कैसे-कैसे लोगों को सांसद बना देती है भारतीय जनता पार्टी ? अभी कल ही की बात है, दिल्ली से सांसद रमेश विधूड़ी, कैसी-कैसी उपमा दे रहे थे दिल्ली के मुख्यमंत्री को ? कैसे-कैसे शब्दों का प्रयोग किया उन्होंने ? ऐसे-ऐसे शब्द कि जिनको न्यूज चैनेल वाले बीप-बीप लगाकर दिखा रहे हैं। मतलब कि सभ्य समाज में ऐसे शब्द नहीं सुना जा सकता। तो ऐसे शब्द बोल कैसे गए सांसद महोदय, वो भी भरी सभा में ? खबर है कि उन्होंने भीड़ को उकसाया भी केजरीवाल जी को गाली देने के लिए। माना कि दिल्ली आधा-अधूरा अपूर्ण राज्य है। इसका क्या मतलब ? कोई भी इस आधे-अधूरे अपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री को गाली देगा ?
या फिर इसके लिए भी कोई विशेष प्रावधान है ? वैसे भाजपा के लिए ये कोई नई बात नहीं है। इसके नेता अनर्गल बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं। जिसको जो मर्जी आये बोल देता है। उसके बाद पूरी पार्टी उस बात को न्यायसंगत ठहराने में जुट जाती है। एक तो गलती करे और ऊपर से पूरी पार्टी का सहयोग। अपमानजनक टिप्प्णी करने में तो जैसे महारत ही हासिल है भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को। अभी मुश्किल से एक साल ही बीता है जब बिहार में एक रैली को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के "डीओक्सि राइबो न्यूक्लिक एसिड" (डी एन ए) में ही गड़बड़ी होने की शंका जता दी थी।
उसको भी भाजपाइयों ने सही ठहराने की कोशिश की थी। कितना सफल हो पाए थे, ये विधानसभा चुनाव के परिणाम आते ही पता चल गया। कल केजरीवाल जी को जी भर के कोसने वाले और उनपर गालियों बौछार करने वाले रमेश विधूड़ी ने बाद में अपनी बात सही साबित करने की कोशिश की। एक खास शब्द को लेकर कह रहे हैं कि ये शब्द गाली नहीं होती है। तो ये शब्द प्रशंसा का होता है ? केजरीवाल जी के बच्चों को लेकर भी टिप्पणी की उन्होंने। आपसी राजनीति अपनी जगह, लोकतंत्र में मतभेद चलते रहते हैं। लेकिन शब्दों की मर्यादा तो होनी चाहिए।
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