23 जुलाई, 2016
1 अप्रैल, 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है। किसी भी तरह के मदिरापान पर प्रतिबन्ध है। सिर्फ पीना ही नहीं बल्कि बेचना, लाना, ले जाना सब जुर्म के दायरे में है। यहाँ तक कि बिहार से गुजरती हुई ट्रेन में भी अगर किसी ने शराब पी तो उसकी खैर नहीं। ट्रेन में तो वैसे भी शराब पीना मना है, लेकिन बिहार वाला कानून लागू होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। पता नहीं बिहार के रास्ते ट्रकों में दूसरे राज्य जहाँ शराबबंदी नहीं है, माल सप्लाइ के लिए ले जाना जुर्म है या नहीं। खूब धर-पकड़ हो रही है, शराब पीने वालों की। शायद यही एक नीति थी नीतीश जी की, जिसकी सभी दलों नें मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी। किसी ने विरोध नहीं किया। नीतीश जी बिहार में शराबबंदी की खूब तारीफ कर रहे हैं दूसरे राज्यों में जाकर।
शराब मिलनी मुश्किल हो गयी है बिहार में, लेकिन शायद नामुमकिन नहीं हुई है। कल ही एक न्यूज चैनल पर स्टिंग दिखाया गया कि कैसे रेफरेंस देने पर शराब मुहैया कराई जाती है खास लोगों को बिहार में। 2-4 दिन पहले ही सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल राजद के विधायक वीरेंद्र ने आरोप लगाया कि राज्य में बड़े नेता और अधिकारी बाहर से शराब मँगा कर पी रहे हैं। इन सबके बाद तो यही लगता है कि बिहार में शराबबंदी सिर्फ गरीबों के लिए ही है। पैसे और रसूख वाले लोग अभी भी जाम छलका रहे हैं।
जब शराबबंदी लागू हुई थी तब भी बुद्धिजीवियों के एक वर्ग को अंदेशा था कि कहीं ऐसा ही न हो। तब इन सारी आशंकाओं को सिरे से ख़ारिज कर दिया गया था। लेकिन आज जिस नीति का प्रचार नीतीश जी दूसरे राज्यों में जाकर कर रहे हैं, उसी को कमजोर किया जा रहा है बिहार में। नीतीश जी उत्तर प्रदेश में रैली करते हैं तो अखिलेश जी को चुनौती देते हैं कि उत्तर प्रदेश में भी शराबबंदी लागू करें। बड़े शान से नीतीश जी कहते हैं कि बिहार की जनता शराबबंदी से खूब खुश है, खूब समर्थन कर रही है। नीतीश जी, जनता कितना समर्थन दे रही है सब पता चल जायेगा बस एक बार शराबबंदी के उल्लंघन से सजा का प्रावधान हटा कर देख लीजिये। बिहार के बॉर्डर इलाकों से शराब पीते हुए लोगों का पकड़ा जाना, समर्थन के दावे की हवा निकालने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
मैं भी शराब एवं किसी भी प्रकार के नशे के खिलाफ हूँ। मैं मानता हूँ कि इस तरह की चीजें प्रतिबंधित होनी चाहिए। शराबबंदी करके नीतीश जी ने बहुत अच्छा कदम उठाया है बिहार में। लेकिन जो लोग इस नेक कार्य की हवा निकलने में लगे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि यह मुहीम सिर्फ गरीबों के लिए ही लागू होकर रह जाए और अमीर लोग शराबबंदी को चिढ़ाते रहे।
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