23 सितंबर, 2016
वैसे तो पूर्व क्रिकेटर, पूर्व भारतीय जनता पार्टी नेता, पूर्व लोकसभा सदस्य, पूर्व राज्यसभा सदस्य, क्रिकेट कॉमेंटेटर और टीवी चैनलों में निर्णायक की भूमिका निभा रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला फ़िलहाल टाल दिया है।
इसी महीने की शुरुआत में उन्होंने बड़े ही जोर शोर से, आवाज़ - ए - पंजाब नामक पार्टी बनाने का एलान किया था। लेकिन शायद उनको पता चल गया कि एक नई राजनीतिक पार्टी बनाना और चुनाव लड़ना इतना आसान नहीं है।
इसलिए उन्होंने घोषणा कर दी कि अब वो राजनीतिक पार्टी नहीं बना रहे। आवाज़ - ए - पंजाब एक राजनीतिक पार्टी नहीं बनेगा बल्कि समान विचार के लोगों के गठबंधन की तरह काम करेगा।
सोचिये अगर उनकी पार्टी बहुमत के साथ चुनाव जीत जाती और सिद्धू जी मुख्यमंत्री बन जाते।
क्या होता फिर ?
विधानसभा की बैठक अगले दो महीने के लिए स्थगित कर दी गई है, आईपीएल के मैच होने वाले हैं और मुख्यमंत्री जी को उसमें कमेंट्री करनी है।
अभी 5 दिवसीय टेस्ट मैच सीरीज होनी है इसलिए इस हफ्ते विधानसभा की कोई बैठक नहीं हो सकेगी, मुख्यमंत्री जी को कमेंट्री करनी है।
कॉमेंट्री बॉक्स के बाहर कमांडो फ़ोर्स तैनात किए जाते, मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा में।
हफ्ते में 2 दिन मुख्यमंत्री जी को टीवी शो की शूटिंग करनी होती है। इसलिए मुख्यमंत्री कार्यालय की छुट्टी रहेगी, बंद रहेगा।
आज शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक रद्द की जाती है क्योंकि मुख्यमंत्री जी को आज के क्रिकेट मैच का विश्लेषण करने के लिए किसी चैनेल से बुलावा आ गया है।
सिद्धू जी को विधानसभा में भी थोड़ा संयम रखना पड़ता, कहीं मुंह से "ओ गुरु", "ठोको ताली" जैसे जुमले न निकल जाए।
मुख्यमंत्री जी किसी सार्वजनिक समारोह में जाते तो लोग ऑटोग्राफ लेने के लिए दौड़ पड़ते।
कितना अलग माहौल हो जाता न !
(नोट : यह लेखक की कोरी कल्पना मात्र है, इसका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं है। )
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