5 जुलाई, 2016
जब से दिल्ली में प्रचण्ड और अभूतपूर्व बहुमत से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, शायद ही कोई दिन होगा जब केंद्र और दिल्ली की सरकारों के बीच टकराव न ह हुआ हो। जब 49 दिनों की सरकार दिल्ली में थी, भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लग गया था। सरकारी कर्मचारियों में अजीब सा भय व्याप्त हो गया था। बिना रिश्वत के काम काज होने लगे थे। उतने ही दिनों में सरकार ने अपने कई सारे वादे भी पूरे कर दिए थे। दिल्ली की जनता बहुत खुश थी, लेकिन पूर्ण बहुमत नहीं था। लिहाजा सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
जनता में आम आदमी के प्रति कितना प्यार और आस्था थी यह भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी पता था। दुबारा चुनाव कराने में करीब एक साल की देरी हुई। भाजपा और कांग्रेस को उम्मीद थी कि चुनाव में जितनी देरी होगी, जनता का आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के प्रति प्यार कम होता जाएगा। इस दौरान और चुनाव प्रचार के दौरान इन दोनों पार्टियों ने आम आदमी पार्टी और केजरीवाल जी की छवि धूमिल करने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी। खूब चरित्र हनन किया गया केजरीवाल जी का, इनको भगोड़ा कहते थे भाजपा और कांग्रेस वाले। लेकिन इससे जनता का विश्वास रत्ती भर भी कम नहीं हुआ।
चुनाव में प्रचण्ड बहुमत के साथ फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और केजरीवाल जी मुख्यमंत्री बने। सत्ता सँभालते ही केजरीवाल जी ने अपने वादे पूरे करने शुरू कर दिए। लेकिन दिल्ली की समस्या यह है कि कुछ सरकारी मशीनरी तो राज्य सरकार के अंतर्गत और कुछ केंद्र सरकार के अंतर्गत। सरकार बनने के बाद से ही दिल्ली सरकार के काम काज में केंद्र सरकार के दखल के आरोप लगने शुरू हो गए। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के चीफ के रूप में मुकेश मीणा जी की नियुक्ति उप-राज्यपाल महोदय द्वारा की गई।
अब राज्य सरकार कोई नियुक्ति करती है तो उप-राज्यपाल महोदय द्वारा उसको निरस्त कर दिया जाता है। दिल्ली सरकार कोई आदेश पारित करती है तो उप-राज्यपाल महोदय द्वारा उसको Null and Void कर दिया जाता है। हो सकता है कि इन सबका उप-राज्यपाल महोदय को कानूनन अधिकार हो, लेकिन टकराव तो है ही। अभी थोड़े दिनों पहले ही दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित 14 बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस भेज दिए गए। अगर ये बिल कानून बना दिए गए होते तो दिल्ली की जनता के वारे-न्यारे हो गए होते।
छोटे से छोटे मामले में भी दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती है। लेकिन इतना कड़ापन भाजपा विधायकों के खिलाफ शिकायत मिलने पर नहीं दिखती। इसी साल की शुरुआत में भाजपा विधायक अदालत परिसर में एक व्यक्ति की जम कर पिटाई करते दिखे थे, उसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। उस पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी, लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायक दिनेश मोहनिया के खिलाफ शिकायत मिलते ही उनको बीच प्रेस कांफ्रेंस से किसी दुर्दांत अपराधी की तरह पकड़ कर ले गयी दिल्ली पुलिस।
टैंकर घोटाला शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था, लेकिन नोटिस भेज दिया गया केजरीवाल जी एवं कपिल मिश्रा को। अभी कल ही मुख्यमंत्री कार्यालय के 2 अधिकारी गिरफ्तार कर लिए गए 3 का तबादला हो चूका है। जो अधिकारी दिल्ली सरकार के साथ सहयोग करने लगता है उसका तबादला कर दिया जाता है। दिल्ली सरकार कोई जाँच आयोग बनाती है तो उप-राज्यपाल महोदय द्वारा उसको Null and Void कर दिया जाता है।
इन सब बाधाओं के बावजूद दिल्ली सरकार ईमानदारी से काम कर रही है और जम के काम कर रही है।
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