3 नवम्बर, 2013
प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। त्यौहारों का मौसम है और कीमतों में आग लगी हुई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री जी कह रही हैं कि यह सब कालाबाजारियों और जमाखोरों की वजह से हो रहा है। जब आपको कारण पता ही है तो जमाखोरों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने से कौन रोक रहा है ? और तो और ये कालाबाजारियों से विनती कर रहीं हैं कि जनता पर तरस खाइये। क्या इतनी मजबूर हो सकती है किसी राज्य की मुख्यमंत्री ?
आखिर हमें किससे उम्मीद करनी होगी ? जिनके हाथों में सत्ता है वो इस तरह से बेबस हैं। सस्ते दामों पर प्याज बेचने कि भी कवायद हो रही है लेकिन छापे नहीं मारे जा रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री जी कह रही थी कि आज मैंने हफ्ते भर बाद प्याज खाया। दिल्लीवालों, हमारी मुख्यमंत्री भी हमारी तरह ही गरीब हैं। उनकी भी हैसियत प्याज खाने कि नहीं है। वो भी हमारे दुखों में शामिल हैं।
अगर हम पढ़े लिखे नहीं होते तो मान भी लेते। मुख्यमंत्री जी, आपकी आमदनी तो इतनी है कि आप इस महंगाई में भी प्याज के रस से नहाने की हैसियत रखती हो। अब आप हमें इतना बेवक़ूफ़ तो मत समझिये कि आपने कहा और हम मान लें कि आपने प्याज नहीं खाये। उधर जले पर नमक छिड़क रहे हैं अपने कृषि मंत्री जी। कहते हैं कि अभी १ हफ्ते तक कीमतों के कमी नहीं आएगी। मतलब कि हे जमाखोरों, तुम्हारी चांदी है। तुम जितना माल बना सकते हो बना लो। ये हमें दिलासा दे रहे हैं या जमाखोरों को आगाह कर रहे हैं।
फिर कभी कहते हैं कि नई फसल आते ही कीमतों में कमी आ जायेगी। बड़ी दूर कि कौड़ी लाये प्रभु। हम बेवकूफों को तो पता ही नहीं था कि नई फसल आने से कीमतें कम होती हैं। हम तो समझते थे कि कीमत और बढ़ जायेगी। सचमुच में लाइफ में आराम हो तो आइडियाज आते हैं।
अगर हम पढ़े लिखे नहीं होते तो मान भी लेते। मुख्यमंत्री जी, आपकी आमदनी तो इतनी है कि आप इस महंगाई में भी प्याज के रस से नहाने की हैसियत रखती हो। अब आप हमें इतना बेवक़ूफ़ तो मत समझिये कि आपने कहा और हम मान लें कि आपने प्याज नहीं खाये। उधर जले पर नमक छिड़क रहे हैं अपने कृषि मंत्री जी। कहते हैं कि अभी १ हफ्ते तक कीमतों के कमी नहीं आएगी। मतलब कि हे जमाखोरों, तुम्हारी चांदी है। तुम जितना माल बना सकते हो बना लो। ये हमें दिलासा दे रहे हैं या जमाखोरों को आगाह कर रहे हैं।
फिर कभी कहते हैं कि नई फसल आते ही कीमतों में कमी आ जायेगी। बड़ी दूर कि कौड़ी लाये प्रभु। हम बेवकूफों को तो पता ही नहीं था कि नई फसल आने से कीमतें कम होती हैं। हम तो समझते थे कि कीमत और बढ़ जायेगी। सचमुच में लाइफ में आराम हो तो आइडियाज आते हैं।
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