8 मार्च, 2016
वैसे तो राहुल गांधी जी के भाषण शैली का मैं शुरू से ही कायल रहा हूँ। चाहे जनसभा हो या चुनावी सभा अपने हर भाषण में गहरी छाप छोड़ जाते हैं राहुल जी। आज के युवा के लिए प्रेरणा स्रोत हैं राहुल जी। यूँ तो पहले से ही वो अपनी खास भाषण शैली के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों जब से एक खास चिंतन करके लौटे हैं तबसे तो उनके भाषणों में एक अलग तरह की ही आक्रामकता आ गयी है। हर मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेने के लिए तैयार बैठे रहते हैं।
पिछले दिनों आम बजट पर लोकसभा में दिए गए उनके भाषण को आज विस्तार से सुनाने का मौका मिला। उनके भाषण की शैली हमेशा की तरह ही आक्रामक थी, लेकिन बीच बीच में वो लिखा हुआ भाषण पढ़ने लगते थे जिससे उनके भाषण कला की गुणवत्ता को बट्टा लग रहा था। अब राहुल जी ने कहा कि सरकार एक फेयर एंड लवली योजना लाई है जिससे काला धन सफ़ेद हो जायेगा। यहाँ तक बोले कि हिंदुस्तान का कोई भी चोर अपने काले धन को सफ़ेद कर सकता है, कहीं से भी उसने चोरी की, कंही से भी उसने भ्रष्टाचार से पैसे बनाये हो, काले पैसे को आप गोरा कर सकते हो।
पिछले दिनों आम बजट पर लोकसभा में दिए गए उनके भाषण को आज विस्तार से सुनाने का मौका मिला। उनके भाषण की शैली हमेशा की तरह ही आक्रामक थी, लेकिन बीच बीच में वो लिखा हुआ भाषण पढ़ने लगते थे जिससे उनके भाषण कला की गुणवत्ता को बट्टा लग रहा था। अब राहुल जी ने कहा कि सरकार एक फेयर एंड लवली योजना लाई है जिससे काला धन सफ़ेद हो जायेगा। यहाँ तक बोले कि हिंदुस्तान का कोई भी चोर अपने काले धन को सफ़ेद कर सकता है, कहीं से भी उसने चोरी की, कंही से भी उसने भ्रष्टाचार से पैसे बनाये हो, काले पैसे को आप गोरा कर सकते हो।
शायद वो उस limited period Compliance Window का जिक्र कर रहे थे जिसमे अघोषित आय पर 30% टैक्स, 7.5% सरचार्ज और 7.5% पेनल्टी यानि कुल 45% देकर उसकी घोषणा करने की बात कही गयी थी। इसके बाद ऐसी आय के बारे में किसी भी तरह की पूछताछ न होने की बात कही गयी थी। ऐसी घोषणा करने वाले के खिलाफ किसी तरह के अभियोजन न किये जाने की बात कही गयी थी। अब राहुल जी को इस बात का पता होना चाहिए था कि सन 1997 में भी एक ऐसी ही योजना लाई गयी थी तत्कालीन वित्त मंत्री श्री पी. चिदंबरम जी द्वारा जिसको Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) नाम दिया गया था। लेकिन उस समय की संयुक्त मोर्चा सरकार को कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन हासिल था इसलिए उस समय ऐसा कोई विरोध नहीं किया गया। उसी तरह की योजना किसी और पार्टी की सरकार लाये तो इतनी आलोचना, फेयर एंड लवली योजना कह दिया इसको, लेकिन वैसी ही योजना कांग्रेस समर्थित सरकार लाये तो उसके बारे में कोई बात नहीं।
भाषण के दौरान ही एक समय बोले, The Country is not the Prime Minister, The Prime Minister is not the Country. बहुत अच्छी बात है। लेकिन इनको याद होना चाहिए कि इनकी ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष देवकांत बरुआ जी ने एक समय कहा था " India is Indira. Indira is India" . चलो इनको याद नहीं हो, लेकिन इनकी पार्टी के नेताओं को तो याद होना चाहिए।
भाषण के दौरान कहीं भी नहीं लगा कि देश की सबसे पुरानी राजनितिक पार्टी के उपाध्यक्ष द्वारा भाषण दिया जा रहा है। भाषण के दौरान कहीं कहीं भारी गलती देखी गयी, जैसे मनरेगा को नारेगा बोल गए। बोले पहले पेट्रोल 130 डॉलर प्रति बैरेल था और आज 35 रूपए प्रति बैरेल है। कहा कि गांधी हमारे और सावरकर आपके। अब गांधी जी सिर्फ कांग्रेस के हो गए ? गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा जाता है इस नाते तो वो सभी देश वासियों को हुए। उन पर सिर्फ कांग्रेस पार्टी कैसे हक़ जमा सकती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इनमें अभी भी उस परिपक्वता का अभाव है जो कांग्रेस जैसी अनुभवी पार्टी के उपाध्यक्ष में होनी चाहिए। विशेषकर उस स्थिति में जब उनको पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री के पद के उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा हो।
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