28 फरवरी, 2017
जिस तरह से भाजपा और उसकी विद्यार्थी शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कानून अपने हाथ में लेकर न्याय करने का बीड़ा उठाए बैठी है इसको देखकर विचार तो यही आते हैं। किसको देशद्रोही करार देना है और कौन देशभक्त है इसका फैसला भी अब भारतीय जनता पार्टी के लोग करने लगे हैं। मतलब कानून और अदालत कुछ भी नहीं इनकी नजर में ? पिछले साल की ही बात है, इनके विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने भरी अदालत परिसर में एक व्यक्ति को पीट दिया क्योंकि शर्मा जी के मुताबिक वह व्यक्ति देशद्रोही हरकते कर रहा था।
अदालत परिसर में ही भाजपा से सम्बद्ध वकीलों ने देशद्रोह के आरोपी कन्हैया कुमार को जी भर के पीटा। मानो कोई देशद्रोह का आरोपी है तो उसको सजा देने का काम भाजपा वालों का हो गया हो जैसे। मतलब खुद ही इल्जाम लगा लो, खुद ही आरोप तय कर लो, न जिरह न गवाही और सजा मौका - ए - वारदात पर ही। तो फिर देश का कानून, पुलिस, वकील, जज और अदालत किस लिए है ? जब सबकुछ भाजपाइयों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों और समर्थकों को ही करना है तो देश में कानून और व्यवस्था से जुड़े संस्थानों की क्या अहमियत रह जाती है इन लोगों की नजर में ?
अभी ताजा-ताजा घटना दिल्ली के रामजस कालेज की है। रामजस कालेज दिल्ली के गिने-चुने कालेजों में से है जिसकी एक अलग प्रतिष्ठा है। देश और दुनिया भर के लोग इस महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने को लालायित रहते हैं। इस कालेज ने देश को बहु-चर्चित और बहु-प्रतिष्ठित व्यक्तित्व दिया है। वर्तमान समय में इस कालेज की चर्चा यहाँ छात्रों के गुटों के बीच हो रही झड़पों के कारण है। खबर है कि देशद्रोह के आरोपी को यहाँ भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था यह बात स्वयं-घोषित देशभक्तों को नागवार गुजरी और उन्होंने मार-कुटाई शुरू कर दिया।
आए दिन अख़बारों में कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल के भाषण की खबरें आती रहती हैं। जिधर वो भाषण देते हैं उधर अभी तक लोगों के बीच मार-कुटाई की खबर नहीं आई है। अगर देशद्रोह के आरोपी को किसी भी चर्चा में आमंत्रित करना अपराध है या फिर देशद्रोह है तो इसकी पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की विद्यार्थी परिषद के लोगों ने ? किसने हक़ दे दिया कि किसी की भी मार-कुटाई कर दो क्योंकि वो आपकी नजर में दोषी है, अपराधी है ? किसी को सजा देने का काम भाजपाइयों और ABVP के लोगों के जिम्मे दे दिया है क्या सरकार ने ?
हमारे देश में पुलिस नाम की व्यवस्था है, किसी को कोई तकलीफ हो तो अपनी शिकायत पुलिस के पास दर्ज करवा सकता है। हमारे देश में न्यायालय नाम की संस्था है जिधर पुलिस तमाम छानबीन के बाद आरोप पत्र दाखिल करती है, या फिर पीड़ित पक्ष सीधे न्यायालय में भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। उसके बाद वकील की जिरह और गवाहों के बयान के बाद दोषी तय होता है और उसको न्यायालय द्वारा सजा मिलती है। मतलब की कानून की एक पूरी प्रक्रिया है।
लेकिन भाजपाई और ABVP के लोग तो सीधे-सीधे अपने हाथो से ही सजा देने लगे हैं, मानो कानून व्यवस्था का निजीकरण हो गया हो।
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