीति के नौसिखिये अरविन्द केजरीवाल से पराजित हो गई। 2015 के चुनाव में तो पार्टी के साथ और भी बुरा हुआ, एक भी सीट नहीं जीत पाई, कुल सत्तर में से। सूपड़ा साफ हो गया पार्टी का दिल्ली से। दिल्ली से लोकसभा में 0 सीट और दिल्ली विधानसभा में भी 0 सीट। इसी महीने दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में पार्टी को एक मौका मिला था विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराने का लेकिन इसमें भी इसकी चिर-प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी बाजी मार गई।
कांग्रेस में वो माद्दा नहीं दिखता कि यह भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती दे सके। दिल प्रतिदिन पार्टी कमजोर ही हो रही है। दिल्ली पिछले 4 - 5 सालों से आम आदमी पार्टी को अपना आशीर्वाद दे रही है, तो उम्मीद की जानी चाहिए की भाजपा के विजय रथ को यही पार्टी रोक सकती है, वैसे एग्जिट पोल के नतीजे तो इसके लिए भी निराशाजनक ही हैं।
इसी साल फरवरी-मार्च में संपन्न 5 राज्यों में सिर्फ पंजाब में ही पार्टी की दुर्गति हुई। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी को विजयश्री मिली और तो और मणिपुर और गोवा में पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में सफल हुई। पार्टी की तरफ से पूरे देश में मोदी लहर होने के दावे किए जा रहे हैं। इनके छोटे कार्यकर्ताओं की बात ही क्या, बड़े-बड़े नेताओं का अति-आत्मविश्वास सर चढ़कर बोल रहा है। पार्टी अपने आपको अपराजेय माने बैठी है। इसलिए इस चुनाव को प्रचंड बहुमत से जीतना पार्टी के लिए बहुत जरुरी है, तभी अगले चुनावो के लिए मनोबल बना रहेगा। वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने की जोरदार कोशिश कही जा सकती है। भले ही 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की सभी सीट पर विजय प्राप्त की हो लेकिन उसके साल भर के भीतर ही हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिली। पार्टी कुल 70 सीटों में से 67 पर विजय पाने में कामयाब हुई। उसके बाद से दिल्ली आम आदमी पार्टी का गढ़ सा बन गया है जिसको भेदना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल सा है। पंजाब चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने और गोवा में बुरी तरह हारने के बाद दिल्ली नगर निगम का चुनाव इस नई नवेली पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो इस चुनाव में हार जीत से दिल्ली सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन विरोधियों को मुंह चिढ़ाने का मौका मिल सकता है, जो पार्टी के गठन के समय से ही इसके विघटन के सपने संजोय बैठी है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई शर्मनाक हार के बाद से पार्टी को कहीं कोई सफलता नहीं मिली थी, सिर्फ इस साल पंजाब में सरकार बनाने में पार्टी कामयाब हुई है। दिल्ली में तो लगातार पार्टी को मुंह की ही खानी पड़ रही है। गोवा और मणिपुर में तो पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो गई। दिल्ली में लगातार 15 साल तक राज करने वाली पार्टी को 2013 के चुनाव में सिर्फ 8 सीट मिली और 15 साल तक लगातार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित राजनीति के नौसिखिये अरविन्द केजरीवाल से पराजित हो गई। 2015 के चुनाव में तो पार्टी के साथ और भी बुरा हुआ, एक भी सीट नहीं जीत पाई, कुल सत्तर में से। सूपड़ा साफ हो गया पार्टी का दिल्ली से। दिल्ली से लोकसभा में 0 सीट और दिल्ली विधानसभा में भी 0 सीट। इसी महीने दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में पार्टी को एक मौका मिला था विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराने का लेकिन इसमें भी इसकी चिर-प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी बाजी मार गई।
कांग्रेस में वो माद्दा नहीं दिखता कि यह भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती दे सके। दिल प्रतिदिन पार्टी कमजोर ही हो रही है। दिल्ली पिछले 4 - 5 सालों से आम आदमी पार्टी को अपना आशीर्वाद दे रही है, तो उम्मीद की जानी चाहिए की भाजपा के विजय रथ को यही पार्टी रोक सकती है, वैसे एग्जिट पोल के नतीजे तो इसके लिए भी निराशाजनक ही हैं।
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