19 जून 1970 को जन्मे राहुल गाँधी अब राजनीति में नौसिखिये नहीं रह गए हैं। 2004 में पहली बार अमेठी से लोकसभा सांसद चुन कर आये थे। उनको सांसद रहते हुए करीब साढ़े बारह साल हो गए हैं। 2007 में कांग्रेस के महासचिव से उपाध्यक्ष के पद तक का सफर तय किया है उन्होंने। पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते हैं वो। सोनिया गाँधी जी के बाद उनकी ही चलती है कांग्रेस में। मुझे याद है कैसे उन्होंने मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में कैबिनेट द्वारा पास प्रस्ताव को फाड़ दिया था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी है कि उनको तवज्जो ही नहीं दे रही। उनके आरोपो को गंभीरता से ही नहीं ले रही भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता।
भाई, राष्ट्रीय पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, लोक सभा में उनकी पार्टी के 44 ही सांसद हैं तो क्या हुआ, है तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी न ? लेकिन नहीं, भाजपा वाले तो उनको कुछ समझते ही नहीं। उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं और न ही उनके आरोपो का कोई जवाब। मुश्किल से 3 साल पुरानी पार्टी के नेता केजरीवाल के जरा से बयान पर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिक्रियाओं की लाइन लगा देते हैं। केजरीवाल कोई आरोप लगा दें तो पूरे हफ्ते तक इसकी सफाई देने में लगे रहते हैं भाजपाई। वहीं राहुल गाँधी गंभीर से गंभीर आरोप भी लगा दें तो हँस कर टाल देते हैं।
प्रधानमंत्री जी ने जब कहा कि विपक्ष मुझे लोकसभा में बोलने नहीं दे रहा तो जनसभा में आया हूँ। उनके इस बयान की बहुत चर्चा हुई। चाहे आलोचना हुई हो या समर्थन, लेकिन चर्चा तो हुई। वहीं जब राहुल गाँधी ने कहा कि उनको बोलने नहीं दिया जा रहा सदन में, तो लोग इसका ही मजाक उड़ाने लगे। इसी बीच राहुल गाँधी ने यह कह कर सनसनी फ़ैलाने की कोशिश की कि मेरे पास प्रधानमंत्री जी के निजी भ्रष्टाचार की खबर है, अगर मैं सदन में बोला तो भूचाल आ जायेगा। इसकी भी कोई सुनवाई नहीं ली गई। खैर, जब सदन में बोलने का मौका नहीं मिला उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में ही इल्जाम लगाए।
होना तो ये चाहिए था कि भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ प्रधानमंत्री जी के भी होश पाख्ता हो जाते। बचाव के लिए शब्द नहीं मिलते। लेकिन, ये क्या ? भारतीय जनता पार्टी ने तो इसको सिरे से नकार दिया। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री जी को गंगा की तरह पवित्र कहा। आम आदमी पार्टी ने कहा कि ये इल्जाम तो पहले ही केजरीवाल जी लगा चुके हैं । रही सही कसर प्रधानमंत्री जी ने पूरी कर दी अपनी जनसभा में इस आरोप का मजाक उड़ा कर। अपने चुटीले अंदाज में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वो न बोलते तो भूचाल आ जाता।
क्या इस तरह से मोदी जी कांग्रेस मुक्त भारत का अपना सपना पूरा करेंगे, कांग्रेस के चोटी के नेता को इग्नोर करके और नए नवेले नेता अरविन्द केजरीवाल को तवज्जो दे के ? कोई सांठ गांठ हो गयी है क्या मोदी जी और केजरीवाल जी के बीच, कांग्रेस मुक्त भारत को लेकर ?
भाई, राष्ट्रीय पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, लोक सभा में उनकी पार्टी के 44 ही सांसद हैं तो क्या हुआ, है तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी न ? लेकिन नहीं, भाजपा वाले तो उनको कुछ समझते ही नहीं। उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं और न ही उनके आरोपो का कोई जवाब। मुश्किल से 3 साल पुरानी पार्टी के नेता केजरीवाल के जरा से बयान पर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिक्रियाओं की लाइन लगा देते हैं। केजरीवाल कोई आरोप लगा दें तो पूरे हफ्ते तक इसकी सफाई देने में लगे रहते हैं भाजपाई। वहीं राहुल गाँधी गंभीर से गंभीर आरोप भी लगा दें तो हँस कर टाल देते हैं।
प्रधानमंत्री जी ने जब कहा कि विपक्ष मुझे लोकसभा में बोलने नहीं दे रहा तो जनसभा में आया हूँ। उनके इस बयान की बहुत चर्चा हुई। चाहे आलोचना हुई हो या समर्थन, लेकिन चर्चा तो हुई। वहीं जब राहुल गाँधी ने कहा कि उनको बोलने नहीं दिया जा रहा सदन में, तो लोग इसका ही मजाक उड़ाने लगे। इसी बीच राहुल गाँधी ने यह कह कर सनसनी फ़ैलाने की कोशिश की कि मेरे पास प्रधानमंत्री जी के निजी भ्रष्टाचार की खबर है, अगर मैं सदन में बोला तो भूचाल आ जायेगा। इसकी भी कोई सुनवाई नहीं ली गई। खैर, जब सदन में बोलने का मौका नहीं मिला उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में ही इल्जाम लगाए।
होना तो ये चाहिए था कि भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ प्रधानमंत्री जी के भी होश पाख्ता हो जाते। बचाव के लिए शब्द नहीं मिलते। लेकिन, ये क्या ? भारतीय जनता पार्टी ने तो इसको सिरे से नकार दिया। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री जी को गंगा की तरह पवित्र कहा। आम आदमी पार्टी ने कहा कि ये इल्जाम तो पहले ही केजरीवाल जी लगा चुके हैं । रही सही कसर प्रधानमंत्री जी ने पूरी कर दी अपनी जनसभा में इस आरोप का मजाक उड़ा कर। अपने चुटीले अंदाज में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वो न बोलते तो भूचाल आ जाता।
क्या इस तरह से मोदी जी कांग्रेस मुक्त भारत का अपना सपना पूरा करेंगे, कांग्रेस के चोटी के नेता को इग्नोर करके और नए नवेले नेता अरविन्द केजरीवाल को तवज्जो दे के ? कोई सांठ गांठ हो गयी है क्या मोदी जी और केजरीवाल जी के बीच, कांग्रेस मुक्त भारत को लेकर ?
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