4 अप्रैल, 2017
करीब एक हफ्ता होने को आए, उस्मानाबाद, महाराष्ट्र से शिव सेना के लोकसभा सांसद रविन्द्र गायकवाड़ ने एक एयरलाइन के स्टाफ की जूतों से पिटाई की। उसको पीटने के बाद भी उनके चेहरे पर जरा भी पछतावा का संकेत नहीं था। बल्कि वो बड़े ही शान से अपने गौरव की गाथा गा रहे थे मीडिया वालों के सामने। कह रहे थे की उसने मोदी जी का अपमान किया तो सांसद महोदय को इतना गुस्सा आ गया कि उन्होंने उसकी चप्पल से पिटाई कर दी। मतलब कि आपको गुस्सा आए तो किसी की जम के पिटाई कर दो।
दरअसल आजकल जनप्रतिनिधि अपने आप को भगवान से कम नहीं समझने लगे हैं। इनको जनता की गाढ़ी मेहनत से कमाई पैसों से इतनी सुविधाए मिलने लगी हैं कि ये अपने आप को राजा महाराजा समझते हैं और आम जनता को अपना गुलाम। जबकि कायदे से जन प्रतिनिधि को जनता का सेवक होना चाहिए। लेकिन होता इसके बिलकुल उल्टा है। जनता पैसे के अभाव में भूखे मर रही है, लेकिन जन प्रतिनिधि को भारी भरकम तनख्वाह और भत्ता मिल रहे हैं। जनता बस ट्रेनों में धक्के खाते हुए यात्रा कर रही है लेकिन इनको फ्लाइट और मुफ्त गाड़ी - पेट्रोल की सुविधा मिल रही है। यही कारण है कि जन प्रतिनिधियों का दिमाग सातवें आसमान पर है।
इस घटना के बाद तुरंत प्रभाव से सभी एयरलाइन्स ने उनको किसी भी फ्लाइट में यात्रा करने से प्रतिबंधित कर दिया। यह निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम है। लेकिन संसद की तरफ से, लोकसभा अध्यक्षा महोदया की तरफ से अभी तक सांसद महोदय पर किसी तरह की कड़ी कार्रवाई करने की खबर नहीं आई है। और तो और दिल्ली पुलिस ने भी इसका संज्ञान लेते हुए सांसद महोदय पर कोई कार्रवाई नहीं की है। अगर यही कोई आम आदमी पार्टी का नेता होता, पुलिस अभी तक घसीटते हुए ले जाती जैसा कि अमानतुल्लाह जी के मामले में हुआ था। आम आदमी पार्टी से जुड़ा मामला हो तो दिल्ली पुलिस अति-सक्रियता से काम करती है। लेकिन किसी और दल के नेता के मामले में सामान्य सक्रियता क्यों नहीं दिखा पाती ?
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