16 अक्टूबर, 2016
सुना है कि गुजरात में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी की रैली के पहले ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जिनमें उनकी फोटो के साथ-साथ 3 आतंकवादियों की फोटो भी लगी है। सोशल मीडिया में साझा की जा रही पोस्टर की तस्वीर में सबसे पहले बुरहान वानी की फोटो लगी है, उसके बाद केजरीवाल जी की, फिर ओसामा बिन लादेन की और आखिर में हाफिज सईद की। ऊपर गुजराती भाषा में हेडिंग भी लिखी है, अगर मैं सही समझ पा रहा हूँ तो इसका अर्थ होता है "पाकिस्तान के हीरो"। जाहिर सी बात है कि ये हरकत किसी विरोधी की ही होगी।
आखिर किस गर्त में राजनीति को ले जा रहे हैं ऐसे लोग ? किसी राज्य के मुख्यमंत्री की तस्वीर आतंकवादियों के बीच लगाकर क्या सन्देश देना चाहते हैं ये लोग ? इस तरह की राजनीति से क्या हासिल होगा इन लोगों को ? इतनी हताशा, इतनी निराशा किस लिए ? क्या किसी के चरित्र का हनन करके अपने चरित्र का परिचय नहीं दे रहे ये लोग ? एक राज्य के मुख्यमंत्री का सम्मान करना इतना मुश्किल हो गया है इन लोगों के लिए, और अपमान करना इतना आसान ? राजनीति इतनी गन्दी हो चुकी है कि अपने प्रतिद्वंद्वी के लिए इस तरह की अपमानजनक बात करेंगे ये लोग ?
जिसको मर्जी में जो आता है वही लिख देता है। कोई उनकी बीमारी का मजाक उड़ाता है तो कोई उनके सादा वेश-भूषा का। इनके किये हुए विकास कार्य नहीं दिखाई देते इन लोगों को। जनता ने इतना प्रचंड और अभूतपूर्व समर्थन दिया है, इनकी भी समझ नहीं इनको। जब कहीं से भी जीत नहीं पा रहे इनसे, तो उतर आए घटिया हरकतों पर। कोई स्याही फेंक देता है तो कोई थप्पड़ मार कर चला जाता है। थोड़ा-सा भी सम्मान नहीं इन लोगों को एक ईमानदार, कर्मठ मुख्यमंत्री के लिए। इनको ये नहीं पता कि चाँद पर थूकने से थूक अपने मुँह पर ही गिरता है।
अरे, राजनीति अपनी जगह लेकिन मान-मर्यादा, तमीज-तहजीब भी कोई चीज है कि नहीं ? ऐसे ओछे और नीच हरकतों की जितनी भी निंदा की जाए कम है।
0 टिप्पणियाँ:
टिप्पणी पोस्ट करें