28 मार्च, 2017
आम आदमी पार्टी के एक विधायक कल भारतीय जनता पार्टी से जा मिले। बड़े ही धूम धाम से उनका स्वागत किया गया तथाकथित "पार्टी विथ डिफेरेंस" में। अतीत गवाह रहा है, आम आदमी पार्टी से निकले लोगों का बहुत सम्मान होता है भारतीय जनता पार्टी में, निकाले हुए का तो और भी ज्यादा सम्मान होता है। बिन्नी, शाज़िया इसके उदहारण हैं। अब इस कड़ी में बवाना के विधायक वेद प्रकाश का नाम भी जुड़ गया है। पहले भाजपा के तीन विधायक थे अब वेद प्रकाश के जुड़ने से विधायकों की संख्या 4 हो गई है। भाजपाइयों के लिए खुशी की बात हो सकती है कि दो साल में ही करीब 33% की वृद्धि हो गई।
लेकिन हकीकत ये नहीं है। सोशल मीडिया में चल रही ख़बरों की मानें तो उन्होंने पार्टी के साथ-साथ विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। मतलब, अब वो विधायक नहीं रहे, बस विधानसभा अध्यक्ष जी की स्वीकृति की देर है। वैसे भी अगर वो इस्तीफा नहीं भी देते, फिर भी उनकी सदस्यता चली जाती क्योंकि उन्होंने खुद उस पार्टी की सदस्यता छोड़ी है जिसके सदस्य रहते हुए उसके टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे। दल बदल विरोधी कानून के तहत ऐसे विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है। इसलिए भाजपा के विधायकों की संख्या उतनी ही रहेगी जितनी पहले थी। तीन के तीन ही।
लेकिन भाजपाइयों को तो ख़ुशी इस बात की है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी के एक नेता को अपने साथ शामिल कर लिया। कैसे नेता को शामिल किया उससे उनको कुछ मतलब नहीं। वेद प्रकाश पर दिल्ली नगर निगम चुनाव के टिकट बेचने के आरोप लगे थे, आंतरिक जाँच चल रही थी। ज्योंहि लगा कि पार्टी कड़े निर्णय ले सकती है, झट से पाला बदल लिया और हो गए भारतीय जनता पार्टी में शामिल। वैसे ही भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी के लोगों के लिए पलक-पाँवड़े बिछाए बैठी रहती है।
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