17 फ़रवरी 2014
49 दिन मुख्यमंत्री रहे लेकिन कर क्या पाये तुम ? अरे ऐसे कोई सरकार थोड़े ही चलती है। एक निर्दलीय होकर भी मधु कोड़ा ने झारखण्ड में जबर्दस्त सरकार चलाई और तुम 28 विधायकों का साथ होते हुए भी खुद ही गद्दी छोड़ गए। आखिर किस मिटटी के बने हुए हो तुम ? एक चपरासी की नौकरी पाकर भी इंसान अकड़ में रहता है और तरह तरह के सुकर्म - कुकर्म करके नौकरी बचाने में लगा रहता है और तुम हो कि मुख्यमंत्री के पद को लात मार आये।
दूसरे मुख्यमंत्री करोड़ों के बंगलें में रहते हैं, शानोशौकत ऐसी की बड़ी बड़ी रियासत के महाराजा भी शर्मा जाएँ और तुम हो कि रजाई लेकर सड़क पर सोने निकल लिए। सरकार बनीं है तुम्हारी, मौज मस्ती करो लेकिन नहीं, तुम्हारा मन तो फकीरी में ही लगा रहता है। गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार निवारण, बेरोजगारों को रोजगार, बेघरों को घर आदि बातें सिर्फ चुनाव के समय ही वोट लेने के लिए कही जाती है। चुनाव जीतते ही इन सब बातों को भूल जाना चाहिए। लेकिन तुम तो इसी सबके चक्कर में लगे रहे। न एक पल आराम किया और न ही अपने मंत्रियों को आराम करने दिया।
इतने दिन सत्ता में रहे न कोई घोटाला किया न दंगे के आरोप लगे। न बच्चों को विदेश भेजा न खुद बीवी के साथ दौरे पर गए। एक उद्घाटन करने का मौका मिला भी तो एक अदने से इंसान से करवा दिया। ऐसा कोई करता है क्या। किसी भी शिलान्यास पट्ट पर तुम्हारा नाम अंकित नहीं है। ऐसा कोई करता है क्या ? चलो तुमने जनता से पैसा लेकर चुनाव लड़ा लेकिन उनका तो सोचा होता जो बड़े बड़े कॉर्पोरेट से पैसे लेकर चुनाव लड़ते हैं और जीतने पर बदला चूकते हैं। तुमने तो राजनीति की रीत ही बदल दी। तुमको थोड़ी भी लज्जा नहीं आई ?
सही में तुमको सरकार चलना नहीं आया केजरीवाल। अरे एक टिकट ही तो देना था लोकसभा का, दे देते बिन्नी को। तुम्हारे घर से क्या जाता ? वो तुम्हारे गुणगान करता फिरता। इतने सारे विकास निगम हैं दिल्ली में बना देते एक एक कांग्रेसी विधायक को उसका अध्यक्ष। कांग्रेस वाले खुश तो हो जाते। फिर देखते, मजाल है कि तुम्हारी सरकार की तारीफ नहीं करते तुमको समर्थन देने वाले लोग। शौक़ीन जी या फिर इक़बाल जी में से किसी एक को विधानसभा अध्यक्ष और दूसरे को उपाध्यक्ष बनवा देते। फिर देखते कैसे तुम्हारी सरकार पूरे पांच साल ख़ुशी ख़ुशी चलती है।
दूसरी पार्टियों ने देश को इतने घोटाले दिए। तुमने क्या दिया केजरीवाल ? देश की जनता को तुम निराश कर गए। ऐसी सरकार तो हमने कभी नहीं देखी। हे भगवान इसी उम्र में क्या क्या देखना पड़ रहा है।
सही बात है| ये क्या सरकार चलाएगा| इसे तो अपने परिवार की सुविधओं की भी चिंता नहीं है ये हमारी क्या चिंता करेगा! :D
जवाब देंहटाएंBilkul Sahi, Shobhit ji
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