25 अप्रैल, 2017
कल सुकमा में हुए नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में बहादुरी से लड़ते हुए हमारे कुछ जवान शहीद हो गए। बहुत ही दुखद घटना है ये, जवानों की बहादुरी को नमन, उनकी शहादत को नमस्कार। नक्सलियों द्वारा किए गए इस कायराना हरकत की जितनी निंदा की जाए कम है, लेकिन आम जनता और कर भी क्या सकती है ? नक्सलियों ने कोई पहली बार ऐसी हरकत नहीं की है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी केंद्रीय गृहमंत्री कड़ी निंदा करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ रहे हैं।
कड़ी निंदा तो पूर्ववर्ती यूपीए सरकार भी करती थी। ठोस कदम उठाने के लिए ही तो 10 साल से जमी सरकार को हटाकर नए लोगों के हाथो में सत्ता की कमान सौंपी गई थी। लेकिन अफ़सोस, राजनाथ सिंह भी सिर्फ कड़ी निंदा ही कर रहे हैं। फिर उम्मीद किससे की जाए ? आज पूरा देश दुखी है जवानों की शहादत पर। मोदी जी के प्रबल समर्थक मित्र भी आज राजनाथ सिंह की कड़ी निंदा कर रहे हैं। उनको अभी भी मोदी जी से उम्मीद है। उनको लगता है कि जो भी कोताही बरती जा रही है वो सिर्फ राजनाथ सिंह की तरफ से है, वरना मोदी जी तो एक मिनट में कड़ा फैसला ले लेंगे।
उन मित्रों को बता दूँ कि किसी भी गंभीर मसले पर दिया गया गंभीर बयान सिर्फ सम्बद्ध व्यक्ति या मंत्री का निजी बयान नहीं होता, बल्कि उससे पूरे मंत्रिमंडल की मंशा स्पष्ट होती है। ये गली मोहल्ले का मसला नहीं कि जिसके मन में जो आया बोल दे। अगर राजनाथ सिंह कोई बयान देते हैं तो इसमें मोदी जी की भी मूक सहमति है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। जिनको मोदी जी से अभी भी उम्मीद है उनको बता दूँ कि ये तो अभी शुरुआत है, बयानबाजी करके, लोगों को बहला फुसलाकर सत्ता में तो आ गए हैं ये लोग, लेकिन काम वही कर रहे हैं जो कभी कांग्रेस किया करती थी और तब ये लोग कांग्रेस की खूब लानत मलामत किया करते थे।
न तो इनकी मंशा धारा 370 ख़त्म करने की है और न ही अयोध्या में राम मंदिर बनाने की। ये सिर्फ मुद्दे को जिन्दा रखना चाहते हैं ताकि इसका चुनावी फायदा ले सके। जब भी उत्तरप्रदेश में चुनाव होते हैं ये मंदिर मुद्दा जरूर उठाते हैं और वोट बटोरने की नाकाम या कामयाब कोशिश करते हैं। 1989 में पहली बार भाजपा ने राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाया था और तब से प्रभु राम जी के नाम पर वोट बटोरकर कई बार सत्ता में आ चुके हैं लेकिन मंदिर मुद्दा वहीं का वहीं है।
अब तो तीन तलाक के मुद्दे पर इन्होने मुस्लिम महिलाओं को भी वोट बैंक समझना शुरू कर दिया है। तीन तलाक के मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर मुस्लिम महिलाओं का वोट हासिल करने में ये सफल तो हो गए हैं लेकिन अभी भी इस मुद्दे पर सिर्फ अपनी वचनबद्धता ही दुहरा रहे हैं, धरातल पर कुछ कर नहीं रहे। और करेंगे भी नहीं। इसको भी धारा 370, राम मंदिर की तरह सिर्फ वोट पाने का जरिया बनाके रखेंगे। क्योंकि इनकी मंशा सिर्फ सत्ता पाने की है, मुद्दे सुलझाने की नहीं।
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