9 नवंबर, 2016
अरे, अरे, हैरान न होइए। लिफाफा देख के ही खत का मजमून समझने की गलती न कीजिए इसबार। हम यह नहीं कह रहे कि भाजपाइयों या मोदी समर्थको के पास काला धन है। हम ये भी नहीं कह रहे कि इनलोगों के पास ही सबसे ज्यादा इस तरह के नोट हैं। हम ऐसी गलती कैसे कर सकते हैं ? हम तो आम आदमी हैं जी। हमारी इतनी औकात कहाँ कि बड़े-बड़े लोगों पर इल्जाम लगाएँ ?
हम तो बस सोशल मीडिया की बात कर रहे हैं। सोशल मीडिया में कुछ लोग ऐसे हैं जिनका काम सिर्फ और सिर्फ मोदी जी के कामों और उनके बयानों की प्रशंसा करना है। ये गुण-अवगुण की परवाह किये बिना मोदी जी का बचाव करते हैं। ये लोग मोदी जी की बुराई बिलकुल भी नहीं सुन सकते। जिसने भी मोदी जी की बुराई कर दी, उनकी शामत आनी तय है।
शब्दों और भाषा की परवाह भी नहीं करते ये लोग। इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ मोदी जी का बचाव करना है और मोदी जी की बुराई करने वालों को उचित शब्द-दंड देना है। इनकी लड़ाई ज्यादातर आम आदमी पार्टी के समर्थकों से होती है, जिनको ये लोग "आपिया" या "आप्टार्डस" कहकर नवाजते हैं। आम आदमी पार्टी के समर्थक भी इनका अहसान चूकाते हुए इनको "मोदीभक्त", "अंधभक्त" या फिर सिर्फ "भक्त" कह कर संबोधित करते हैं।
इनका मकसद एक-दूसरे की पार्टियों की बुराई निकालना और उसको प्रचारित करना रहता है। इसी क्रम में ये बुरी तरह लड़ पड़ते हैं कभी-कभी। तो कल जैसे ही मोदी जी ने घोषणा की, "आज आधी रात के बाद से 500 और 1000 रूपये के नोट नहीं चलेंगे", फेसबुकिया योद्धा निकल पड़े जंग के लिए लैस हो कर। इन्होंने सोचा होगा कि हमेशा की तरह "आप" समर्थक, मोदी जी के इस कदम का भी विरोध करेंगे, गलत ठहराएंगे।
सो इसी तरह के पोस्ट डालने शुरू किए ताकि इनको पढ़कर आप समर्थक इसका विरोध करें और इनको उनकी लानत -मलामत करने का मौका मिले। लेकिन ये क्या ? किसी ने भी इसका विरोध ही नहीं किया। सब मोदी जी के कदम का समर्थन ही कर रहे थे। अब इनको ये पता ही नहीं था कि हमारे देश में स्वस्थ राजनीति करने वाला भी एक वर्ग है। एक ऐसा वर्ग भी है जो सिर्फ विरोध के लिए ही विरोध नहीं करता।
इनको ये पता ही नहीं था कि सरकार के सही कदम का विपक्षी दल खुले दिल से समर्थन करते हैं। सो इनके सारे तीर तरकश में ही रह गए, सारी तैयारियाँ धरी की धरी रह गई। वैसे इन्होंने उकसाने और बहकाने की कोशिश बहुत की लेकिन स्वस्थ राजनीति करने वालों के आगे इनकी एक न चली, और भारी निराशा हाथ लगी।
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