20 जुलाई, 2016
आज कल कुछ शब्द बड़े ही प्रचलन में आ गए हैं, जिसका कोई मतलब किसी डिक्शनरी में ढूंढें से भी नहीं मिल रहा है। बचपन में मेरे शिक्षक शरारती बच्चों को "चियाक" कहते थे। तब से लेकर अब तक इस शब्द के मायने ढूंढ रहा हूँ, कहीं ढूंढें नहीं मिल रहा है। फिल्मों में भी ऐसे अर्थहीन शब्द होते है, कई बार। "ओए-ओए", "ओले-ओले " जैसे शब्द फ़िल्मी दुनिया की ही देन है। कई बार तो फिल्मों में प्रयुक्त अर्थहीन शब्द लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़ जाते हैं कि न चाहते हुए भी लोग इसको दुहराते रहते हैं।
ऐसे ही शब्दों में शुमार है "ठुल्ला" शब्द भी। कभी इसका मतलब समझ नहीं आया। किसी भी डिक्शनरी में इसका मतलब नहीं मिलता है, किसी को मिलता हो तो बताइए। सुना है कि अरविन्द केजरीवाल जी ने इस शब्द का प्रयोग कर दिया अपने किसी भाषण में। अब किसी साहेब की भावना आहत हो गयी और उन्होंने शिकायत कर दी न्यायालय में। मामला किसी की भावना से जुड़ा हुआ है तो न्यायालय द्वारा सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया गया। अब इस शब्द का कोई डिक्शनरी या पारम्परिक मायने हो तब तो कुछ निष्कर्ष भी निकले। लिहाजा जज साहेब ने केजरीवाल जी से ही पुछा है कि चूँकि आपने इस शब्द का प्रयोग किया है तो आपको इसका मतलब जरूर पता होगा। इसलिए आप इसका मतलब माननीय न्यायालय को बताइए।
अब ये भावना आहत होने वाली चीज भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है। कब, किसकी, किस बात पर भावना आहत हो जाए, कोई नहीं जान सकता। वैसे "प्रिय" शब्द बुरा नहीं है मेरी नजर में लेकिन अगर मैं किसी को कह दूँ तो हो सकता है उसकी भावना आहत हो जाए। मुझे याद है, मेरे एक बॉस हम सबको "माय डियर" कहकर सम्बोधित करते थे और हमने कभी बुरा नहीं माना। वैसे तो हम अंग्रेजी सीखने के लिए बड़े उतावले रहते हैं, लेकिन जो शब्द अंग्रेजी में आम है उसका प्रयोग करने पर किसी किसी की भावना भी आहत हो जाती है।
हम बात कर रहे थे अर्थहीन शब्द की। कपिल शर्मा अपने एक शो में एक शब्द या शब्द-समूह कह लीजिए, उसका बड़ा प्रयोग करते थे। सही पकडे हैं , "बाबा जी का ठुल्लू " । यह शब्द अब बहुत से लोगो की जुबान पर चढ़ गया है। अब सोच लीजिए यह सुनकर किसी बाबा जी की भावना आहत हो जाए। अगर वो कपिल शर्मा या फिर प्रोडक्शन टीम पर ही मुकदमा कर दे तो क्या होगा ? हो सकता है कि उनको कोर्ट में जाकर इसका मायने बताना पड़े, क्योंकि डिक्शनरी में इसका मतलब मुझे नहीं मिल रहा है। यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा कि कपिल शर्मा या प्रोडक्शन टीम इस के क्या मायने बताती है।
वैसे मैं भी बता दूँ, मेरा मकसद सिर्फ अपने विचार व्यक्त करना है, अगर मेरे लेख से या फिर इसमें प्रयुक्त किसी भी शब्द से किसी की भी भावना आहत होती हो या न्यायालय की अवमानना होती हो तो मैं पहले ही बिना शर्त माफ़ी माँग लेता हूँ।
ऐसे ही शब्दों में शुमार है "ठुल्ला" शब्द भी। कभी इसका मतलब समझ नहीं आया। किसी भी डिक्शनरी में इसका मतलब नहीं मिलता है, किसी को मिलता हो तो बताइए। सुना है कि अरविन्द केजरीवाल जी ने इस शब्द का प्रयोग कर दिया अपने किसी भाषण में। अब किसी साहेब की भावना आहत हो गयी और उन्होंने शिकायत कर दी न्यायालय में। मामला किसी की भावना से जुड़ा हुआ है तो न्यायालय द्वारा सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया गया। अब इस शब्द का कोई डिक्शनरी या पारम्परिक मायने हो तब तो कुछ निष्कर्ष भी निकले। लिहाजा जज साहेब ने केजरीवाल जी से ही पुछा है कि चूँकि आपने इस शब्द का प्रयोग किया है तो आपको इसका मतलब जरूर पता होगा। इसलिए आप इसका मतलब माननीय न्यायालय को बताइए।
अब ये भावना आहत होने वाली चीज भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है। कब, किसकी, किस बात पर भावना आहत हो जाए, कोई नहीं जान सकता। वैसे "प्रिय" शब्द बुरा नहीं है मेरी नजर में लेकिन अगर मैं किसी को कह दूँ तो हो सकता है उसकी भावना आहत हो जाए। मुझे याद है, मेरे एक बॉस हम सबको "माय डियर" कहकर सम्बोधित करते थे और हमने कभी बुरा नहीं माना। वैसे तो हम अंग्रेजी सीखने के लिए बड़े उतावले रहते हैं, लेकिन जो शब्द अंग्रेजी में आम है उसका प्रयोग करने पर किसी किसी की भावना भी आहत हो जाती है।
हम बात कर रहे थे अर्थहीन शब्द की। कपिल शर्मा अपने एक शो में एक शब्द या शब्द-समूह कह लीजिए, उसका बड़ा प्रयोग करते थे। सही पकडे हैं , "बाबा जी का ठुल्लू " । यह शब्द अब बहुत से लोगो की जुबान पर चढ़ गया है। अब सोच लीजिए यह सुनकर किसी बाबा जी की भावना आहत हो जाए। अगर वो कपिल शर्मा या फिर प्रोडक्शन टीम पर ही मुकदमा कर दे तो क्या होगा ? हो सकता है कि उनको कोर्ट में जाकर इसका मायने बताना पड़े, क्योंकि डिक्शनरी में इसका मतलब मुझे नहीं मिल रहा है। यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा कि कपिल शर्मा या प्रोडक्शन टीम इस के क्या मायने बताती है।
वैसे मैं भी बता दूँ, मेरा मकसद सिर्फ अपने विचार व्यक्त करना है, अगर मेरे लेख से या फिर इसमें प्रयुक्त किसी भी शब्द से किसी की भी भावना आहत होती हो या न्यायालय की अवमानना होती हो तो मैं पहले ही बिना शर्त माफ़ी माँग लेता हूँ।
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