15 फ़रवरी 2014
दिनांक 13.02.2014 को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नई इबारत लिखी गयी। दिल्ली विधानसभा और भारतीय संसद में जो भी कुछ किया गया माननीयों के द्वारा उससे हर एक भारतीय का शर्म से सर झुकना लाजमी है।
दिल्ली की विधान सभा में सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और दूसरी सबसे पुरानी पार्टी भाजपा के विधायकों ने गजब हुड़दंग मचाई। एक माननीय मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल जी की सीट पर "अदरख" रख कर आ गए। दूसरे माननीय ने कानून मंत्री श्री भारती जी को लिपस्टिक और चूड़ियाँ भेंट कर दी। कुछ माननीय स्पीकर साहब के पास जाकर उनका माइक अपने कब्जे में कर लिया। क्या इस तरह का व्यव्हार उचित है ? ऐसा तो छोटी क्लास के बच्चे भी नहीं करते।
ये तो कुछ भी नहीं है, भारतीय संसद में तो माननीयों ने गरिमा के और भी मानदंड स्थापित किये उसी दिन।
संसद लोकतंत्र का मंदिर होता है तो सांसद निश्चित रूप से पुजारी कहे जायेंगे। अब इन पुजारियों ने तो पूजा का तरीका हो बदल दिया उस दिन। यूँ तो संसद में काम काज ठप्प होना, हल्ला गुल्ला मचाना, अध्यक्ष महोदय के आसान के पास खड़े होकर नारे लगाना तो आम सी बात हो गयी है। लेकिन उस दिन तो हद हो गयी। तेलंगाना राज्य के निर्माण हेतु लोकसभा में विधेयक पेश होना था। जैसे कार्यवाही शुरू हुई, कुछ माननीय लगे हल्ला मचाने। सब कुछ आम दिन जैसा ही लग रहा था अचानक एक माननीय सदन में चाक़ू लहराने लगे तो दूसरे ने काली मिर्च का पाउडर स्प्रे कर दिया सदन में।
अब तो ऐसी अफरा तफरी मची की कई माननीय बीमार हो गए। संसद का काम स्थगित हो गया। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन माननीयों को इतना सभ्य क्यों समझा जाता है कि ये लोग कभी कोई गलत आचरण ही नहीं करेंगे। कोई आम आदमीं सिर्फ कार्यवाही ही देखने जाय वो भी दर्शक दीर्घा में बैठकर तो उनकी न जाने कितनी बार तलाशी ली जाती है। उसकी भूत और वर्त्तमान की हर तरह से जांच कि जाती है कि कहीं इनका कोई पुलिस में रिकॉर्ड तो नहीं है। लेकिन ये माननीय , चुनाव जीतने के साथ ही सभ्य और हर किसी बुराई से दूर मान लिए जाते हैं।
कई बार भिन्न भिन्न प्रदेशों की विधानसभा में माननीयों द्वारा अशोभनीय हरकतों की खबरें आई है लेकिन क्या कारर्वाई की जाती है ? या तो निलम्बित कर दिया जाता है या फिर चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। यही हरकत हम जैसा कोई आम आदमीं करे तो न जाने भारतीय दण्ड संहिता कि कितनी सारी धाराओं के अंतर्गत हम पर मुकदमा चले। मुकदमा तो बाद में चलेगा पहले पुलिस वाले कुत्ते की तरह हमारी धुलाई करेंगे।
इनको सिर्फ चेतावनी देने से कुछ नहीं होगा, इनपर आपराधिक मामले दर्ज होने चाहिए। तभी लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा सही मायने में हो सकेगी।
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