19 जुलाई, 2016
आज भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू जी ने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया। कह रहे थे कि पंजाब का हित सबसे ऊपर है। उनकी बात पर यकीन करना होगा। क्योंकि ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जो पार्टी ने उनको नहीं दे रखी थी। अभी थोड़े ही दिनों पहले 25 अप्रैल, 2016 को ही तो राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए थे। इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लगातार दो टर्म, 2004 से 2014 तक अमृतसर से लोकसभा सांसद रहे हैं। उनकी पत्नी भी पंजाब में विधायक और संसदीय सचिव के पद को सुशोभित कर रही हैं।
बहुत से लोग पार्टी द्वारा उपेक्षित होने के बाद ही पार्टी को छोड़ते हैं। उनके पास कोई दूसरा चारा ही नहीं होता है। लेकिन सिद्धू जी के साथ ऐसा नहीं है। लेकिन ऐसा भी नहीं था कि सबकुछ ठीक-ठाक ही था। व्यक्तिगत रूप से बेशक सिद्धू परिवार को पार्टी या सरकार से नाराजगी नहीं थी, लेकिन पंजाब में जिस तरह से एनडीए सरकार काम-काज कर रही है, उससे बहुत नाराज थे वो। अपनी नाराजगी उन्होंने कई बार उचित मंचों से प्रकट भी की थी। लेकिन पार्टी का रवैया ज्यों का त्यों ही रहा। मजबूरन निराश होकर ही उन्होंने इस पार्टी का त्याग करने का निश्चय किया होगा।
खबर है कि वो आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले हैं। अगर ऐसा होता है तो यह पंजाब की जनता के लिए बहुत ही सुखद सन्देश है। सिद्धू जैसा व्यक्तित्व अगर आम आदमी पार्टी में शामिल होकर पंजाब की जनता की सेवा करेंगे, तो पंजाब की भलाई को कोई नहीं रोक सकता। उनके पार्टी में आने से निश्चित रूप से अरविन्द केजरीवाल जी के हाथ मजबूत होंगे और भ्रष्टाचार, ड्रग्स मुक्त पंजाब की उनकी मुहिम को और बल मिलेगा, गति मिलेगी।
सिद्धू जी ही क्यों, पुरानी राजनीतिक पार्टियों के किसी भी नेता, जो अपनी पार्टी में रहकर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी के खिलाफ लड़ने में, जनता की सेवा करने में, उनके दुःख-दर्द को दूर करने में खुद को असमर्थ समझते हों, उनके लिए पहले कोई विकल्प नहीं था। कमोबेश सारी ही पार्टियाँ एक जैसी थी। विपक्ष में रहकर जिस बात के लिए सरकार की आलोचना करती थी, कई-कई दिनों तक संसद, विधानसभा ठप्प करती थी, धारा 356 एवं सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगाती थी, धरना प्रदर्शन करती थी, कभी भारत बंद तो कभी राज्य बंद का आह्वान करती थी, सत्ता में आने के बाद ठीक वही सब करती थी। लेकिन अब पिछले 2-3 सालों से आम आदमी पार्टी के रूप में एक बहुत ही बढ़िया विकल्प मिल गया है।
पहले भी आम आदमी पार्टी में दूसरी पार्टी से नेता आये हैं। अभी भी कांग्रेस और भाजपा में कई ऐसे नेता होंगे जो पार्टी के रवैये से दुखी होंगे एवं उचित वक्त पर आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। भाजपा में जैसे लाल कृष्ण आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी या फिर यशवंत सिन्हा जी जैसे बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं की उपेक्षा हो रही है, कोई ताज्जुब नहीं होगा कि निकट भविष्य में ये लोग भी कुछ ऐसा ही निर्णय ले लें। अभी भी भाजपा सांसद कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी एवं केंद्र सरकार के काम काज से ज्यादातर नाराज ही रहते हैं। शत्रुघ्न सिन्हा तो खुलकर पार्टी की आलोचना करते सुने गए हैं। ऐसे ईमानदार एवं जनसेवा के प्रति प्रतिबद्ध नेताओं के लिए आम आदमी पार्टी बहुत ही उचित मंच है और आम आदमी पार्टी के दरवाजे तो ऐसे ईमानदार नेताओं के स्वागत के लिए शुरू से ही खुले हुए हैं।
सिद्धू जी ने निश्चित रूप से, चाहे एक क्रिकेटर के रूप में हो या फिर राजनेता के रूप में, देश की बहुत सेवा की है। कई रियल्टी शो में सम्मिलित होकर जनता का मनोरंजन किया है। अब आम आदमी पार्टी के नेता के रूप में वो खुलकर काम कर सकेंगे और पंजाब की जनता की खूब सेवा करंगे, ऐसी कामना करता हूँ।
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