3 अप्रैल, 2017
हमारे देश में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। इसका काम स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाना है। चुनाव आयोग का काम ऐसा माहौल तैयार करवाना है जिसमें लोग बिना भय के वोट डाल सके। यही कारण है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही सम्बंधित क्षेत्र की सम्पूर्ण सरकारी मशीनरी पर चुनाव आयोग का नियंत्रण हो जाता है। चुनाव आयोग को वह सब करने की छूट होती है जिसको वह निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए उचित और अनिवार्य समझता है। इसको स्वतंत्र संस्था यही सोचकर बनाया गया है कि चुनाव पर किसी का प्रभाव न हो।
अगर कोई उम्मीदवार या राजनीतिक दल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करता है उसको नोटिस भेजना और यथोचित दंड देना भी चुनाव आयोग के कार्य-क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। चुनाव आयोग से निष्पक्ष होने की उम्मीद की जाती है। अतीत में चुनाव आचार संहिता का अत्यंत कड़ाई से पालन करवाने को लेकर बहुत से चुनाव आयुक्त प्रसिद्धि और जनता का विशेष सम्मान भी पा चुके हैं जिसमें पूर्व चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का नाम उल्लेखनीय है। उन्होंने ही बोगस / फर्जी वोटिंग रोकने के लिए वोटर आई कार्ड की व्यवस्था शुरू करवाई थी।
चुनाव आयुक्त ने बहुतों बार राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है लेकिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में किसी भी चुनाव आयुक्त ने किसी राजनीतिक दल को हार के कारणों की समीक्षा या आत्मचिंतन, आत्मनिरीक्षण करने की सलाह नहीं दी। परंतु खबर है कि कल चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को पंजाब विधानसभा चुनाव में आशा के अनुरूप परिणाम न आने के लिए आत्म चिंतन करने की सलाह दी। चुनाव आयोग का इस तरह का बयान देना भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
चुनाव आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था जिस पर देश का लोकतंत्र की नींव ही टिकी हुई है, के तरफ से अति-सक्रीय होकर इस तरह के बयान देना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है। बहुत गलत परम्परा की शुरुआत कर दी है चुनाव आयोग ने। भविष्य में इनके उत्तराधिकारी अपनी सक्रियता बढाकर बयान दे सकते हैं। लेकिन ताज्जुब की बात है कि आम आदमी पार्टी को छोड़कर किसी भी राजनीतिक दल ने चुनाव आयोग के इस बयान पर एतराज नहीं जताया।
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