जिस दिन से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ है, उसी दिन से इसकी समाप्ति की भविष्यवाणी की जा रही है। हर चुनाव में इसके ख़त्म होने की भविष्यवाणी की जाती है। गोवा में 0 सीट मिली तो कहा गया कि पार्टी अब तो ख़त्म है, दिल्ली में कांग्रेस को 0 सीट मिली 2015 के इलेक्शन में तो उसके लिए ऐसी भविष्यवाणी नहीं हुई। पंजाब में तो 20 सीट मिली, नेता विपक्ष का भी पद मिला जो कि पहली बार चुनाव लड़ने वाली किसी भी पार्टी के लिए कम बड़ी उपलब्धि नहीं है, लेकिन कहा गया कि पार्टी अब ख़त्म हो गई। अब दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में पार्टी की हार हुई तो एक बार फिर से यह चर्चा जोरों पर है।
कोई ये मानने को तैयार ही नहीं है कि हार जीत राजनीति में चलती रहती है और हारने से पार्टी ख़त्म नहीं हो जाती। फिर भी, हम मान लेते हैं कि अब से हर चुनाव में आम आदमी पार्टी को 0 सीट मिलेंगी और पार्टी ख़त्म हो जाएगी। फिर ? फिर क्या होगा ? शीर्ष नेतृत्व से शुरू करते हैं। केजरीवाल जी और उनकी पत्नी क्लास वन नौकरी से रिटायर्ड हैं, उनको पेंशन मिलेगा, 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री वाली सारी सुविधाएं मिलेंगी उनको। मनीष सिसोदिया और दूसरे मंत्रियों, विधायकों को पेंशन मिलेगी और अपने अपने पुराने कामों में भी लौट जाएंगे। बाकी सारे कार्यकर्ता भी पढ़े लिखे हैं, कुछ न कुछ कर ही लेंगे।
तो फिर फर्क किसको पड़ेगा ?
1. दिल्ली में पानी मुफ्त है हर महीने 20 हजार लीटर के उपयोग तक, पहले नहीं था तो दूसरी सरकार क्यों इसको चालू रखेगी ?
2. 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर 50 % सब्सिडी मिलती है। पहले कभी नहीं मिलती थी, तो दूसरी सरकार इसको क्यों जारी रखेगी ?
3. बिजली कम्पनियों के पूरे जोर लगाने के बावजूद दिल्ली में 2 सालों से बिजली दर नहीं बढ़ाई गई, क्या दूसरी सरकार इसको जारी रख पायेगी ?
3. बिजली कम्पनियों के पूरे जोर लगाने के बावजूद दिल्ली में 2 सालों से बिजली दर नहीं बढ़ाई गई, क्या दूसरी सरकार इसको जारी रख पायेगी ?
4. प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लग रही है, बढे हुए फ़ीस वापस करवाय जा रहे हैं। इनके लिए नए नियामक भी बनने वाले हैं। ये सब पहले कभी नहीं हुआ, कोई तो कारण होगा न, फिर दूसरी सरकार इसको क्यों जारी रखेगी ?
5. शिक्षा का बजट लगभग दोगुना कर दिया गया, अतीत में ऐसा नहीं हुआ। क्या दूसरी सरकार इसको जारी रखेगी ? यदि हाँ तो पहले क्यों नहीं ऐसा करती थी ?
कुल मिलाकर तस्वीर साफ़ है कि आम आदमी पार्टी के खात्मे के बाद तस्वीर क्या हो सकती है। बाकि जनता जनार्दन का फैसला सर आँखों पर।
5. शिक्षा का बजट लगभग दोगुना कर दिया गया, अतीत में ऐसा नहीं हुआ। क्या दूसरी सरकार इसको जारी रखेगी ? यदि हाँ तो पहले क्यों नहीं ऐसा करती थी ?
कुल मिलाकर तस्वीर साफ़ है कि आम आदमी पार्टी के खात्मे के बाद तस्वीर क्या हो सकती है। बाकि जनता जनार्दन का फैसला सर आँखों पर।
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