रविवार, 30 अप्रैल 2017
मंगलवार, 25 अप्रैल 2017
अश्वमेघ के इस घोड़े को तो अरविन्द और मनीष ही रोकेंगे।
4/25/2017 08:53:00 pm
MCD Election, MCD Election 2017
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इसी साल फरवरी-मार्च में संपन्न 5 राज्यों में सिर्फ पंजाब में ही पार्टी की दुर्गति हुई। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी को विजयश्री मिली और तो और मणिपुर और गोवा में पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में सफल हुई। पार्टी की तरफ से पूरे देश में मोदी लहर होने के दावे किए जा रहे हैं। इनके छोटे कार्यकर्ताओं की बात ही क्या, बड़े-बड़े नेताओं का अति-आत्मविश्वास सर चढ़कर बोल रहा है। पार्टी अपने आपको अपराजेय माने बैठी है। इसलिए इस चुनाव को प्रचंड बहुमत से जीतना पार्टी के लिए बहुत जरुरी है, तभी अगले चुनावो के लिए मनोबल बना रहेगा। वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने की जोरदार कोशिश कही जा सकती है। भले ही 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की सभी सीट पर विजय प्राप्त की हो लेकिन उसके साल भर के भीतर ही हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिली। पार्टी कुल 70 सीटों में से 67 पर विजय पाने में कामयाब हुई। उसके बाद से दिल्ली आम आदमी पार्टी का गढ़ सा बन गया है जिसको भेदना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल सा है। पंजाब चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने और गोवा में बुरी तरह हारने के बाद दिल्ली नगर निगम का चुनाव इस नई नवेली पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो इस चुनाव में हार जीत से दिल्ली सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन विरोधियों को मुंह चिढ़ाने का मौका मिल सकता है, जो पार्टी के गठन के समय से ही इसके विघटन के सपने संजोय बैठी है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई शर्मनाक हार के बाद से पार्टी को कहीं कोई सफलता नहीं मिली थी, सिर्फ इस साल पंजाब में सरकार बनाने में पार्टी कामयाब हुई है। दिल्ली में तो लगातार पार्टी को मुंह की ही खानी पड़ रही है। गोवा और मणिपुर में तो पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो गई। दिल्ली में लगातार 15 साल तक राज करने वाली पार्टी को 2013 के चुनाव में सिर्फ 8 सीट मिली और 15 साल तक लगातार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित राजनीति के नौसिखिये अरविन्द केजरीवाल से पराजित हो गई। 2015 के चुनाव में तो पार्टी के साथ और भी बुरा हुआ, एक भी सीट नहीं जीत पाई, कुल सत्तर में से। सूपड़ा साफ हो गया पार्टी का दिल्ली से। दिल्ली से लोकसभा में 0 सीट और दिल्ली विधानसभा में भी 0 सीट। इसी महीने दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में पार्टी को एक मौका मिला था विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराने का लेकिन इसमें भी इसकी चिर-प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी बाजी मार गई।
कांग्रेस में वो माद्दा नहीं दिखता कि यह भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती दे सके। दिल प्रतिदिन पार्टी कमजोर ही हो रही है। दिल्ली पिछले 4 - 5 सालों से आम आदमी पार्टी को अपना आशीर्वाद दे रही है, तो उम्मीद की जानी चाहिए की भाजपा के विजय रथ को यही पार्टी रोक सकती है, वैसे एग्जिट पोल के नतीजे तो इसके लिए भी निराशाजनक ही हैं।
सिर्फ कड़ी निंदा ही करनी थी तो मनमोहन सिंह कौन से बुरे थे ?
4/25/2017 08:38:00 am
Naxali Attack, Sukma Attack
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सोमवार, 24 अप्रैल 2017
एग्जिट पोल की जय हो।
4/24/2017 01:14:00 pm
Exit Poll, MCD Election, MCD Election 2017, Opinion Poll
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लेकिन फिर भी सभी चैनल अपने पोल को वास्तविकता के ज्यादा करीब होने का दावा करते हैं और इसके पक्ष में तरह तरह की दलील भी पेश करते हैं। कैसे कुछ हजार सैम्पल्स के आधार पर पूरे राज्य के लाखो या करोड़ो मतदाताओं का मिजाज भाँप लेने का दावा करते हैं सर्वे वाले, ये मेरी समझ बाहर है। किस तरह के विज्ञान का सदुपयोग करते हैं सर्वे वाले यह भी मेरे तुच्छ मस्तिष्क में नहीं घुस रहा। सैम्पल में 100% वोटर नहीं तो कम से कम 10% - 20 % वोटर तो हो। हो सकता है कि जिन लोगों ने ओपिनियन पोल में राय रखी, वही लोग मतदान के वक्त अपना मिजाज बदल लें और किसी दूसरे को वोट दे दें। यह भी तो हो सकता है कि जिस विधानसभा के एक कोने में ये पूछताछ करते हैं उसका मिजाज अन्य इलाको के बिलकुल उलट हो। यही हाल एग्जिट पोल का भी हो सकता है।
कुछ पोलिंग स्टेशन पर कुछ लोगो से गुप्त मतदान करवा के ये समझते हैं कि जनता का मिजाज भाँप लिया उन्होंने। कुछ लोग पूरी विधानसभा या वार्ड के मिजाज का आइना होंगे, ऐसा सर्वे वाले या एग्जिट पोल वाले ही सोच सकते हैं। कोई जरुरी है कि ये "कुछ लोग" बाहर आकर भी उसी के पक्ष में मतदान करेंगे जिसको अंदर किया था ? इसी से इन एग्जिट पोल वालों और ओपिनियन पोल वालों के परिणामों की विश्वसनीयता पर शक करने का दिल करता है। मुझे अभी भी याद है कि कैसे 1998 के लोकसभा चुनाव के समय हुए एग्जिट पोल के परिणाम को तब कांग्रेस और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री मोहतरमा नजमा हेपतुल्ला जी ने मजबूती से दलील देकर सिरे से नकार दिया था।
फिर भी लोगों को इस तरह के पोल्स के परिणाम को जानने में बड़ी दिलचस्पी होती है। जनता का समय कट जाता है और राजनीतिक दल को अपनी भड़ास निकालने का मौका मिलता है। जिस पार्टी को जीत मिलती दिखाई जाती है उसके नेता को पोल वाले पर बिल्कुल अटूट विश्वास हो चलता है, मंद-मंद मुस्कुराते हुए, कभी कभी हँसी को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहते हैं, भई आपके रिजल्ट से भी ज्यादा अच्छे परिणाम आएंगे हमारे। उनको अतिविश्वास हो जाता है। जिनकी पार्टी को हारते हुए दिखाया जाता है वे या तो चुनाव परिणाम आने की नसीहत देते हैं या फिर सिरे से ही एग्जिट या ओपिनियन पोल के परिणाम को नकार देते हैं। कुल मिलाकर चैनल और पोल करने वालों की कमाई होती है इससे ज्यादा कुछ नहीं होता।
कल ही दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ है और उसके तुरंत बाद चैनलों पर एग्जिट पोल दिखाए गए। इसके बाद किसी मित्र ने फेसबुक पर अपडेट किया कि अच्छी बारिश हो सकती है। मैंने पुछा कि ये एग्जिट पोल है या ओपिनियन पोल. उन्होंने कुछ देर बाद जवाब दिया "रिजल्ट"। कहते हैं बारिश होगी। कभी कभी हो जाती है, लेकिन हर बार नहीं होती। बिल्कुल यही हाल है इन एग्जिट और ओपिनियन पोल का। इनके परिणाम कभी कभी वास्तविकता से 2 मीटर दूर होते हैं तो कभी कभी 200 किलो मीटर। लेकिन ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल अनवरत रूप से चलता रहता है।
सोमवार, 17 अप्रैल 2017
नंगा किसान, पिटता जवान, कैसे कहूं मेरा देश महान।
शनिवार, 15 अप्रैल 2017
चलो मान लिया आम आदमी पार्टी ख़त्म हो गई, फिर ?
3. बिजली कम्पनियों के पूरे जोर लगाने के बावजूद दिल्ली में 2 सालों से बिजली दर नहीं बढ़ाई गई, क्या दूसरी सरकार इसको जारी रख पायेगी ?
5. शिक्षा का बजट लगभग दोगुना कर दिया गया, अतीत में ऐसा नहीं हुआ। क्या दूसरी सरकार इसको जारी रखेगी ? यदि हाँ तो पहले क्यों नहीं ऐसा करती थी ?
कुल मिलाकर तस्वीर साफ़ है कि आम आदमी पार्टी के खात्मे के बाद तस्वीर क्या हो सकती है। बाकि जनता जनार्दन का फैसला सर आँखों पर।
शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017
ख़त्म हो गई आम आदमी पार्टी, बर्बाद हो गया केजरीवाल !
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
सस्ती मिले तो जहर भी खरीद लेंगे कुछ लोग !
4/10/2017 08:45:00 pm
BS-III ban, Court bans sale of BS-III vehicles. Heavy discount on BS-III vehicles
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोगों की जान से खेल रही है भाजपा सरकार।
4/10/2017 01:33:00 pm
Highways converted into local roads, Liquor ban near Highways.
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बुधवार, 5 अप्रैल 2017
मानहानि मुक़दमे में केजरीवाल का मास्टर स्ट्रोक।
4/05/2017 09:38:00 pm
Arun Jaitely Defamation Case, Fees of Ram Jethmalani for Defamation Case on AK, Master Strok of Kejriwal in Jaitely Defamation case
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कई साल पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। अभी तक केस चल रहा है। राजनीतिक जीवन में राजनेताओं पर मुक़दमे होते ही रहते हैं, कुछ बदले की भावना से तो कुछ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर तो कुछ मानहानि के। इसमे कुछ नया नहीं है। एक मिनट को आम आदमी तो घबरा भी जाए ऐसे मुकदमो से, लेकिन राजनेताओं को शायद ही घबराहट होती हो। इस मुकदमें में तो अब सुनवाई भी शुरू हो चुकी है। पिछले महीने अरुण जेटली जी का केजरीवाल जी के वकील राम जेठमलानी जी द्वारा क्रॉस एग्जामिनेशन भी हुआ था। ये केस शुरू से ही चर्चे में था।
अभी इसकी चर्चा केजरीवाल जी के वकील राम जेठमलानी जी को दी जाने वाली फ़ीस को लेकर है। खबर है कि वकील साहेब की फ़ीस, जो कि तीन करोड़ के करीब है, के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार को वकील साहेब ने बिल भेज दिया। दिल्ली सरकार ने कानून विभाग को भुगतान के लिए निर्देश दिए। लेकिन अब मामला उपराज्यपाल महोदय के पास है। LG साहेब बिल पास करेंगे तो भुगतान होगा, नहीं पास करेंगे तो भुगतान नहीं होगा। कायदे से तो LG साहेब सिर्फ सरकारी बिलों को ही पास करेंगे, यानि जो खर्चा मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर विभागों का होता है उसी को पास करेंगे।
जेटली जी ने कोर्ट में कहा था कि केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं इसलिए लोग उनकी बात पर विश्वास करते हैं जिससे उनकी मानहानि हुई। मतलब कि एक सामान्य इंसान के रूप में अगर केजरीवाल जी सामाजिक कार्यकर्त्ता मधु किश्वर जी के उस ट्वीट को रिट्वीट करते तो मानहानि नहीं होती, लेकिन चूँकि एक मुख्यमंत्री ने रिट्वीट किया है इसलिए उनके सम्मान को अपूरणीय क्षति हुई है। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल जी ने सिर्फ ट्वीट को रिट्वीट किया था, अपनी तरफ से कोई इल्जाम नहीं लगाए थे। लेकिन जेटली जी ने मधु किश्वर जी पर तो कोई केस नहीं किया, रिट्वीट करने वाले अरविन्द केजरीवाल जी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया।
अब अगर LG साहेब इस बिल को पास नहीं करते हैं, यह मानकर कि मुकदमा तो अरविन्द केजरीवाल पर एक आम इंसान के तौर पर हुआ है, किसी मुख्यमंत्री पर नहीं तो कोर्ट में यह दलील दी जा सकती है कि मानहानि तो एक आम इंसान ने किया है, मुख्यमंत्री ने नहीं। फिर जेटली जी की यह दलील हल्की पड़ जाती है कि एक मुख्यमंत्री के रिट्वीट करने के कारण उनके सम्मान की अपूरणीय क्षति हुई है।
वैसे भी, रिट्वीट शायद अरविन्द केजरीवाल जी के निजी ट्वीटर अकाउंट से हुआ था, दिल्ली के मुख्यमंत्री के सरकारी अकाउंट से नहीं। अगर LG साहेब बिल पास कर देते हैं तो यह माना जायेगा कि मानहानि का मुकदमा मुख्यमंत्री पर है, लिहाजा मुक़दमे का खर्चा दिल्ली सरकार को उठाना पड़ सकता है। तो ये है केजरीवाल का मास्टर स्ट्रोक। गजब का दिमाग पाया है इस IITian ने।
मंगलवार, 4 अप्रैल 2017
कोई आपिया नेता होता तो कब का गिरफ्तार हो गया होता।
4/04/2017 08:46:00 am
Ravindra Gaikwad, Shiv Sena MP, Shiv Sena MP beats flight staff
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सोमवार, 3 अप्रैल 2017
चुनाव आयोग है या भाजपा का प्रवक्ता ?
4/03/2017 08:55:00 pm
Election Commission Denies Tempering with EVM, Tempered EVM, Tempering in EVM
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फैशन बन गया है "आप" नेताओं को थप्पड़ मारना।
4/03/2017 08:50:00 am
AAP leader slapped by volunteer, Woman Slaps Sanjay Singh
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रविवार, 2 अप्रैल 2017
महिला मंत्री भी सुरक्षित नहीं मोदी राज में।
4/02/2017 02:59:00 pm
Delhi not Safe for Women, Smriti Irani Chased by Guys
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तो EVM है भाजपा की जीत का राज ?
4/02/2017 12:24:00 pm
Tempered EVM, Tempering in EVM
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