13 जुलाई, 2017
आज एक बार फिर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और अरुणाचल प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल करने का आदेश दिया। केंद्र सरकार के इशारे पर किस तरह से अरुणाचल प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हुई थी यह सर्वविदित है। राजनीति की थोड़ी सी समझ रखने वाला भी समझ सकता है कि अरुणाचल प्रदेश में बहुत नाजायज हुआ था। कहने को तो ये राज्यपाल महोदय की अनुशंसा पर केंद्र सरकार के सलाह से राष्ट्रपति शासन लगा था। लेकिन इसमें पूरी तरह से लोकतंत्र के नियमों का उल्लंघन किया गया था।
अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 47 सदस्यों में से 20 सदस्य को भाजपा गैर-लोकतान्त्रिक तरीके से अपने साथ मिलाने में कामयाब हो गयी थी। सबको पता है कि कैसे महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा राज्य सरकार की इच्छा के विरुद्ध विधानसभा का सत्र आगे बढ़ा दिया गया था। फिर विधानसभा के अध्यक्ष महोदय को भी गलत तरीके से उनके पद से हटा दिया गया। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में राज्यपाल के निर्णय को असंवैधानिक करार दिया। न्यायालय के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया भी गलत थी।
अब न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए गलत तरीके से हटाई गयी कांग्रेस की सरकार फिर से बहाल हो जाएगी। एक बार फिर से न्यायपालिका में जनता का विश्वास मजबूत हुआ है। लेकिन इस सब से केंद्र सरकार की किरकिरी नहीं हुई है ? आखिर राजनीति में शुचिता की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के होते हुए राज्यपाल इतने सुपर एक्टिव क्यों हो गए ? हमने बचपन में किताबों में पढ़ा है कि राज्यपाल का पद गैर-राजनीतिक होता है। राज्यपाल महोदय को सत्ता के खेल से कुछ लेना-देना नहीं होता।
राज्यपाल तो तटस्थ होकर राज्यहित में राज्य सरकार की सलाह से फैसले लेते हैं, ऐसी परंपरा रही है। लेकिन सत्ता के लोभ में अंधी होकर भारतीय जनता पार्टी ने इस पद की गरिमा को भी कम करवा दिया। जब न्यायालय द्वारा राज्यपाल के फैसले को गलत बताया जाता है तो राज्यपाल ने गरिमा पूर्ण काम थोड़े ही न किया ? इससे पहले उत्तराखंड में भी न्यायालय के आदेश के बाद ही कांग्रेस की सरकार दुबारा बनी, वर्ना अरुणाचल प्रदेश से उत्साहित होकर भाजपा ने वहाँ भी सत्ता का घिनौना खेल खेला था। केंद्र सरकार द्वारा वहाँ भी राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
जब मोदी जी की सरकार केंद्र में बनी थी तो जनता को बड़ी उम्मीद थी कि अब राजनीति में शुचिता आएगी। कांग्रेस तो राजनीतिक चालों को चलने के लिए बदनाम थी ही। लेकिन मोदी जी स्वस्थ राजनीति करेंगे इसकी उम्मीद थी। मगर अफ़सोस कि अभी भी धारा 356 का दुरूपयोग गैर-भाजपा शासित राज्य सरकारों को अव्यवस्थित करने में हो रहा है। मोदी जी लोकसभा चुनाव में कहते थे, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। मुझे नहीं लगता कि इन घटनाओं से देश का मान बढ़ा है।
आवश्यकता है - महापूरुशॉ के आदर्सो को आत्मसात् करना और अपनी जान की बाजी लगाकर भी उनके आदर्सो की स्थापना करना है . राम,रहीम,ईसा मसीह , कबीर , कृष्ण , गुरुनानक , मुहम्मद साहिब और सभी मानवतावादियों की कृपा तभी मिलेगी जब उनके मार्ग पर चलेंगे . उनकी कृपा शब्दो , मंदिरो, मस्जीदो, गुरुद्वारो , मठओ , गिरजाघरो चर्चो आदि मे ढूँढना बेमानी होगी . सत्य और न्याय के मालिक की जय हो.
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