2012 के अन्ना आंदोलन से पहले "केजरीवाल" भारत में मौजूद अनेको जातियों में से एक जाति का सरनेम मात्र था। जैसे झा, पाण्डेय, मिश्रा, वर्मा, शर्मा, श्रीवास्तव, अग्रवाल, गुप्ता, यादव सरनेम होता है वैसे ही केजरीवाल भी एक सरनेम है। लेकिन अन्ना आंदोलन के दौरान एक नया सितारा जन मानस के बीच उदित हुआ, "अरविन्द केजरीवाल"। वैसे तो यह सितारा काफी पहले ही उदित हो चूका था और बहुत से लोग इसके प्रकाश से परिचित भी थे, लेकिन इसका दायरा सीमित था। अन्ना आंदोलन के बाद देश-विदेश में अरविन्द केजरीवाल के नाम की चर्चा हुई, लोग इनके बारे में जानने, सुनने और खोजने लगे।
अन्ना आंदोलन के पहले देश में निराशा का माहौल था। आम आदमी हर तरह से परेशान था। महँगाई बढ़ती जा रही थी, भ्रष्टाचार नित नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहा था। देश के ईमानदार लोगों में यह बात घर कर गयी थी कि इस देश का अब कुछ नहीं हो सकता। गरीबों की जिंदगी बद से बदतर हो रही थी। ऐसे में जनलोकपाल के लिए जंतर मंतर पर आंदोलन करने के लिए अन्ना जी दिल्ली आये। उनको लाने वाले थे अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम। इस आंदोलन को भ्रष्टाचार से परेशान लोगों का खूब समर्थन मिला। लोगों को लगा कि अभी नहीं तो कभी नहीं।
उसी दौरान अरविन्द केजरीवाल जी के व्यक्तित्व से भी लोगों को परिचित होने का मौका मिला। लोग उनके जादुई व्यक्तिव को देखकर मंत्र-मुग्ध हो गए। एक साधारण सा दिखने वाले आदमी में उनको अपनी बहुत सी आशा और उम्मीद पूरी होती दिखी। जब आम आदमी पार्टी बनी तो जैसे हर कोई इससे जुड़ने के लिए बेताब था। भ्रष्टाचार और महँगाई से निजात दिलाने वाला एक ही शख्स नजर आता था, अरविन्द केजरीवाल। अब निराश और परेशान लोगों को उम्मीद जगी कि इस देश का बहुत कुछ हो सकता है। अब गरीब नहीं, गरीबी दूर होगी देश से। हिंदुस्तान फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है।
आज कोई ईमानदारी की बात करता है तो लोग उसको केजरीवाल कहते हैं। कोई भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसको केजरीवाल कहते हैं। कोई रिश्वत न लेने और देने की बात करता है तो उसको केजरीवाल कहते हैं। अब केजरीवाल शब्द सिर्फ एक सरनेम ही नहीं बल्कि उससे बहुत ज्यादा हो गया है। आज केजरीवाल एक सोच का नाम हो गया है। ईमानदारी की सोच, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न करने की सोच। आज केजरीवाल नाम हो गया है अन्याय को न सहने की सोच का। चौक चौराहों पर लोगों के मुंह से कहते हुए सुना जा सकता है कि ज्यादा केजरीवाल न बन।
आज केजरीवाल एक ऐसी विचारधारा बन गया है जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को मिटाना है। जिसका उद्देश्य अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को पाटना है। जिसका उद्देश्य दलित उत्प्रीड़न को ख़त्म करना है। जिसका उद्देश्य भयमुक्त समाज बनाना है। जिसका उद्देश्य चोर, लुटेरों, अपराधियों से समाज को मुक्त करना है। जिसका उद्देश्य वीआईपी संस्कृति को ख़त्म करना है। जिसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों को शासक से सेवक बनाना है। जिसका उद्देश्य राजनीति को विलासिता और वैभव पाने का साधन नहीं बल्कि जनसेवा का माध्यम बनाना है। जिसका उद्देश्य जनता को सर्वोपरि बनाना है न कि जनप्रतिनिधियों को।
आज केजरीवाल एक ऐसे युग का नाम बन गया है जब भय-भूख मुक्त समाज होगा। एक ऐसे युग का नाम जब जनता पुलिस से डरेगी नहीं बल्कि उसको अपना साथी समझेगी। जब सरकारी अधिकारी जनता की सुनेंगे, जनता का काम ईमानदारी पूर्वक करेंगे। सरकारी कार्यालय में बिना रिश्वत के काम होगा। कोई किसी का हक़ नहीं मारेगा। कोई किसी के अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं करेगा। किसी को सबकुछ, किसी को बहुत कुछ, किसी को कुछ और किसी को कुछ नहीं, वाली बात नहीं रहेगी। हर तरफ खुशहाली होगी। सबको प्रगति के समान अवसर मिलेंगे। समाज में भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं रहेगा। महँगाई पर लगाम लगेगी।
केजरीवाल युग की शुरुआत दिल्ली से हो चुकी है, जरूरत है कि हम केजरीवाल का साथ दें। अपनी बेहतरी के लिए, अपने अपनों की बेहतरी के लिए।
उसी दौरान अरविन्द केजरीवाल जी के व्यक्तित्व से भी लोगों को परिचित होने का मौका मिला। लोग उनके जादुई व्यक्तिव को देखकर मंत्र-मुग्ध हो गए। एक साधारण सा दिखने वाले आदमी में उनको अपनी बहुत सी आशा और उम्मीद पूरी होती दिखी। जब आम आदमी पार्टी बनी तो जैसे हर कोई इससे जुड़ने के लिए बेताब था। भ्रष्टाचार और महँगाई से निजात दिलाने वाला एक ही शख्स नजर आता था, अरविन्द केजरीवाल। अब निराश और परेशान लोगों को उम्मीद जगी कि इस देश का बहुत कुछ हो सकता है। अब गरीब नहीं, गरीबी दूर होगी देश से। हिंदुस्तान फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है।
आज कोई ईमानदारी की बात करता है तो लोग उसको केजरीवाल कहते हैं। कोई भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसको केजरीवाल कहते हैं। कोई रिश्वत न लेने और देने की बात करता है तो उसको केजरीवाल कहते हैं। अब केजरीवाल शब्द सिर्फ एक सरनेम ही नहीं बल्कि उससे बहुत ज्यादा हो गया है। आज केजरीवाल एक सोच का नाम हो गया है। ईमानदारी की सोच, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न करने की सोच। आज केजरीवाल नाम हो गया है अन्याय को न सहने की सोच का। चौक चौराहों पर लोगों के मुंह से कहते हुए सुना जा सकता है कि ज्यादा केजरीवाल न बन।
आज केजरीवाल एक ऐसी विचारधारा बन गया है जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को मिटाना है। जिसका उद्देश्य अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को पाटना है। जिसका उद्देश्य दलित उत्प्रीड़न को ख़त्म करना है। जिसका उद्देश्य भयमुक्त समाज बनाना है। जिसका उद्देश्य चोर, लुटेरों, अपराधियों से समाज को मुक्त करना है। जिसका उद्देश्य वीआईपी संस्कृति को ख़त्म करना है। जिसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों को शासक से सेवक बनाना है। जिसका उद्देश्य राजनीति को विलासिता और वैभव पाने का साधन नहीं बल्कि जनसेवा का माध्यम बनाना है। जिसका उद्देश्य जनता को सर्वोपरि बनाना है न कि जनप्रतिनिधियों को।
आज केजरीवाल एक ऐसे युग का नाम बन गया है जब भय-भूख मुक्त समाज होगा। एक ऐसे युग का नाम जब जनता पुलिस से डरेगी नहीं बल्कि उसको अपना साथी समझेगी। जब सरकारी अधिकारी जनता की सुनेंगे, जनता का काम ईमानदारी पूर्वक करेंगे। सरकारी कार्यालय में बिना रिश्वत के काम होगा। कोई किसी का हक़ नहीं मारेगा। कोई किसी के अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं करेगा। किसी को सबकुछ, किसी को बहुत कुछ, किसी को कुछ और किसी को कुछ नहीं, वाली बात नहीं रहेगी। हर तरफ खुशहाली होगी। सबको प्रगति के समान अवसर मिलेंगे। समाज में भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं रहेगा। महँगाई पर लगाम लगेगी।
केजरीवाल युग की शुरुआत दिल्ली से हो चुकी है, जरूरत है कि हम केजरीवाल का साथ दें। अपनी बेहतरी के लिए, अपने अपनों की बेहतरी के लिए।
दिल्ली के बॉस नजीब जंग और सवाल केजरीवाल से ?
जवाब देंहटाएं8:24:00 AM
13 सितंबर, 2016
http://www.mrityunjayshrivastava.com/2016/09/blog-post_14.html?showComment=1473988928782#c94798935335268996
ज्यादा से ज्यादा एक - डेढ़ महीने पहले की ही बात है, माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय का दिल्ली सरकार की एक याचिका पर फैसला आया था जिसमें यह साफ किया गया था कि संविधान के तहत दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश ही है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं। मतलब यह साफ़ हो गया कि दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उपराज्यपाल हैं। बहुत से समाचार पत्रों की हेडलाइनें कुछ इस तरह से थीं। जैसे, "उपराज्यपाल ही है दिल्ली के BOSS, अधिकारों की 'जंग' हारे केजरीवाल", "HC से केजरीवाल सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने कहा - दिल्ली के 'बॉस' LG ही", "अधिकारों की लड़ाई में केंद्र से हारे केजरीवाल, हाई कोर्ट ने कहा LG हैं 'बॉस' ", "दिल्ली के बॉस हैं उपराज्यपाल, मुंह की खाई केजरीवाल ने ", "हाईकोर्ट का फैसला - दिल्ली के 'बॉस' नजीब जंग केजरीवाल नहीं", आदि आदि।
इसके बाद पिछले हफ्ते ही 9 सितंबर, 2016 को माननीय उच्चतम न्यायालय का भी फैसला आ गया और उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। अब अख़बारों की सुर्खियाँ देख लीजिये, "केजरीवाल को SC से भी झटका, LG ही रहेंगे दिल्ली के बॉस ", "केजरीवाल को SC से झटका, दिल्ली के बॉस बने रहेंगे LG", "सुप्रीम कोर्ट ने भी माना एलजी दिल्ली के बॉस", "SC से भी मायूस हुए AK, LG ही रहेंगे दिल्ली के बॉस, केंद्र सरकार को नोटिस" । न्यूज चैनल्स पर भी इस पर खूब चिल्ला-चिल्लाकर चर्चा होती रही। यानि माननीय अदालत के इस फैसले का खूब प्रचार किया गया कि दिल्ली के प्रशासन की बागडोर मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उपराज्यपाल के हाथों में है।
अब जबकि यह बात बिल्कुल साफ हो गयी है कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के बॉस हैं, तो दिल्ली के विकास की जिम्मेदारी किसकी है ? जाहिर है, उपराज्यपाल की ही, है न ? अगर दिल्ली में कोई समस्या है तो उसके समाधान की
Plz everybody read this article it's very important article for everyone who love kejriwal ji & his party
जवाब देंहटाएंPlz everybody read this article it's very important article for everyone who love kejriwal ji & his party
जवाब देंहटाएंThanks vinod ji for liking my article. Kindly share it on facebook, tweeter and whatsapp, so that others can read it.
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जवाब देंहटाएंएलजी नजीब जंग ने दिल्ली वक्फ बोर्ड भंग किया, अमानतुल्ला खान अदालत जाएंगे
जवाब देंहटाएंभाषा की रिपोर्ट, अंतिम अपडेट: शनिवार अक्टूबर 8, 2016 12:07 AM IST
http://khabar.ndtv.com/news/delhi/lg-najeeb-jung-dissolves-delhi-waqf-board-1471644?pfrom=home-moretop
जंग ने बोर्ड को फिर से गठित किया है.
नई दिल्ली: उप राज्यपाल नजीब जंग ने केजरीवाल सरकार द्वारा गठित दिल्ली वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया और भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. इस नए घटनाक्रम से आप सरकार और केंद्र के बीच टकराव की नई स्थिति पैदा हो गई है.
इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी सरकार के काम में बाधा पैदा की जा रही है, क्योंकि वह अच्छा काम कर रही है.
जंग ने बोर्ड को फिर से गठित किया है और इससे पहले अध्यक्ष रहे अमानुल्ला खान द्वारा की गई सभी नियुक्यिों को रद्द कर दिया है. खान ने कहा कि उप राज्यपाल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी.
उप राज्यपाल ने मंडलीय आयुक्त ए अंबरासू को निर्देश दिया कि वह मार्च में नए बोर्ड का गठन होने के बाद लिए गए सभी निर्णयों की वैधता और कार्यों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करें तथा एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपे.
जंग के कार्यालय ने एक बयान में कहा, 'जानबूझकर और निरंतर की जा रही अवैध गतिविधियों, नियमों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड से संबंधित पूरे मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द किया जाता है'. बोर्ड के दो सदस्यों ने पिछले दिनों बोर्ड में नियुक्तियों में 'अनियमितताओं' और 'भ्रष्टाचार' का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था. बहरहाल, आप विधायक अमानतुल्ला खान ने आरोपों से इंकार किया था.
एस एम अली (पर्यावरण एवं वन सचिव) को अगले आदेश तक बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
अमानतुल्ला खान ने आरोप लगाया, 'उपराज्यपाल ने वक्फ बोर्ड को जबरन नियंत्रण में ले लिया. एसडीएम और पुलिस बल के साथ एसएम अली आए और बोर्ड के कार्यालय को सील कर दिया' उप राज्यपाल क्या साबित करना चाहते हैं'. उन्होंने दावा किया कि बोर्ड को भंग किया गया, क्योंकि वह अतीत के भ्रष्टाचार के मामलों को खोल रहे थे.
इस बीच, केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड को भंग किए जाने, एसीबी द्वारा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को समन किए जाने तथा खेती की जमीन के लिए सर्किल रेट पर जारी उनकी सरकार की अधिसूचना को रद्द किए जाने के संदर्भ में यह बयान दिया.
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, 'खेती की जमीन के सर्किल रेट को अवैध घोषित किया गया, एसीबी द्वारा मनीष को समन किया गया, वक्फ बोर्ड को भंग किया गया. कई रूकावटें पैदा की जा रही है, क्योंकि हम अच्छा काम कर रहे हैं'.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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पहली बार प्रकाशन: अक्टूबर 8, 2016 12:02 AM IST