आज की सुबह बहुत ही बुरी खबर लेकर आया। जम्मू कश्मीर के उरी में स्थित हमारे सैनिक बेस पर आतंकवादी हमला हुआ। खबर है कि 4 की संख्या में थे वो लोग। एक ने तो अंदर घुसते ही अपने आपको उड़ा लिया। इससे एक कैम्प में आग लग गई और हमारे कुछ जवान शहीद हो गए। शहीद हुए जवानों की कुल संख्या। 17 है। 19 जवान घायल भी हुए हैं। बाकि 3 हमलावर भी मारे गए, हमारे वीर जवानों द्वारा। हर बार की तरह इस बार भी शक की सुई पाकिस्तान की तरफ ही गई है। कुछ सबूत भी मिले हैं इसके और हमेशा की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने इससे इंकार किया है। हमारे प्रधान मंत्री जी ने इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि इसके पीछे जो भी हैं उनको बख्शा नहीं जायेगा।
गृह मंत्री जी के अनुसार एक बार फिर साबित हो गया है कि पाकिस्तान एक आतंकी देश है। अब पाकिस्तान को अलग-थलग करने का वक्त आ गया है। वित्त मंत्री जी का भी बयान आया है, उन्होंने भी कहा है कि इस घटना के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की जरुरत है। दोषियों को न बख्शने की बात उन्होंने भी कही है। विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं के भी बयान आ गए हैं। सबने ही इस घटना की निंदा की है। ऐसी घटना निश्चित रूप से निंदनीय है, इसमें कोई शक नहीं है और होनी भी नही चाहिए। लेकिन, आखिर कब तक हम इस तरह की घटनाओं की सिर्फ निंदा ही करते रहेंगे ? दोषियों को न बख्शने की बात करते रहेंगे ? घटना हो जाने के बाद हम कितना भी कुछ कर लें, जो हानि हो चुकी है, क्या उसकी भरपाई कभी हो सकती है ?
मुझे आज ज्यादा याद आते हैं प्रधानमंत्री जी के पुराने भाषण और इंटरव्यू, जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। क्या गजब का आत्मविश्वास होता था उनकी बातों में ! "पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए"। "लव लेटर भेजना बंद करना चाहिए"। अंतरराष्ट्रीय दबाव की बात पर मोदी जी कहते थे, "अरे 100 करोड़ का देश है"। "पूरी दुनिया पर प्रेशर हम पैदा कर सकते हैं"। सीना चौड़ा हो जाता था, ऐसी बातों को सुनकर। मेरे जैसे बहुत से लोग बेसब्री से 2014 का इंतजार करने लगे। बस 2014 आ जाए और मोदी जी को झट से प्रधान मंत्री बना दें हम लोग। फिर देखते हैं, किसकी हिम्मत कि हमारे देश की तरफ आँख उठाकर भी देखे। एक सर के बदले 10 सर लाने की बात करते थे मोदी जी।
क्या हुआ सत्ता में आते ही 56 इंच के सीने को ? क्या 56 इंच का सीना सिर्फ हमले की कड़ी निंदा करने के लिए ही है ? जब 56 इंच के सीने से परिपूर्ण प्रधानमंत्री भी सिर्फ कड़ी निंदा ही करेगा तो मनमोहन सिंह जी कौन से बुरे थे ? कड़ी निंदा तो वो भी करते थे, क्रिकेट सम्बन्ध विच्छेद भी करते थे समय-समय पर पाकिस्तान से। आज मोदी जी भी वही कर रहे हैं। आखिर कौन सी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है पाकिस्तान, जिसको मोदी जी आज तक सीख नहीं पाए हैं जवाब देने के लिए ? विपक्ष में रहकर जब मोदी जी गरजते थे तब पाकिस्तान को भी लगता होगा कि अगर ये व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बन गया तो मेरी खैर नहीं। बुरी तरह से डर गया होगा चीन और पाकिस्तान जिस दिन भारत में लोकसभा चुनाव के परिणाम आये थे।
भाजपा और एनडीए के पक्ष में बढ़ती एक-एक सीट इन देशों की धड़कने बढ़ा रही होंगी। क्या चैन से सो पाए होंगे वहाँ के प्रधानमंत्री जिस दिन मोदी जी ने भारत के प्रधान मंत्री के पद की शपथ ली थी ? लेकिन ये क्या हो गया ? सत्ता के बाहर रहकर गरजने वाला, सिंहनाद करने वाला व्यक्ति आज सत्ता में आकर इतना सहमा सा क्यों है ? क्यों आज मोदी जी भी उसी तरह के बयान देने को विवश हैं, जिसकी कभी आलोचना करते थे ? मोदी जी, आज सम्पूर्ण राष्ट्र आपकी तरफ देख रहा है। देश सोच रहा है कि एक के बदले दस सिर लाने की बात करने वाला व्यक्ति आज इतना मजबूर क्यों हो गया है ? मोदी जी, आज एक बार फिर दिखा दीजिए देश और दुनिया को, कि भारत का प्रधानमंत्री अपने देश की हिफाजत करना अच्छी तरह जानता है।
मोदी जी, एक बार फिर अपनी सिंह गर्जना से हिला दीजिए पाकिस्तान ही नहीं हमारे देश पर बुरी नजर रखने वाले हर देश को। आंतरिक राजनीति अपनी जगह, लेकिन समस्त देशवासियों के साथ-साथ भारत का हर एक राजनीतिक दल आपके हर निर्णय में आपके साथ है। बस एक बार आप निर्णय लीजिए, और आगे बढिए। क्या पक्ष और क्या विपक्ष, हर कोई आपकी जय बोलेगा, मुक्त कंठ से प्रशंसा करेगा। एक बार 56 इंच के सीने का पराक्रम दिखा दीजिये मोदी जी।
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जवाब देंहटाएंWhat a post sir hi..
जवाब देंहटाएंMast likha hai aapne...
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